गोपाष्टमी पावन पर्व पर आयोजित हुआ गौ पूजन कार्यक्रम
गायों के प्रति सम्मान और उनके संरक्षण को समर्पित है गोपाष्टमी पर्व-डा. पंकज कुमार
भदोही - गोपाष्टमी के पावन पर्व पर जनपद के सभी वृहद गौ संरक्षण केंदों और गौ आश्रय स्थलों में गौ पूजन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर गायों को नहलाकर नाना प्रकार से सजाया गया और मेंहदी के थापे तथा हल्दी रोली से पूजन किया गया। उन्हें विभिन्न भोजन भी कराया गया। गोपाष्टमी पर पशु चिकित्साधिकारी द्वारा वृहद गौ संरक्षण केंद्र वैदाखास, विकास खंड-ज्ञानपुर पहुंचकर गौ पूजन कार्यक्रम किया। उन्होंने बताया कि गोपाष्टमी भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो गायों के प्रति सम्मान और उनके संरक्षण के लिए मनाया जाता है।
यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन गायों को स्नान कराकर उन्हें सजाया जाता है और फिर उनकी पूजा की जाती है। पूजा में मेंहदी, हल्दी, रोली, धूप, और पुष्प आदि का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, गायों को विभिन्न प्रकार के भोजन भी कराये जाते हैं ।गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण के गोपाल स्वरूप को समर्पित है, जिन्होंने गायों की रक्षा की थी। इस दिन गायों की पूजा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और उसे सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
जिला सूचना अधिकारी डॉ पंकज कुमार द्वारा ज्ञानपुर जीआईसी के पीछे स्थित चक्रधारी गौशाला पहुंचकर गायों को हरा चारा, केला, लड्डू ,गुड खिलाकर गो पूजन किया गया। उन्होंने बताया कि गोपाष्टमी पर बछड़े और गायों को सजाने और पूजने की परंपरा भगवान कृष्ण के साथ उनके घनिष्ठ संबंध से जुड़ी है। भगवान कृष्ण को 'गोपाल' कहा जाता है, जो गायों के रक्षक और पालनहार थे। वे हमें दूध और डेयरी उत्पादों के रूप में पोषण प्रदान करती हैं, जो कृषि और समृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, गोपाष्टमी पर, लोग गायों को सजाकर उनकी सेवा करते हैं और उनके योगदान का सम्मान करते हैं, इससे घर में खुशहाली और समृद्धि आती है, ऐसा मान्यता है।
चक्रधारी गौशाला के संचालक मिंटू तिवारी ने बताया कि वे देसी नस्ल के कई गायों को पाले हैं जिनकी वे नियमित तौर पर सेवा भाव करते हैं। गाय के गोबर को प्राकृतिक खाद बनाकर वे अपने खेतों में प्रयोग करते हैं और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते हैं।
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