आखिर इकबाल को जाना ही पड़ा वीरा के लिए
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आखिर में मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को उनके अपने प्रिय मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को अलविदा कहना ही पड़ा। मुख्यमंत्री तीसरी बार भी बैंस को इसी पद पर रखकर एक और पारी खेलना चाहते थे। अब हारकर उन्हें नारी शक्ति की वंदना करते हुए श्रीमती वीरा राणा को मप्र के मुख्य सचिव के रूप में स्वीकार करना पड़ा है।बुधवार देर रात वीरा के नाम पर मुहर लग गई ।
मुख्य सचिव इकबाल का कार्यकाल 30 नवंबर को पूरा हो रहा है । बुधवार तक उनके तीसरे एक्सटेंशन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है । केंद्र सरकार के शायद हाथ बंधे हुए थे। कांग्रेस ने बैंस के एक्सटेंशन का जमकर विरोध किया था । इसे देखते हुए निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में उपलब्ध सबसे सीनियर आईएएस वीरा राणा के नाम पर अनुमति दी । वे प्रदेश के इतिहास में दूसरी महिला मुख्य सचिव होंगी । उनसे पहले निर्मला बुच मुख्य सचिव रह चुकी हैं ।
वीरा राणा भारतीय प्रशासनिक सेवा 1988 बैच की महिला अधिकारी है। मै उन्हें शुरू से जानता हूं। वे मुझे नहीं जानतीं होंगी ये अलग बात है।वीरा जी के पति संजय राणा एक जमाने में ग्वालियर के एडीशनल एसपी होते थे और वीरा राणा भी एक कनिष्ठ प्रशासनिक पद पर तैनात थीं। संजय राणा बाद में ग्वालियर रेंज के आईजी बने और वीरा राणा भी तब एक बड़े विभाग की प्रमुख बनकर ग्वालियर आईं।
एक महिला प्रशासनिक अधिकारी के रूप में वे सुसंस्कृत, सौम्य और व्यावहारिक रहीं, लेकिन अपने पति से भिन्न उनकी छवि एक लौह महिला की रही।वे न एकदम शुष्क हैं और न एकदम मृदुल। कोई उन्हें आसानी से प्रभावित नहीं कर सकता। मंत्री, विधायक भी नहीं। उन्होंने अपनी पदस्थापना के लिए शायद कभी किसी राजनीतिज्ञ को अपना आका नहीं बनाया।इसका उन्हें जितना लाभ हुआ उससे ज्यादा खमियाजा भुगतना पड़ा।
वीरा राणा जिस पद पर रहीं वहां उन्होंने अपनी योग्यता और क्षमता को प्रमाणित भी किया।उदाहरण अनेक हैं। जहां बात मान सम्मान पर आई वहां वीरा झुकीं नहीं, टकरा गई, भले ही सामने नौकरशाही हो या सरकार। श्रीमती निर्मला बुच के बाद वे प्रदेश की दूसरी महिला प्रशासनिक अधिकारी है जो मुख्य सचिव के पद तक पहुंचीं,वो भी बिना किसी जोड़-तोड़ के।
वीरा राणा मेरी हम-वतन है, उत्तर प्रदेश से हैं। उम्र में मुझसे पांच साल कनिष्ठ हैं। लेकिन उनका जन्मदिन मुझसे एक महीने पहले आ जाता है।श्रीमती वीरा राणा मुझसे ज्यादा शिक्षित है। उन्होंने बैचलर ऑफ़ आर्ट्स के बाद एमबीए भी किया है।
मध्य प्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव का नाम श्रीमती निर्मला बुच की ही तरह वीरा राणा का कार्यकाल लंबा रहने वाला नहीं है। वे मार्च 2024 में सेवानिवृत्त हो जाएंगी। आपको याद होगा कि वीरा राणा से पहले श्रीमती निर्मला बुच को भी ज्यादा समय नहीं मिला था।वे 22 सितंबर 1991 से 1 जनवरी 1993 तक ही पद पर रह सकीं थीं। वीरा राणा को इकबाल सिंह बैंस की तरह ' एक्सटेंशन ' मिलेगा इसमें मुझे संदेह है, क्योंकि वीरा राणा बैंस की तरह किसी की कठपुतली नहीं बन सकतीं।
श्रीमती वीरा राणा मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल की अध्यक्ष, मध्य प्रदेश राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी, खेल और युवा कल्याण विभाग की एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, प्रशासन अकादमी में महानिदेशक, कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं।
श्रीमती वीरा राणा मध्य प्रदेश के विदिशा और जबलपुर , महासमुंद की कलेक्टर भी रहीं। वीरा राणा के सामने चुनौती ही चुनौती है। भाजपा की सरकार बने या कांग्रेस की उन्हें दोनो दलों की सरकारों के काल्पनिक घोषणापत्रों को वास्तविक बनाना होगा,वो भी तब जब कि सरकारी खजाना खाली है और सरकार कर्ज के बोझ से दबी है। पुरुष प्रधान समाज की नौकरशाही एक अलग समस्या है, लेकिन उम्मीद की जाना चाहिए कि वीरा राणा अपने वीरोचित व्यवहार से इन चुनौतियां पर पार पा लेंगी।
राकेश अचल
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