श्री शंकर रामलीला समिति शिवद्वार धाम की आत्मकथा
सोनभद्र को तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सोनभद्र को मिनी स्विटजरलैंड कहा था।
शिवद्वार धाम, सोनभद्र की विशेषता
अमित मिश्रा (संवाददाता)
बताते चलें कि जनपद सोनभद्र में स्थित अति प्रसिद्ध मंदिर स्थल शिवद्वार धाम है जहां पर उमा महेश्वर अत्यंत सौंदर्य विश्व प्रसिद्ध प्रतिमा 11वीं शताब्दी की विराजमान है जिसे गुप्तकाशी का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। शिवद्वार धाम में श्री शिव शंकर राम लीला समिति जो काफी लंबे समय से धार्मिक आस्था से उत्प्रोत भगवान उमा महेश्वर के दरबार शिव द्वार मंदिर पर सन 1950 से प्रायोगिक रूप से रामलीला मंचन प्रारंभ कर दिया गया।
जिसके प्रेरक संस्थापक स्वर्गीय राम लखन तिवारी ग्राम भुरकुंडा शाहगंज सोनभद्र ने शंकर रामलीला समिति का न्यू रखा और रामलीला का विस्तृत रूप सन 1962 में क्षेत्रीय गणमान्य लोगों के शारीरिक मानसिक आर्थिक सहयोग से गठन करके रामलीला को एक निरंतर चलाई जाने हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण विचारक एवं लगन पूर्वक रामलीला के मंचन के लिए लोगों ने अपना अमूल्य समय व सहयोग प्रदान करते हुए रामलीला के परंपरा को प्रारंभ कर दिया ।
प्रथम संस्थापक स्वर्गीय अक्षय वर्मा मिश्र निवासी मझिगवा मिश्र द्वितीय संस्थापक हरि गोविंद त्रिपाठी भुरकुंडा शाहगंज और तृतीय संस्थापक स्वर्गीय श्यामधर मिश्रा ने इस रामलीला को परंपरागत रूप से चलाई जाने में अपना सर्वस्व न्योछावर करके पूरा योगदान दिया वर्तमान समय में देखा जाए तो रामलीला के सबसे बड़े संरक्षक के रूप में संभव है।

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