मुख्यमंत्री कार्यालय और सचिवालय के नाम पर  बीएसएफ जवान से 10 लाख की ठगी की गई है और अब जान से मारने की धमकी दी जा रही है।

शुरुआत में बहाने बनाते रहे, बाद में जब पीड़ित ने पैसे वापस मांगे तो जान से मारने की धमकी देने लगे। 25 अप्रैल 2025 को जब वह दोबारा हरिकेश की दुकान पर पैसे मांगने गया.....

मुख्यमंत्री कार्यालय और सचिवालय के नाम पर  बीएसएफ जवान से 10 लाख की ठगी की गई है और अब जान से मारने की धमकी दी जा रही है।

अयोध्या/बीकापुर।
 
मुख्यमंत्री कार्यालय और सचिवालय के नाम पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर बीएसएफ के जवान से 10 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। पीड़ित जवान ने अब थाने में तहरीर देकर आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। जवान ने कहा है कि ठगों के झांसे में आकर न केवल उसकी जमा पूंजी लुट गई, बल्कि अब जान से मारने की धमकी भी दी जा रही है।
 
पीड़ित लाल जी यादव, जो कि वर्तमान में भारत-बांग्लादेश सीमा पर बीएसएफ में तैनात हैं, ने बताया कि 2021 में बीकापुर थाना क्षेत्र के अहिरौली निवासी नमित यादव नामक व्यक्ति से उनकी मुलाकात हुई थी। उसने खुद को उच्च राजनीतिक संपर्कों वाला बताते हुए कहा कि वह यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर की भर्ती में 'जुगाड़' से नौकरी लगवा सकता है।
 
ठग ने अपने साथ एक अन्य व्यक्ति हरिकेश पटेल को भी मिलवाया, जिसने खुद को मुख्य सचिव का पर्सनल सेक्रेटरी बताते हुए सचिवालय का फर्जी पहचान पत्र और मुख्यमंत्री व अधिकारियों के साथ फोटो दिखाए। दोनों ने मिलकर पीड़ित से कहा कि 10 लाख रुपये में उसके भाई की नौकरी सुनिश्चित कर देंगे।
 
विश्वास में लेकर ठगों ने लाल जी यादव से 10 लाख रुपये नकद ले लिए, जिसमें 6 लाख का उन्होंने सर्विस पर लोन लिया और बाकी रिश्तेदारों से उधार लिया। लेकिन जब परिणाम आया तो उनके भाई का चयन नहीं हुआ।
 
शुरुआत में बहाने बनाते रहे, बाद में जब पीड़ित ने पैसे वापस मांगे तो जान से मारने की धमकी देने लगे। 25 अप्रैल 2025 को जब वह दोबारा हरिकेश की दुकान पर पैसे मांगने गया, तो उसे गालियां दी गईं, धमकाया गया और फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकी दी गई।
 
लाल जी यादव ने कहा कि वह मानसिक रूप से टूट चुके हैं और इलाज करवा रहे हैं। उन्होंने आरोपितों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है और जानमाल की सुरक्षा की गुहार लगाई है।
 
आज हमारे संवाददाता विपिन शुक्ला ने बीकापुर एस ओ से बात की तो दारोगा से मामले को दिखवाने की बात कर के फ़ोन काट दिए 
 
 बड़ा सवाल ये है कि मुख्यमंत्री ऑफिस के नाम पर किए गए इतने बड़े फ्रॉड पर पुलिस क्यों सुस्ती दिखा रही है?

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