उच्च अधिकारियों ने नहीं परखी जमीनी हकीकत, खामियाजा भुगत रहे ग्रामीण
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अमृतपुर /फर्रुखाबाद। पिछले पंचायत कार्यकाल में विधानसभा अमृतपुर को कागजों में स्मार्ट विलेज का दर्जा भी मिल चुका है। परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही दर्शा रही है। गांव की मुख्य मार्गों पर गंदगी के अंबर हैं। सड़के पानी से लबालब है। कीचड़ भरा हुआ है। पानी निकलने का कोई भी रास्ता नहीं है। सीसी रोड बनाया गया उसके दोनों तरफ नाली भी प्रस्तावित हुई। परंतु ना तो नाली बनी और ना ही नाली की कोई रूपरेखा दिखाई दी। जिसके चलते कस्बे तक पहुंचने वाली इस सड़क पर जल भराव की स्थिति काफी गंभीर हो चुकी है।
यहां से निकलना दुभर हो चुका है। बाजार आने वाले और वापस जाने वाले लोग इस कीचड़ से निकलकर जाने के लिए मजबूर है। बच्चे स्कूल पहुंचने से पहले ही इस कीचड़ भरे पानी से निकलते समय फिसल जाते हैं। जिनकी ड्रेस अक्सर खराब हो जाती हैं बस्ते पानी में भीग जाते हैं। इसी रोड पर अंग्रेजी शराब का ठेका है। यहां आने जाने वाले शराबियों का ताता लगा रहता है। कुछ ही दूरी पर सामने तीन विद्यालय हैं। जूनियर प्राइमरी एवं कन्या विद्यालय जिससे उनकी दूरी मात्र कुछ मीटर की है। जब शराबी शराब के नशे में झूमते लहराते हुए यहां से निकलते हैं तो बच्चे डर भी जाते हैं और उनके मानसिक विकास पर दुष्प्रभाव भी पड़ता है।
समाज के जागरूक लोगों ने अधिकारियों तक अपनी बात भी पहुंचाई। संपूर्ण समाधान दिवस में लिखित फरियाद भी की गई। कई बार विद्यालय प्रांगण में जिलाधिकारी से लेकर अन्य उच्च अधिकारी तक अपने कार्यक्रम आयोजन में शामिल हुए। लेकिन उन्होंने ना इस गंदगी की तरफ ध्यान दिया और ना ही विद्यालय की चंद कदम की दूरी पर चलने वाले इन शराब ठेके के संचालक पर ही गौर किया। सड़के टूटी पड़ी हुई है।
सड़कों पर पानी ही पानी दिखाई दे रहा है।विकास के लिए विधानसभा अमृतपुर तरस रहा है।उच्च अधिकारियों द्वारा कागजों पर कस्बा अमृतपुर को स्मार्ट विलेज का दर्जा भी दिया गया था।पूर्व प्रधान को राम मनोहर लोहिया पुरस्कार भी दिया जा चुका है।जमीनी हकीकत कभी भी अधिकारियों ने नहीं परखी।जिसका खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं।ग्रामीण पानी में घुसकर व टूटी सड़कों पर ही निकलने को मजबूर है।उच्च अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने हुए है।
जिसके कारण ग्रामीणों का आवागमन बाधित हो रहा है।अमृतपुर विधानसभा होते हुए भी सुविधाओं के लिए तरस रहा है।अमृतपुर में कोई भी रोडवेज बस स्टैंड नहीं है।न ही एटीएम मशीन की कोई अच्छी सुविधा है। जनप्रतिनिधि भी इस और कोई ध्यान नहीं दे रहे है।चुनाव आते ही यहां की जनता को विकास के कई सपने दिखाते हैं। अमृतपुर में बच्चों के लिए खेलने का कोई भी मैदान नहीं है।
यहां बैंकों में भी ग्रामीणों को कई घंटे लाइन में लगना पड़ता है।मुख्य सड़क पर ही सरकारी देसी व अंग्रेजी शराब तथा बियर का ठेका है तथा ठीक उसके सामने विद्यालय बना हुआ है।विद्यालय के चारों ओर शराब की बोतल पड़ी हुई है।जिनका बच्चों पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। एक तरफ सरकार युवाओं को नए-नए रोजगार देने के उपाय बता रही है तथा लगातार शिक्षा पर जोर देने के लिए प्रयास कर रही है।वहीं दूसरी तरफ विद्यालय के समीप शराब का ठेका है लेकिन उस पर प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
कुछ समाजसेवियों नें बताया है कि विद्यालय के समीप शराब का ठेका होने के कारण बच्चों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। शाम को सभी शराबी लाइन में लगकर शराब खरीदते हैं तथा वहीं पर खड़े होकर पीते है फिर आपस में लड़ाई झगड़ा व गाली गलौज करते हैं। इसके कारण बहू बेटियों का निकलना मुश्किल हो जाता है।पुलिस प्रशासन भी मौके पर नहीं आता है।सड़क पर भर रहे पानी के संबंध में ग्राम प्रधान सचिन देव तिवारी ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह को लिखित प्रार्थना पत्र भी दिया है।
इसके बाद केवल एक बार जाँच हुई लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गयीं। अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है।जिसके कारण आवागमन को लेकर समस्या उत्पन्न हो रही है।जब सफाई के संबंध में ग्राम प्रधान से बात की गई तो उन्होंने बताया है कि सफाई कर्मचारी को लेकर उन्होंने संपूर्ण समाधान दिवस में लिखित प्रार्थना पत्र दिया है। साफ सफाई को लेकर चलाए जा रहे हैं अभियान धरातल पर कम और कागजों में अधिक दिखाई दे रहे हैं।
अमृतपुर विधानसभा के भाजपा विधायक सुशील कुमार शाक्य को भी इन समस्याओं से अवगत कराया गया परंतु उन्होंने भी इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। क्षेत्रीय जनता समस्याओ को लेकर पहले से ही काफी परेशान है। अब इन समस्याओं की तरफ ग्राम प्रधान द्वारा उठाई गई आवाज को भी नहीं सुना जा रहा है। ऐसे में ग्रामवासी इस गंदगी से निकलने और इससे उत्पन्न होने वाली संक्रामक बीमारियों से लगातार जूझ रहे हैं।
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