जनता कर रही सवाल साहब आखिर क्यों नहीं करा रहे टाटा केयर अस्पताल की जांच

टाटा केयर अस्पताल के रसूख के आगे आखिर क्यों बौना साबित हो रहा है। स्वास्थ्य महकमा!

जनता कर रही सवाल साहब आखिर क्यों नहीं करा रहे टाटा केयर अस्पताल की जांच

स्वतंत्र प्रभात 
 
लखीमपुर खीरी- भले ही सुबे के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक स्वास्थ्य महकमे को लेकर कितने भी औचक निरीक्षण कर लें और गरीबों को स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर से बेहतर प्राप्त हो इसके लिए कितने भी भरसक प्रयास कर ले परंतु जिला खीरी में जिला स्तरीय अधिकारी इनके मंसूबे पर पानी फेरने से बाज नहीं आ रहे।
 
फिर चाहे जनपद में गैर पंजीकृत अस्पतालों की संख्या अनगिनत हो जाना हो, प्राइवेट अस्पतालों द्वारा मरीजों का दोहन या फिर नियम विपरीत तरीके से मरीज को भर्ती कर लाभ कमाने के मामले हो जनपद खीरी सब में अव्वल स्थान पर जाता देखा जा सकता है।
 
और विभाग कार्यवाही के नाम पर झुनझुना बजाता नजर आ रहा है जिसके चलते आए दिन जनपद में कहीं ना कहीं से जच्चा-बच्चा की मौत की खबरें प्रकाश में आती हैं परंतु किसी अपने को खो जाने का दर्द सिर्फ परिवार वाले ही समझ सकते हैं स्वास्थ्य महकमा नहीं वरना जिला स्तर पर बैठे अधिकारी अब तक फर्जी अस्पतालों पर कार्यवाही कर एक नजीर बना चुके होते हैं। किसी अप्रिय घटना घटने के बाद ही स्वास्थ्य महकमा जागता है।
 
और किसी अपने को खो देने के बाद शिकायती पत्र के सहारे फर्जी अस्पताल बंद हो जाते हैं यह हम नहीं कह रहे पिछले कुछ आंकड़े ही बता रहे हैं। ताजा मामला नहर रोड पर स्थित टाटा केयर अस्पताल का है। जहां थाना हरगांव क्षेत्र के मौर्य नामक व्यक्ति उम्र लगभग 28 वर्ष जो कि घर में किसी कारण से जहर खा लिया था जिसको बिना पुलिस को सूचना दिए ही नियम विपरीत तरीके से अस्पताल में इलाज कर लंबा चौड़ा बिल बनाकर नियम कायदे को ताक पर रख अस्पताल संचालक अपना लाभ करने में जुटे हैं। सारी जानकारी एडिशनल सीएमओ को दिए जाने के बाद साहब ने बताया हम छुट्टी पर हैं सोमवार को प्रकरण की जांच कराते हैं। लेकिन अब तक मामले की जांच कराना साहब द्वारा उचित नहीं समझा गया।
 
इस बाबत मुख्य चिकित्सा अधिकारी को जानकारी दे गयी। बावजूद इसके खबर लिखे जाने तक न ही उक्त अस्पताल की कोई जांच हुई और ना ही कोई जवाबदेही तय की गयी जिससे साफ जाहिर होता है कि किस तरह से जिले में बैठे स्वास्थ्य महकमे के आला अधिकारी जिले की जनता के प्रति कितने जागरूक हैं और प्राइवेट अस्पताल संचालकों पर कितने मेहरबान हैं।

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