त्रिवेणीगंज अंचल कार्यालय बना मनमर्जी का अड्डा, फाइलों से ज्यादा दौड़ते दिखे आम लोग

कर्मियों की ढुलमुल रवैये से परेशान जनता, अपनी फरियाद लेकर चक्कर काटते रह गए पीड़ित

त्रिवेणीगंज अंचल कार्यालय बना मनमर्जी का अड्डा, फाइलों से ज्यादा दौड़ते दिखे आम लोग

त्रिवेणीगंज (सुपौल) — त्रिवेणीगंज अंचल कार्यालय इन दिनों कर्मियों की मनमानी और जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति के कारण सुर्खियों में है। यहां पर एक आम नागरिक को अपने हक के लिए न केवल अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है, बल्कि पूरे ऑफिस परिसर का चक्कर काटना आम बात हो गई है।

हाल ही में एक मामला सामने आया जिसमें स्थानीय दुकानदार प्रमोद कुमार प्रभाकर अपनी दुकान में लगी आग की घटना का आवेदन लेकर अंचल कार्यालय पहुंचे। लेकिन वहां नजीर से लेकर अन्य कार्यालय कर्मियों तक, सभी ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। "यह मेरा काम नहीं है", "उधर जाओ", "फिलहाल समय नहीं है" — ऐसे जवाबों की बौछार होती रही, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला। पीड़ित इधर-उधर भटकते रहे और अंततः जब मामला गर्माया, तब जाकर आवेदन की रिसीविंग दी गई।

यह कोई पहली घटना नहीं है। ग्रामीण इलाकों से रोजाना बड़ी संख्या में लोग अपनी समस्याओं को लेकर अंचल कार्यालय का रुख करते हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में उन्हें यहां से निराशा ही मिलती है। कार्यालय क्षेत्रफल में बड़ा है और आबादी भी अधिक है, ऐसे में कर्मचारियों की इस प्रकार की गैर-जिम्मेदाराना रवैये ने लोगों का भरोसा हिला दिया है।

जनता सवाल पूछ रही है — क्या अंचल कार्यालय जनता की सेवा के लिए है या फिर एक दूसरे पर जिम्मेदारी टालने का मंच बन गया है? अब देखना यह है कि प्रशासन इस लापरवाही पर कब लगाम लगाता है और क्या पीड़ितों को कभी समय पर न्याय मिल पाएगा?

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