ग्राम  सभा सुन्दरवल में सरकारी तालाब की जमीन पर दिन-दहाड़े कब्जा, जिम्मेदारों ने साधी संदिग्ध चुप्पी

प्रशासनिक अफसरों की खाऊ कमाऊ नीति के चलते तालाब को पाटकर बनाई गई दुकानें

ग्राम  सभा सुन्दरवल में सरकारी तालाब की जमीन पर दिन-दहाड़े कब्जा, जिम्मेदारों ने साधी संदिग्ध चुप्पी

काश इस अवैध कब्जे पर चल जाता बाबा का बुलडोजर और की जाती अवैध कब्जा धारक के विरुद्ध कठोर कार्यवाही

स्वतंत्र प्रभात 
लखीमपुर-खीरी। जहां एक और उत्तर प्रदेश के सरकार और मुख्यमंत्री सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से शासकीय संपत्तियों के अवैध कब्जों के खिलाफ जनता को जागरुक करते हुए विभिन्न पोर्टल और शासकीय नंबर जारी कर रहे हैं ताकि जनता सीधे सरकार को अन अवैध कब्जेदारों के संदर्भ में सूचना दे सके वहीं दूसरी तरफ इसी यूपी का खीरी जिला अजब गजब है कारनामे दिखा रहा है। प्रदेश सरकार का प्रशासन टीवी विज्ञापन व समाचार पत्रों के जरिए प्रदेश की छवि चमकाने में जुटा है लेकिन प्रदेश में रसूखदार लोगों ने जिस तरह अफसरों से साठ-गांठ कर बड़े पैमाने पर बेशकीमती जमीनों पर अवैध कब्जा किया है, उसमें उत्तर प्रदेश वाकई अजब-गजब नजर आता है।
 
जानकारी मुताबिक फूलबेहड क्षेत्र के गांव सुन्दरवल में समिति सचिव के नाम से विख्यात भू-माफियाओं के अवैध कब्जे से हर कोई परेशान है जानकारी मुताबिक कई लोगों ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन और तहसील प्रशासन से की, लेकिन हाकिम की उदासीनता कहे या फिर मिलीभगत फिलहाल अवैध कब्जादारो पर कार्रवाई ढाक के तीन पात की तरह ही रही।
 
काश, बाबा का बुलडोजर एक बार ब्लाक फूलबेहड के गांव सुन्दरवल में भी चल जाता दरअसल, दबंग भू माफियाओं ने प्रधान व राजस्व विभाग के जिम्मेदारों को अपने पाले में मिलाकर पंचायत की बेशकीमती  तालाब कीजमीन पर  रातोंरात  दूकाने बनाकर अपने कब्जे मे लिया है। इस प्रकरण को लेकर शिकायतें भी की गई लेकिन अवैध कब्जाधारियों से उक्त सरकारी जमीनों को मुक्त कराने में प्रशासन विफल दिख रहा।
नतीजतन ग्राम प्रधान समेत तहसील के कर्मचारियों की भी बड़ी भूमिका है। सभी साक्ष्य सामने होने के बाद भी अवैध कब्जा हटाने की दिशा में तहसील प्रशासन की ओर से कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया जा रहा है।
 
 
जमीनों पर कब्जेदारो के पास नहीं हैं स्वामित्व संबंधी कोई दस्वावेज
 
सुन्दरवल गांव के स्थानीय लोगो ने नाम न छापने की शर्त पर दबी जुबान में मुस्कुराते हुए बताया कि इस समय गांव में ग्राम प्रधान सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कराकर चांदी काट रहा है अगर प्रशासन निष्पक्ष जांच कर दे तो ग्राम प्रधान समेत अन्य ( अवैध कब्जा धारक) लोग सरकारी भूमि पर अपना अधिकार जमाए कब्जेदार स्वामित्व संबंधित अभिलेख नहीं दिखा पाएंगें ।फिलहाल यह लोग गिरोह बनाकर इसी तरह सरकार की बेशकीमती जमीनों पर अवैध कब्जा करते हैं।
 
__एक तरफ कार्यवाही तो दूसरी ओर कब्जे का खेला...
 
एक ओर जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा करने वालों पर बुलडोजर की कार्रवाई कर सरकारी जमीनों को कब्जा मुक्त कराया जा रहा है तो वहीं, दूसरी ओर लखीमपुर खीरी की तहसील के गांव सुन्दरवल में ही ग्राम प्रधान व लेखपाल की जुगलबंदी से खुलेआम दबंगों द्वारा जमीन कब्जाई जा रही है। बता दें कि जिला प्रशासन ने अब तक एंटी भू-माफिया अभियान के तहत तालाब, चरागाह, ऊसर, बंजर जैसी सरकार की बेशकीमती जमीनें भू-माफियाओं से कब्जामुक्त कराई है। जिसकी कीमत करोड़ों रुपये है, लेकिन फूलबेहड क्षेत्र के गांव सुन्दरवल में सरकारी ,तालाब की भूमि पर कब्जा संबंधी शिकायत करने के बाद सरकारी जमीन समेत तालाब की जमीन  बेचने वाले प्रधान  तहसील कर्मियों समेत दबंग भू-माफियों पर कार्रवाई नहीं हुई क्योकि इन तालाब व अन्य भूमि समेत बेशकीमती सरकारी जमीनों पर बने मकान, दुकानें बने है। 
 
सरकारी जमीन के कब्जेदारो की शिकायतें जैसे जैसे वैसे वैसे ऊंचे रसूखदारों के दबाव व धन-बल की परते खुलती जा रही इससे साफ जाहिर होता कि प्रधान  समेत कब्जेदार अशोक मिश्रा सचिव साधन सहकारी समिति लि सरवा व अन्य लोगों  की बेचैनी बढ़ रही है ।फिलहाल सुन्दरवल प्रधान  व सरकारी मशीनरी का फायदा उठाकर ग्राम पंचायत सुंदरवल कस्बा में सड़क के किनारे पर स्थित तालाब  को पाटकर उसपर चार दुकाने खड़ी कर दी है। फिलहाल अवैध कब्जाधारियों की फेहरिस्त लंबी है सरकारी जमीन हड़पने का नया अध्याय खुला है जिम्मेदारो की सरपरस्ती में अशोक मिश्रा ने ने तालाब में व्यावसायिक दुकाने खड़ी कर दी है। भूमाफिया सरकार की बेशकीमती जमीनों को अपनी पुस्तैनी जमीन समझकर उस पर अवैध कब्जा कर  दुकानें बनाकर कब्जा ली है ।सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक ग्राम प्रधान समेत गांव के प्रभावशाली लोगों ने करोड़ों की जमीन कब्जा ली है ।जो एक निष्पक्ष जांच का विषय है यह जानते हुए जिम्मेदार उच्चाधिकारियों को सच से अवगत कराने की बजाय दूसरे गाटा नंबर की पैमाइश व चिन्हीकरण कर गुमराह करने में जुटे हुए है।
 

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