मंत्री दम्पत्ति जबाव दो, दस साल का हिसाब दो 

मंत्री दम्पत्ति जबाव दो, दस साल का हिसाब दो 

स्वतंत्र प्रभात 
मीरजापुर। नगर के डंकीनगंज स्थित रेस्टोरेंट में पत्रकार वार्ता के दौरान राष्ट्रवादी मंच के संस्थापक मनोज श्रीवास्तव ने पिछले 10 वर्षों में जिले में केन्द्र व प्रदेश की सरकार में मंत्री के रूप में काम करने वाले मंत्री दम्पत्ति से तीखे सवाल किया। कहा कि चुनाव के आते ही वह अपनी सुरक्षा बढ़वा लेते हैं। जब जनता के बीच में जाने का समय होता है तब इन्हें जनता से डर लगता है। आखिर जेड कैटेगरी की सुरक्षा चुनाव के वक्त किसको डराने के लिए है।अब चुनाव आ गया हैं । जनता के बीच किये गये कामों का जवाब देने का वक्त है। इस तरह के आतंक व भय का वातावरण बनाने की कोशिश इनकी हताशा का परिचायक है। बात तो यहाँ तक है कि निजी वार्ता में जिले के दर्जनों जिम्मेदार अधिकारी यह कहते हैं कि इनके काम कराने का ढंग व बात करने का तरीका धमकाने वाला होता है। 
 
कहा कि कमोवेश यही हाल भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ भी है। मैं पूछना चाहता हूँ कि आखिर आम जनमानस से क्या डर है। इन्होनें कुछ काम नहीं किया है केवल काम का ढोंग रचा है। इसलिए जनता को डराना चाहती है। ड्रमण्डगंज में एक व्यापारी पर इनके रिश्तेदार व गुर्गों द्वारा बन्दूक की बट से हमला कर उल्टा  एफ०आई०आर० दर्ज करायी गयी थी। सरकारी इंजीनियरों को बन्द कमरे में बुलाकर उनकी पिटाई करना, उनसे दुर्व्यवहार करना रहा हो या छात्रवृत्ति माँग रहे विद्यार्थियों के साथ उनके मोबाइल फोन छीनकर उन्हें धमकाने, डराने व दुर्व्यवहार करने का कुत्सित प्रयास भी मंत्री दम्पत्ति द्वारा किया गया।
 
कहा कि जिले के सैकड़ों गाँव, मोहल्लों में 100-100 रूपये लेकर आवास के फार्म भरवाये गये । लेकिन उनका यह काम फर्जी निकला। आज भी आवास पाने को तड़प रहे हैं। ऐसे लाखों फार्म भरवाये गये, जो गरीबों के खून पसीने की कमाई के पैसे थे। जिले में जगह-जगह यात्री शेड लगवाये गये जो अकूत भ्रष्टाचार को परिलक्षित करते हैं। आर०टी०आई० कार्यकर्ताओं ने जिसकी जानकारी प्राप्त की यह "टीननुमा यात्री प्रतिक्षालय" कब खस्ता हाल हो गये जनता आज तक पूछ रही है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में रूपये 9.50 लाख प्रति शेड के लगभग खर्च किये गये।
 
मजेदार बात यह है कि सरकारी योजना वाला पक्का मकान ढाई लाख रूपये में बनता है। यह लम्बी खरीद व लूट की कहानी है। जिले के तमाम स्कूलों व अन्य संस्थानों में लाखों रूपये अपनी सांसद निधि से देने की घोषणा करने के बावजूद एक भी रूपया नहीं दिया गया। केवल फर्जी वाहवाही लेने के लिए चिट्ठियां जारी कर दी गयी। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि चुनाव जब नजदीक आया तो शिलान्यासों की लम्बी खेप चलाना शुरू हो गया। लोगों के यहाँ चाय पीने की भी याद आने लगी। यहाँ तक की साल-दो साल पहले हुए मौतों की भी याद उन्हें चुनाव के वक्त आ गयी और संवेदना व्यक्त करने 2-3 साल बाद जाने लगी।
 
जबकि दुनिया की सबसे बड़ी महामारी कोरोना में लॉकडाउन के कारण गरीब, असहाय एवं निर्धन रोज कमाने खाने वाले मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया था । तब यह दंपति छोडकर दिल्ली जा छिपे थे। सांसद द्वारा वर्षों पहले गोद लिये गये गाँव की क्या स्थिति है जनता यह भी जानना चाहती है। वहाँ किसी भी प्रकार की सुविधा का विकास नहीं किया गया है। जिले भर में फर्जी विकास का ढोल पीटा जा रहा है।
 
केन्द्रीय व राजकीय सरकारों द्वारा किये जा रहे विकास कार्यों को अपना बताकर सांसद निधि में किये गये घोर झोल-माल का छिपाने की कोशिश की जा रही है। शहर के नटवाँ स्थित जौनपुर तिरहा के नाम से रेलवे पुल के नीचे का हिस्सा बरसात होते ही भर जाता है। इधर की गाड़ियां g इधर, उधर की गाडियां उधर रह जाती हैं। इसकी 10 वर्षों में भी सांसद को चिन्ता नहीं हुयी। उनके प्रयासों से किये गये कार्यों का शिलापट्ट जनता ढूँढ रही है। इनके गुर्गे विद्यालयों व सार्वजनिक स्थलों की जमीन पर कब्जा करने का अलग से धंधा चला रहे हैं।
 
जिसकी शिकायत करने पर यह खुद शिकायतकर्ताओं पर खफा हो जाती हैं। जो समझा जा सकता है कि ऐसे कृत्यों पर भी इनका पूरा संरक्षण है। लूट के माल से गिफ्ट बॉटकर जनता को लुभाने की नाकामयाब कोशिश की जा रही है। कहीं कप के सेट बॅट रहे हैं, कहीं साइकिल, तो कहीं मोटर साइकिल, जनता सवाल कर रही है कि आखिर विकास किसका हुआ। 
 
अन्य जन प्रतिनिधियों के कराये जा रहे विकास कार्यों को भी अपना बताकर जबरन मीडिया में चिट्ठियों को जारी कर दूसरों के कार्यों को अपना बताना उनका मुख्य कार्य हो गया है। इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता रविशंकर साहू, मनोज दमकल, शैलेंद्र अग्रहरी  राजेश सिन्हा, जितेंद्र यादव, आनंद अग्रवाल, दीपक श्रीवास्तव हरिहर प्रसाद सिंह, छेदी लाल साहू एवं बिट्टू अग्रहरि , पवन अग्रहरि,आदि उपस्थित थे।

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