सरयू नहर परियोजना चढा भ्र्ष्टाचार की भेंट

नहरों में मरम्मत कार्य सिर्फ कागजी दिखावा तस्वीर पर्याप्त है सच दिखाने के लिए

सरयू नहर परियोजना चढा भ्र्ष्टाचार की भेंट

राप्ती नहर परियोजना में जगह जगह पोल कई अथनो पर तट बन्ध कटान से क्षति ग्रस्त

बलरामपुर जिस "सरयू नहर परियोजना" का काम पूरा होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे वर्चुवल देश को समर्पित कर दिया था । जिसका देश के बड़ी चुनौती के तौर पर देखा गया था और इस परियोजना का लाभ कई जनपद के किसानों को मिलने की बात की गई थी। लेखों करोड़ो की लागत से परवान चढ़ा परियोजना विभागीय लापरवाही की वजह से सिर्फ कागजों में चल रही है ।
 
आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि जिस योजना पर करोड़ों सरकारी रुपये फूंक दिए गए । वह परियोजना सिर्फ कागजों में सिंचाई कर रही है । सरकारी अफसरों की कार्य शैली से किसान हैरान और परेशान हैं। आज स्थिति ये है कि इस परियोजना के अंतर्गत बनाई गई नहरें काफी बुरे स्थित में है। मरी हुई हालत में हैं, टूट-फूट गई हैं और उसमें पानी के बदले घास की मौजूदगी शील्ड की सफाई के दावे फेल दिखाई दे रहे ।
 
इसके साथ ही जिला अधिकारी बलरामपुर के यह निर्देश की सभी बांध,नहर,नालो पर मॉनिटरिंग करवा कर सम्बन्धित विभागीय अधिकरियों द्वारा तमाम ऐसे टूटे क्षतिग्रस्त और कटान को सही बरसात से पहले करवाया जाय अन्यथा दोष सिद्ध पर जिम्मेदारों पर कार्यवाही होगी ।लेकिन सरयू नहर परियोजना के अंतर्गत कई जनपद से हो बलरामपुर जनपद में आने वाली नहर जिसमे राप्ती नहर परियोजना से लिंक किया गया
 
जिसका हाल तो यह कि कई स्थानों पर नहर की कटान काफी अधिक होने से तट बन्ध के बहने का खतरा पैदा हो गया है वही कई स्थानों पर नहर पर बने पुल भी साइड की मिट्टी बहने से काफी खराब स्थित में है जबकि ऐसी समस्या तुलसीपुर विकास खण्ड के कई गावो के लिए तबाही का सबब बन सकता है अभी बरसात आरम्भ हुआ है तब यह हाल फिर बरसात के बाद आखिर क्या अंजाम होगा नहरों का और गाव की सुरक्षा पर बड़ा सवाल होगा जबकि तमाम आदेशो का पालन सिर्फ कागजो तक ही सीमित है। 
 
बाकी धरातल की तस्वीर यह साबित करने के लिए पर्याप्त है विभागीय जिम्मेदार अधिकारी डीएम के आदेशों का कितना संज्ञान लेते है औऱ कितना नहरों नालो और बन्धो के साथ नदियों को लेकर कितना समर्पित है और बारिश के पहले क्या नहरों की सुरक्षा को लेकर कार्य किया गया है ।
 
सरकार की एक ऐसी योजना जिसे पूरा होने में चार दशक से भी अधिक लगने के बाद जमीन पर उतरते-उतरते बदहाल हो गई। सरयू नहर परियोजना पूर्वांचल की लाइफ लाइन मानी जाती है। लेकिन भौतिक सत्यापन में काफी खराब स्थित देखी जा रही है ।

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