सरकार ने लगाई प्रतिष्ठित वेबसाइट ‘द वायर’ पर पाबंदी
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प्रतिष्ठित वेबसाइट ‘द वायर’ ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को उसकी वेबसाइट को ब्लॉक करने का आदेश दिया है। यह दावा तब और अधिक चौंकाने वाला बन गया जब 8 मई की रात से लेकर 9 मई की सुबह तक कई टीवी चैनलों ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को लेकर झूठी ख़बरें चलाईं, जिनमें यह भी शामिल था कि भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह को नष्ट कर दिया है।
‘द वायर’ ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा,”भारत सरकार ने प्रेस की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए thewire.in तक पहुंच को पूरे भारत में ब्लॉक कर दिया है।”“इंटरनेट सेवा प्रदाताओं का कहना है कि द वायर को ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के आदेश के अनुसार’ ब्लॉक किया गया है।”
‘द वायर’ ने कहा, “हम इस स्पष्ट और अनुचित सेंसरशिप का विरोध करते हैं, खासकर ऐसे समय में जब भारत को विवेकपूर्ण, सत्यनिष्ठ, निष्पक्ष और तर्कसंगत आवाज़ों व समाचार स्रोतों की सबसे अधिक आवश्यकता है। यही भारत की सबसे बड़ी पूंजी है।”वेबसाइट ने आगे कहा, “हम इस मनमाने और अकारण कदम को चुनौती देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं। बीते 10 वर्षों से आपके समर्थन ने हमारे कार्य को संभव बनाया है और आज हम एकजुटता की उम्मीद कर रहे हैं। हम सत्य और सटीक समाचार आप तक पहुँचाने से पीछे नहीं हटेंगे। सत्यमेव जयते।”
‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन ने X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया कि “कम से कम दो इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) अपने ग्राहकों को बता रहे हैं कि सरकार के आदेश के कारण The Wire की वेबसाइट तक पहुँचा नहीं जा सकता है।”उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत में कुछ उपयोगकर्ता अभी भी साइट तक पहुँच सकते हैं, लेकिन प्रतिबंध धीरे-धीरे प्रभावी हो रहा है।
हालांकि शुक्रवार दोपहर 1 बजे (IST) साइट खुल रही थी। लेकिन 1:30 बजे के बाद साइट पहुँच से बाहर हो गई। वरदराजन ने X पर लिखा, “The Wire भारत में VPN के माध्यम से पूरी तरह से सुलभ है, इसलिए ‘मोदी की दीवार’ के परे भी जीवन है, और विदेशों में पाठक हमें आसानी से पढ़ सकते हैं। हम बहुत जल्द एक mirror site भी लॉन्च करेंगे। साथ बने रहें।”
यह साइट 2015 में वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया और एमके वेणु द्वारा शुरू की गई थी, और इसने नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचनात्मक कवरेज के लिए एक सशक्त पहचान बनाई है।सरकार की ओर से अब तक इस प्रतिबंध के लिए कोई सार्वजनिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। रक्षा मंत्रालय ने मीडिया चैनलों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं को एक advisory जारी करते हुए रक्षा अभियानों की live या अटकलों पर आधारित कवरेज से बचने की चेतावनी दी है।
वरदराजन ने सरकार की इस कार्रवाई को “मनमाना और गैरज़रूरी” बताया और इसे कानूनी रूप से चुनौती देने का संकल्प लिया।उन्होंने कहा, “हम इस आदेश को चुनौती देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहे हैं….पिछले 10 वर्षों से आपका समर्थन हमारे कार्य को संभव बनाता रहा है, और इस समय हम सबके साथ खड़े रहने की आशा करते हैं।”
2017 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे, जय शाह ने ‘द वायर’ के संपादकों के खिलाफ एक आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। यह मुकदमा उस लेख को लेकर था जिसका शीर्षक था: ‘द गोल्डन टच ऑफ जय अमित शाह’।इस लेख में जय शाह की कंपनी की कथित रूप से तेजी से बढ़ी आर्थिक गतिविधियों पर सवाल उठाए गए थे, और इसमें बताया गया था कि कैसे 2014 के बाद, यानी नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद, उनकी कंपनी का कारोबार अभूतपूर्व रूप से बढ़ा।
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