राज्य स्तरीय किसान मेले का कृषि विश्वविद्यालय के छात्र आज बहिष्कार कर, कृषि मंत्री को सौंपेंगे ज्ञापन

राज्य स्तरीय किसान मेले का कृषि विश्वविद्यालय के छात्र आज बहिष्कार कर, कृषि मंत्री को सौंपेंगे ज्ञापन

स्वतंत्र प्रभात 

मिल्कीपुर, अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज के छात्र छात्राओं ने आज से शुरु हो रहे विश्वविद्यालय परिसर के किसान भवन मैदान में दो दिवसीय राज्य स्तरीय किसान मेले का बहिष्कार करने का निर्णय लेते हुए छात्र प्रशासनिक भवन के सामने धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान मेले का उद्घाटन करने आ रहे प्रदेश के कैबिनेट कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को छात्र ज्ञापन सौंपेंगे। छात्रों के इस फैसले के बाद से विश्वविद्यालय प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

बृहस्पतिवार देर शाम से ही विश्वविद्यालय में अध्ययनरत छात्र मानसी श्रीवास्तव, तनीष सिंह, कंचन, सुप्रिया, अविनाश कुमार साही, शैलेश प्रजापति, विकास यादव, अजय कुमार बरोलिया, निक्की चौधरी रिषव सिंह सहित विश्वविद्यालय के हजारों की संख्या में छात्रों ने समाज कल्याण विभाग द्वारा रोकी गई छात्रवृत्ति न बहाल करने की स्थिति में बहिष्कार का ऐलान किया है।
वही विश्वविद्यालय प्रशासन के प्रयास के बाद भी समाज कल्याण विभाग द्वारा छात्रों की रोकी गई छात्रवृत्ति पर कोई आश्वासन नहीं दिया गया और न ही बंद पड़े पोर्टल को ही चालू किया गया। 
विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार प्रोफ़ेसर एपी राव ने छात्र छात्राओं से कहा कि किसान मेले का आयोजन किया गया है जो आपके विश्वविद्यालय का है आप लोगों के छात्रवृत्ति प्रतिपूर्ति दिलाने के लिए पत्राचार किया जा रहा है आप लोग धरना प्रदर्शन बंद कर दीजिए। आक्रोशित छात्रों ने जवाब देते हुए कहा कि यह मेला छात्र- छात्राओं के लिए नहीं लगाया गया है। इतना ही नहीं छात्रों ने यह भी कहा कि किसान मेला  तो 26 जिलों के किसानों, कृषि विभाग के प्रसार एवं विभाग के अधिकारियों की एक नई तकनीकी के प्रदर्शन के लिए लगाया गया है। इस मेले से हम लोगों का भला होने वाला नहीं दिखाई दे रहा है। छात्र छात्राओं का कहना है कि स्कॉलरशिप के कुल 1634 छात्र छात्राएं शामिल है। जिनमें से अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को लगभग 90 हजार स्कॉलरशिप प्राप्त होती है। अगर छात्रों को स्कॉलरशिप प्राप्त नहीं हुई तो छात्र अपनी अग्रिम वार्षिक शुल्क जमा करने में असमर्थ होंगे। साथ ही छात्रों ने यह भी बताया कि विश्व विद्यालय प्रशासन ने खुद इस गलती को स्वीकार किया है।

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