हत्या के आरोपी को चार वर्ष बाद न्याय
जज ने किया ससम्मान बरी, पुलिस पर कार्रवाई के निर्देश
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स्वतंत्र प्रभात
उन्नाव। अपर सत्र न्यायालय कोर्ट 3 के न्यायाधीश महेंद्र श्रीवास्तव ने हत्या व साक्ष्य छुपाने जैसी गंभीर धाराओं के आरोपी को चार वर्ष बाद दोषमुक्त साबित कर बा-इज्जत बरी कर दिया। आसीवन थाना क्षेत्र 2018 में एक युवती का अधजला शव मिला था। तत्कालीन पुलिस ने हत्या का आरोप लगाकर एक निर्दोष युवक को जेल भेज दिया था। घटना के दो वर्ष बाद तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक राजेश सिंह ने आधार कार्ड और बैंक खाता की मदद से महाराष्ट्र से युवती को जीवित बरामद कर कोर्ट में पेश किया था। सही जांच और साक्ष्य संकलन व युवती के बयान पर एक निर्दोष को सजा से बचाया। मामला
2 अप्रैल 2018 का है।
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिला के आसीवन थाना क्षेत्र के शेरपुर कला गांव के पास नहर पटरी पर झाड़ियों में एक युवती का अधजला अज्ञात शव मिला था। ग्राम प्रधान कृष्ण पाल यादव ने तहरीर देकर पोस्टमार्टम कराया था। तत्कालीन थाना प्रभारी सियाराम वर्मा मामले की जांच कर रहे थे। जिसकी पहचान नहीं हो पा रही थी। सदर कोतवाली क्षेत्र के जुराखन खेडा निवासी योगेंद्र कुमार अवस्थी ने 20 मार्च 2018 को दिव्यांग पड़ोसी प्रमोद कुमार के साथ भागने की रिपोर्ट दर्ज कराया था। अज्ञात शव मिलने पर पति ने युवती को अपनी पत्नी श्रद्धा के रुप में पहचान की। पुलिस ने उसके अन्य रिश्तेदारो से पहचान कराई, जिन्होने उसके कपड़े देखकर श्रद्धा गुप्ता के रूप में पहचान की। श्रद्धा के पति योगेन्द्र ने अपने पडोसी प्रमोद कुमार पर हत्या का आरोप लगा दिया था।
दोनों के बीच लाखों का लेन देन था जिससे बचने के लिए उसने एक दिव्यांग पर हत्या का आरोप लगा दिया। तत्कालीन थाना प्रभारी सियाराम वर्मा (वर्तमान सीओ के पद पर तैनात) ने हत्या व साक्ष्य छुपाने के आरोप में 09 जून 2018 को आरोपी प्रमोद को जेल भेज दिया था। एसो के स्थानांतरण के बाद जयशंकर सिंह (वर्तमान में शाहजहाँ पुर के कांठ कोतवाल) ने जांच सम्भाली, उन्होंने निष्पक्ष जांच ना कर आरोपी के विरुद्ध आरोप सिद्ध कर चार्जशीट दाखिल कर दी। माननीय न्यायालय ने मुकदमे की सुनवाई शुरू की। दो वर्ष बाद 14 अक्टूबर 2020 को तत्कालीन थाना प्रभारी राजेश सिंह (वर्तमान हसनगंज कोतवाली प्रभारी निरीक्षक) ने मुखबिर की सूचना पर युवती की महाराष्ट्र में सूचना मिली। जिसको लाने के लिए दरोगा रामआसरे चौधरी (वर्तमान माखी थाना प्रभारी) की अगुवाई में टीम गठित कर जांच शुरु की।
पुलिस ने उसे जीवित बरामद कर लिया। पुलिस ने 17 अक्टूबर 2020 को उसे कोर्ट में हाजिर कर दिया। युवती ने कोर्ट में बताया कि मेरा ना कोई अपहरण हुआ था ना कोई मुझे ले गया था पति मारता पीटता था।जिससे प्रताड़ित थी। उसी दरमियान इंटर की परीक्षा दे रही थी। पति की प्रताड़ना से परीक्षा के बाद मैं वहां से भाग गई और मुंबई चली गई थी। जहाँ एक नर्सिंग होम में नौकरी कर रही हूँ। अपर सत्र न्याधीश कोर्ट 3 के पीठासीन अधिकारी महेन्द्र श्रीवास्तव ने दोनों पक्षों के बयान व साक्ष्य संकलन के बाद 14 दिसंबर 2022 को आदेश दिया है कि आरोपी को दोषमुक्त किया जाता है। वहीं गलत विवेचना से प्रशासन की छवि धूमिल हुई है। जांच कर्ता सियाराम व जयशंकर सिंह के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया है वहीं दिव्यांग आरोपी की मानसिक व शारीरिक कष्टों को संज्ञान में लेते हुए युवती के पति पर आर्थिक जुर्माना देने का निर्देश दिया है।
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