क्या आप अपने "आधार" को लेकर संतुष्ट है: मूडीज

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दुनिया की जानी-मानी रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के आधार सिस्टम की सुरक्षा और गोपनीयता की कमजोरियों पर चिन्ता जताई है। भारत में आधार एक केंद्रीय पहचान प्रणाली है। आधार सिस्टम के तहत अक्सर सर्विसेज का पूरा लाभ नहीं मिलता है। कई बार सर्विसेज अस्वीकार हो जाती हैं। 

भारत के गरम मौसम में इसका बॉयोमीट्रिक सिस्टम विश्वसनीय ढंग से काम नहीं कर पाता है। रिपोर्ट में इस पर विस्तार से जानकारी दी गई है। भारत में आधार सिस्टम के फिंगरप्रिंट या आईरिस स्कैन और ओटीपी जैसे विकल्पों से सर्विसेज देने वाली एजेसियां किसी भी शख्स का सत्यापन कर लेती है।

 इनमें सरकारी और प्राइवेट दोनों ही एजेंसियां शामिल हैं। सत्यापन के बाद ही वो शख्स उस सेवा का लाभ उठा सकता है। लेकिन मूडीज का कहना है कि सत्यापन के दौरान तमाम तरह की बाधाएं आती हैं। जिसमें अथराइजेशन और बॉयोमीट्रिक की विश्वसनीयता चिन्ता पैदा करने वाली है।

मूडीज के हवाले से कहा गया है कि आधार सिस्टम के समय-समय पर काम न कर पाने, सेवाएं बाधित होने की वजह से उस गरीब तबके को ज्यादा नुकसान होता है। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार और बैंकों ने कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को पैसा सीधे ट्रांसफर करने सहित कई सेवाओं के लिए आधार की पहचान प्रणाली को अपनाया है। 

सरकार ने अब कहा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा) योजना के तहत मजदूरों को भुगतान भी आधार आधारित सिस्टम से किया जाएगा। मनरेगा के तहत काम करने वालों से कहा गया है कि वे आधार सिस्टम से पेमेंट लेने के लिए 31 दिसंबर तक अपना पेमेंट सिस्टम बदल लें। मनरेगा के तहत मजदूरों को उनके आसपास के इलाकों में दिहाड़ी पर काम मिल जाता है। लेकिन आधार सिस्टम का भारत में जो हाल है, उससे आशंका है कि मनरेगा के मजदूरों को समय पर भुगतान ही नहीं मिल पाएगा। 

अब तक पांच बार मनरेगा के मजदूरों को आधार आधारित पेमेंट पर स्विच करने की समय सीमा बढ़ चुकी है। इससे यही संकेत मिलता है कि ज्यादातर मजदूर इस पेमेंट सिस्टम पर जाना ही नहीं चाहते। देश में आधार का ऑपरेशन भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) चलाता है। 

आधार यह कह कर लाया गया था कि हाशिए पर रह रहे लोगों को सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ मिल सके, इसलिए एक केंद्रीय पहचान प्रणाली का होना जरूरी है। लेकिन मूडीज का कहना है कि भारत के गर्म मौसम में आधार सिस्टम कई सर्विसेज पर सेवा देने से मना कर देता है। ऐसे में आधार के बॉयोमीट्रिक सिस्टम की विश्वसनीयता कम हो जाती है या संदिग्ध हो जाती है। 

मूडीज ने 23 सितंबर को "विकेंद्रीकृत वित्त और डिजिटल संपत्ति" पर एक रिपोर्ट जारी की है। उसमें आधार को "दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल आईडी कार्यक्रम" बताया गया है। उसके मुताबिक बॉयोमीट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा वाला आधार भारत के 1.2 बिलियन से अधिक लोगों को एक यूनीक (अद्वितीय) नंबर प्रदान करता है। यह नंबर ही उस व्यक्ति की पहचान होती है।

रेटिंग एजेंसी ने आधार और एक नए क्रिप्टो-आधारित डिजिटल पहचान टोकन जिसे वर्ल्डलाइन कहा जाता है, को दुनिया के दो बेहतरीन डिजिटल आईडी सिस्टम बताया है। लेकिन मूडीज़ ने यह भी कहा कि इनकी गोपनीयता और सुरक्षा चिन्ता पैदा करने वाली हैं, खासकर प्राइवेसी की चिन्ता ज्यादा है।

रिपोर्ट के मुताबिक मूडीज ने इस बात पर जोर दिया है कि आधार जैसी आईडी प्रणाली खास संस्थाओं के साथ जुड़ी हुई हैं, ऐसे में डेटा चोरी का जोखिम बड़ा है। क्योंकि तमाम एजेंसियों को आधार का डेटा एक्सेस मिल जाता है। खास जानकारी के बजाय उस शख्स की सारी जानकारी उन खास संस्थाओं तक पहुंच जाती है, जबकि उसे सिर्फ कोई एक जानकारी चाहिए थी। 

मूडीज ने इसकी जगह ब्लॉकचेन क्षमताओं पर आधारित डिजिटल वॉलेट जैसे विकेंद्रीकृत आईडी (डीआईडी) सिस्टम को बढ़ावा देने की वकालत की है। डीआईडी पर इसका इस्तेमाल करने वालों को अधिक नियंत्रण मिलता है। उनका निजी डेटा सुरक्षित रहता है और ऑनलाइन धोखाधड़ी की आशंका को कम कर देता है।

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