पथरी खदान में उड़ रही खनिज नियमावली धज्जियां
- बाबू माफिया के गुण्डों के दम पर जारी है अवैध खनन कार्य
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- नदी जलधारा में तांडव मचा रही लिफ्टर मशीने
बांदा। जनपद में संचालित पथरी खदान में अधिकारियों की लापरवाही से जमकर ओवरलोडिंग व नियमों के विपरीत खनन जारी है। पथरी खदान संचालक और मनैजमेँट, तक्का बाज व खदान से लेकर बाँदा के चौराहो से तकड़ा मकड़जाल फैला है रसूख का आलम यह है कि एनजीटी, खनिज व अन्य नियमों के उलंघन दबंगई की खबरें सुर्खियों में लगातार बनी हुई है संयुक्त टीम की लोकेशन बाजो द्वारा जानकारी मिलते हीं अवैध खनन में रोक लग जाता है वहीं दर्जनों हैवीवेट मशीनरी को गरीब किसानों की तैयार खड़ी फसलों से रौंदते हुए गायब कर दी गई। बेचारे किसान खदान संचालक के पाले गुर्गों के आतंक से भयभीत होकर विरोध करने से भी बचते नजर आए नाम ना उजागर करने की बात कहते हुए क्षेत्रीय जनों ने बताया कि खनन माफिया के साथ बड़े कद्दावर सत्ता धारी नेता व प्रशासनिक अधिकारियों की सांठगांठ है जिससे पूर्व में जो कार्यवाही संयुक्त टीम द्वारा की गई हैं।
वह पिछले साल व वर्तमान में करोड़ों रुपए राजस्व लूट को बैलेंस करने की चाल।मिली सूत्रों से जानकारी कि मंडौली व पथरी खदान से प्रतिदिन लगभग तीन से चार सैकड़ा ओवरलोड ट्रक बड़ी बड़ी पोकलैंड मशीनरी से 900 से 1000 रूपए बाकेट में भरकर बिक्री लगातार की जा रही है। पथरी खदान से प्रतिदिन दस से पंद्रह लाख रुपए बचत का लाभ उठा रहे हैं। इसलिए पांच साल के लिए आवंटित खनिज की मात्रा कुछ माह में समाप्त कर खदानों में बालू ना होने का बहाना बनाकर पांच साल में लगने वाले सरकारी राजस्व का चूना लगा रहे। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी एनजीटी, खनिज व अन्य नियमों के साथ ही जिलाधिकारी व प्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन कराने में रूचि नहीं लेते दिखाई दे रहे हैं। जिससे उनकी इस कार्यशैली से उनकी भूमिका संदिग्ध लग रही है।
कहीं इस लूट तंत्र अवैध खनन व ओवरलोडिंग में मौन स्वीकृति से धनार्जन का लाभ तो नहीं हो रहा है। पथरी खदान में बेधड़क नदियों में नियमों के इतर भारी भरकम प्रतिबंधित मशीनरी का प्रयोग के दुष्प्राभाव से दूषित पर्यावरण व भयंकर जलसंकट की सौगात जनपदवासियों को उपहार स्वरूप मिलने वाली है। वहीं खनिज पदार्थों की उपलब्धता भी समाप्त होने का खतरा मंडराता नजर आ रहा है। आने वाले समय में प्रदेश सरकार को प्रतिवर्ष मिलने वाले राजस्व के श्रोत को समाप्त कर दिया जाय।
वहीं दूसरी ओर माफियाओं, नेताओं व प्रशासनिक अफसरों की मिलीभगत नदियों का अस्तित्व व पर्यावरण को दूषित कर एकबार फिर से पूर्व वर्ती सरकारों में बुंदेलखंड में खनिज संपदा लूट का हजारों करोड़ रुपए का रिकॉर्ड बनाकर इनकी तिजोरियां में बंद हो जाएं। आमजन बूंद बूंद पानी के लिए तरसता हुआ जहरीले वातावरण में जीने को मजबूर हो जाएं। कहीं ऐसा ना हो कि भाजपा सरकार व ईमानदार मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल कर सरकार विरोधी प्रदर्शन व माहौल तैयार ना हो जाएं। क्योंकि नदियों से जहां पेयजल आपूर्ति के साथ ही किसानों को सिंचाई के लिए निर्भर रहना पड़ता है।
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