
अजीबोगरीब घटना : माँ बेटे की एक चीते पर हुआ अंतिम संस्कार
माँ से मिली प्यार नही सह पाया पुत्र मां की मौत के सदमें में बेटे की भी हो गई मौत
बिहार : बगहा के चौतरवा थाना क्षेत्र के गांव सीतापार की घटना
ब्यूरो नसीम खान 'क्या'
बगहा। मां के निधन सुनकर बेटे की मौत हो गई। दरअसल शनिवार की दोपहर बाद मां की मौत की सूचना बेटे को जैसे ही मिली कुछ ही समय बाद बेटे की भी मौत हो गई। बताया जा रहा है की चौतरवा थाना स्थित सीतापार गांव के स्वर्गीय सुखल पंडित की 108 वर्षीय पत्नी बेला देवी की मौत हो गई। पटीदार और ग्रामीणों के सहयोग से अर्थी को सजाया जाना लगा। अंतिम संस्कार के लिए सभी रिश्तेदार पहुंचने लगे और सभी तैयारियां पूरी कर जैसे ही श्मशान घाट पर लोग निकलने के लिए तैयार हुए तभी बेटे के भी मौत हो गई। मृतक के चचेरे भाई नथुनी पंडित ने बताया कि 77 वर्षीय पारस जैसे ही मां की मौत की सूचना सुने एक चारपाई पर जाकर सो गए। जब सभी लोग श्मशान घाट जाने लगे तो मैं भी पारस पंडित को बुलाने के लिए गया, लेकिन उसके पहले माँ की सदमा सुनकर माँ के साथ पुत्र भी गो लोकवासी हो चुके थे। दोहरी घटना सुनकर परिवार और टूट गया सभी लोग चीखने चिल्लाने लगे। पुनः दूसरी अर्थी भी तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो गई और एक साथ मां और बेटे की एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया।
पारस पंडित की एक थी पुत्री
बताया जा रहा है कि 55 वर्ष पहले पारस पंडित की शादी हुई थी। शादी के कुछ ही दिनों बाद एक लड़की हुई थी और समय आने पर पुत्री की शादी धूमधाम से किया था लेकिन शादी के कुछ ही साल बाद ही बेटी भी मां और पिता का साथ छोड़कर चली गयी।
बेटे पर थी मां की ममता का आंचल
बताया जा रहा है कि मां बेटे एक साथ रहते थे। 15 वर्ष पहले पारस पंडित के पत्नी की भी देहांत हो चुकी है और माँ बेटे एक साथ रहते थे जो चर्चा का विषय बन गया है एक अर्थी पर सजी मां बेटे की जिंदगी। यह घटना चारो तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है। हर तरफ चौक चौराहे पर इसी को लेकर चर्चा हो रही है।
एक साथ मां बेटे की मौत बनी चर्चा का विषय
एक साथ मां और पुत्र की मौत की चर्चा में अब तक पुत्र के मरने की सूचना सुनते ही मां को मरते सुना गया था। लेकिन मां के मरने की सूचना सुनकर पुत्र का मर जाना यह अजीबोगरीब घटना हुई है। बताया जा रहा है कि 77 साल के उम्र में भी पारस अपने मां का काफी ख्याल और प्यार करते थे। खुद से ही अपना सब कुछ काम कर लिया करते थे। वही मां के दैनिक कामों में भी हाथ बताया करते थे।
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