विभागीय लापरवाही या कमजोर डेप्युटी आरएमओ?
उपयोगी बोरे के भुगतान का बिल अमिता इंडस्ट्रीज ने ही सिर्फ़ प्रस्तुत किया है।
जिस मामले को जिले की डेप्युटी आरएमओ एक दिन में खत्म कर सकती थी वो पिछले चार महीने से वालीबाल की तरह सिर्फ पाला बदल रहा है।
स्वतंत्र प्रभात/अंबेडकर नगर
आज ही का दिन था बस तारीख अलग थी आज तारीख है 4 अप्रैल 2024 तब तारीख थी 4 दिसंबर 2023 जिस दिन सभी क्षेत्रीय विपरण अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से एक चिट्ठी लिखी जाती है कि फर्जी साइन बनाकर कतिपय मिलरो द्वारा भुगतान हेतु बिल प्रस्तुत किया गया है। यहीं से मामला शुरू होता है।
आज से ठीक चार महीनें बाद भी जिस तरीके से खाद्य रशद विभाग और जिले के आला अधिकारियों नें से इस मामलें को उलझाया ऐसा देखने को कम ही मिलता है। जिस मामले को जिले की डेप्युटी आरएमओ एक दिन में खत्म कर सकती थी वो पिछले चार महीने से वालीबाल की तरह सिर्फ पाला बदल रहा है।
Read More Road Markings: सड़क पर बनी सफेद और पीली लाइनों का क्या है मतलब? जानिए ड्राइविंग के जरूरी नियमउपयोगी बोरे के बिल पर साईन असली है या नकली इस पर विभागीय जांच से लेकर मैजिस्ट्रेटी जांच चली लेकिन अभी तक ये पता न कर पाना कि बिल पर असली है या फर्जी ये अपने आप में खाद्य रशद विभाग और विभाग के अधिकारियों पर प्रश्नचिन्ह है।
पूरा मामला ये है –
जिले में खाद्य रशद विभाग की सबसे बड़ी अधिकारी डेप्युटी आरएमओ होता है वो एक दिन में मीटिंग बुलाकर पूछ सकती थी कि प्रस्तुत बिल पर साइन क्षेत्रीय विपणन अधिकारियों द्वारा किया गया है या नहीं। एक से दो दिन में चीजे क्लियर हो जाती सरकारी सिस्टम का दुरुपयोग भी न होता लेकिन विभागीय अधिकारियों की कमजोरी की वजह से मामला बेवजह इतना बढ़ गया कि इसमें जिलाधिकारी को हस्तक्षेप करना पड़ा।

मामला दिनांक 04/12/2023 को SRO को जारी हुई चिठ्ठी से शुरू हुआ जिसमें डीएम साहब ने दिनांक 09/01/ 2024 को अमिता इंडस्ट्रीज के प्रोपराईटर की चिट्ठी पर एडीएम और डेप्युटी आरएमओ को मामले की जांच करने को दिया लेकिन एक महीने बाद जब कोई निष्कर्ष नहीं निकला तो डीएम साहब ने 09/02/2024 मजिस्ट्रेटी जांच बैठा दी। जो अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है।
विश्वस्त सूत्रों द्वारा जानकारी मिली है कि जिस उपयोगी बोरे के भुगतान की ये तमाम जांच चल रही है वो अमिता इंडस्ट्रीज का है क्योंकि उपयोगी बोरे के भुगतान का बिल अमिता इंडस्ट्रीज ने ही सिर्फ़ प्रस्तुत किया है।
वित्त एवं लेखाधिकारी अयोध्या व मजिस्ट्रेटी जांच में अमिता इंडस्ट्रीज के बिल पर हस्ताक्षर असली पाया है चूंकि मामला खाद्य रशद विभाग से जुड़ा है इसलिए इसमें एसडीएम साहब दो बार डेप्युटी आरएमओ को चिट्ठी लिख कर मामले पर विधिक कार्यवाही करने को बोल चुके हैं लेकिन मैडम बस बॉल को अपने पाले से हटा कर दूसरे के पाले में भेजने में मशगूल है। खैर यही हाल विभाग के जिले से लेकर मंडल तक के अधिकारियों तक का है।

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