श्मशान की जमीन पर कब्जा कराकर लाखों वसूले जाने के आरोप
दोषी सिद्ध होने के बावजूद लेखपाल कैलाश वर्मा को बचाने में जुटा तहसील प्रशासन
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लखीमपुर खीरी। सरकार के लाखों प्रयासों के बाद भी सरकारी जमीनों पर से अवैध कब्जा हट नहीं पा रहा है इसका प्रमुख कारण क्षेत्रीय लेखपालों की मनमानी और धन लोलुपता सामने आ रही है चंद्र समय में अकूत धन हासिल करने की हसरत में अवैध कब्जा हटवाने की बजाय भू माफियाओं की ताल पर थिरकते हुए सरकारी जमीनों पर कब्जा करवाते देखे जा सकते हैं ऐसे कई मामले तहसील लखीमपुर में मुंह फैलाए खड़े हैं।
जो भ्रष्टाचार होने की पोल खोलने को काफी है पहला मामला तहसील लखीमपुर में विगत 11 वर्षों से तैनात भ्रष्टाचार कर अकूत संपत्ति बनाने तथा सरकारी जमीनों व तालाबों मरघट की जमीन पर भू माफियाओं को कब्जा कराने के लिए चर्चित लेखपाल कैलाश वर्मा का है इनके द्वारा शहर में तैनाती के दौरान कई तालाबों को पटवा कर उनके आकार व स्वरूप को समाप्त कराकर भू माफियाओं को सौंप देने के कई आरोप लगे हैं।
कई में जांच लंबित है कई शिकायतों की जांच में आरोपों की पुष्टि भी हुई है उसके बावजूद तहसील प्रशासन ने इनके विरुद्ध दंडित कार्यवाही करने की बजाय मात्र स्थानांतरण कर मामले को रफा-दफा करने में लगा है कैलाश वर्मा की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही एक जांच पूरी नहीं हो पाई दूसरा मामला सामने आ जाता है इसी क्रम में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है। जिसमें अजय मोटर्स के निकट पड़ी सीलिंग की जमीन को शहर के एक कथित समाजसेवी व पूर्व बसपा नेता के हाथों में सौंप कर अपनी तिजोरी भर लिए जाने के आरोप लगाए गए हैं।
वहीं दूसरा मामला उदयपुर महेवा में श्मशान के नाम दर्ज जमीन पर कैलाश वर्मा द्वारा भारी रिश्वत राशि लेकर लोगों को कब्जा करवाकर पक्के मकान तक बनवा डाले गए शायद इनके लिए उच्च न्यायालय एवं मुख्यमंत्री के आदेश कोई मायने नहीं रखते हो इनके कारनामों का काला चिट्ठा दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है यदि एसडीएम साहिबा ले मामले का संज्ञान और एक जांच टीम गठित कर कराएं निष्पक्ष जांच तो सैकड़ों बीघा सरकारी जमीनों पर कराए गए।
इनके द्वारा अवैध कब्जे का खुलासा होगा साथ ही साथ इनकी रिश्वतखोरी भी खुलकर सामने आएगी लोगों की मानें तो जब कई मामलों में आरोपों की पुष्टि हो चुकी है तो इनके विरुद्ध दंडात्मक एवं विभागीय कार्यवाही करने में आखिर विलंब क्यों कर रहे जिम्मेदार इस यक्ष प्रश्न का उत्तर तहसीलदार से लेकर एसडीएम श्रद्धा सिंह के पास भी ढूंढे नहीं मिल पा रहा है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
इस संबंध में जब उपजिलाधिकारी श्रद्धा सिंह से फोन द्वारा जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि शमशान घाट पर बने मकानों के विरुद्ध तहसीलदार न्यायालय में मुकदमे लंबित है उसमें निर्माण कार्य रुकवा दिया गया है और सभी बच्चों को नोटिस जारी की गई है नोटिस की समय सीमा पूर्ण होने पर उक्त के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी और लेखपाल पर लग गई आरोपों की जांच कराई जा रही है। आरोप सिद्ध होने पर कार्यवाही की जाएगी।
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