संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायतकर्ताओं का टूटा भरोसा, स्थानीय प्रशासन की लापरवाही उजागर
On
जलालपुर (अंबेडकर नगर)। संपूर्ण समाधान दिवस, जिसे सरकार ने जनता की शिकायतों के त्वरित और न्यायपूर्ण निस्तारण के लिए शुरू किया था, जलालपुर तहसील में अपनी मूल मंशा से भटकता नजर आ रहा है। सरकार का दावा है कि इस मंच के जरिए हर शिकायतकर्ता को एक ही छत के नीचे उचित न्याय मिलेगा, लेकिन स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और अनुशासनहीनता ने इस दावे को खोखला साबित कर दिया है। संपूर्ण समाधान दिवस में तहसील जलालपुर के सभाकक्ष में अधिकांश विभाग केअधिकारियों की अनुपस्थिति, फरियादियों की उपेक्षा और व्यवस्था का अभाव साफ तौर पर देखने को मिला।
अधिकांश विभाग के अधिकारियों की अनुपस्थिति, फरियादियों का निराश लौटना
संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान जलालपुर तहसील सभाकक्ष में अधिकांश विभागों के अधिकारी और कर्मचारी नदारद रहे। अपनी शिकायतों को लेकर पहुंचे फरियादी संबंधित अधिकारियों के सामने अपनी बात रखने के लिए घंटों इंतजार करते रहे, लेकिन अधिकारियों की गैरमौजूदगी के कारण उनकी शिकायतों पर कोई विचार-विमर्श नहीं हो सका। परिणामस्वरूप, फरियादी न्याय से वंचित होकर निराश घर लौटने को मजबूर हुए। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि वे अपनी समस्याओं का समाधान पाने की उम्मीद में सुबह से आए थे, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता ने उनके विश्वास को ठेस पहुंचाई।
चाय-नाश्ते में व्यस्त अधिकारी, पत्रकार को फोटो खींचने से रोका
संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान सभाकक्ष में मौजूद कुछ सक्षम अधिकारी शिकायतें सुनने के बजाय चाय-नाश्ते में व्यस्त दिखे। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब एक पत्रकार ने इस दृश्य को कैमरे में कैद करने की कोशिश की। तहसीलदार ने पत्रकार को फोटो खींचने से मना कर दिया। इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि पत्रकार तहसील दिवस की वास्तविक स्थिति को उजागर करने के लिए फोटो या वीडियो नहीं ले सकेंगे, तो जनता तक सच्चाई कैसे पहुंचेगी? यह घटना प्रशासन की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाती है।
88 में से 8 शिकायतों का निस्तारण
इस संपूर्ण समाधान दिवस में कुल 88 शिकायती पत्र प्राप्त हुए, जिनमें से केवल 8 का ही मौके पर निस्तारण हो सका। शेष 80 शिकायतों को संबंधित विभागों के को त्वरित निस्तारण हेतु सौंप दिया गया।
अनुशासनहीनता का माहौल, मेले जैसी स्थिति
तहसील सभाकक्ष में संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान किसी भी प्रकार का अनुशासन देखने को नहीं मिला। फरियादी जहां चाहे वहां खड़े होकर, जिसे चाहे उसे शिकायती पत्र थमा रहे थे। कोई रोक-टोक या व्यवस्थित प्रक्रिया नहीं थी। सभाकक्ष में मेला जैसा माहौल बना रहा, जहां न तो शिकायतों को सुनने की प्रक्रिया व्यवस्थित थी और न ही फरियादियों को उचित मार्गदर्शन मिल सका। यह स्थिति प्रशासन की गंभीरता और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करती है।
समाधान के लिए सुझाव और मांग
फरियादियों और स्थानीय लोगों ने मांग की है कि संपूर्ण समाधान दिवस को प्रभावी बनाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाएं। पहला, अधिकारियों के चाय-नाश्ते का समय निर्धारित किया जाए, ताकि फरियादी यह जान सकें कि किस समय उनकी शिकायत सुनी जाएगी। दूसरा, शिकायती पत्र लिखवाने के लिए एक निश्चित शुल्क तय किया जाए, जैसा कि जिलाधिकारी अंबेडकर नगर ने पहले निर्देश दिया था।
निष्कर्ष
जलालपुर तहसील में संपूर्ण समाधान दिवस का यह हाल सरकार के उस दावे को चुनौती देता है, जिसमें हर नागरिक को त्वरित और पारदर्शी न्याय देने की बात कही जाती है। स्थानीय प्रशासन की लापरवाही और अनुशासनहीनता ने न केवल फरियादियों का विश्वास तोड़ा है, बल्कि इस व्यवस्था की सार्थकता पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है। यदि प्रशासन को जनता का भरोसा जीतना है, तो उसे अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना होगा और संपूर्ण समाधान दिवस को नाम के अनुरूप वास्तविक समाधान का मंच बनाना होगा। अन्यथा, यह दिवस महज औपचारिकता बनकर रह जाएगा, और फरियादी न्याय की उम्मीद में भटकते रहेंगे।
About The Author
स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।
राष्ट्रीय हिंदी दैनिक स्वतंत्र प्रभात ऑनलाइन अख़बार
12 Dec 2025
12 Dec 2025
11 Dec 2025
Post Comment
आपका शहर
10 Dec 2025 20:28:56
Kal Ka Mausam: उत्तर भारत इस समय कड़ाके की ठंड का सामना कर रहा है। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार...
अंतर्राष्ट्रीय
28 Nov 2025 18:35:50
International Desk तिब्बती बौद्ध समुदाय की स्वतंत्रता और दलाई लामा के उत्तराधिकार पर चीन के कथित हस्तक्षेप के बढ़ते विवाद...

Comment List