रिश्वत लेते हुए सहायक आयुक्त खाद्य अधिकारी विजय वर्मा गिरफ्तार

मीट शॉप लाइसेंस बनाने के नाम पर मांगी थी  रिश्वत,रिश्वतखोरी में नंबर वन है जिले का फूड विभाग

रिश्वत लेते हुए सहायक आयुक्त खाद्य अधिकारी विजय वर्मा गिरफ्तार

स्वतंत्र प्रभात 

शाहजहांपुर/गुरुवार को बरेली की विजिलेंस टीम ने एक शिकायत के आधार पर छापे मार कार्रवाई करते हुए जिले के सहायक खाद्य आयुक्त/अभिहित अधिकारी विजय वर्मा को कार्यालय से बारह हजार रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है उन्होंने मीट शॉप  का लाइसेंस देने के नाम पर कयूम से रिश्वत मांगी थी जिसको लेकर कयूम ने इसकी शिकायत बरेली विजिलेंस टीम से की थी  प्लानिंग के अनुसार विजिलेंस टीम की उपस्थिति में कयूम ने रिश्वत दी और विजिलेंस टीम ने मौके पर ही विजय वर्मा को गिरफ्तार कर लिया जो सीधे बरेली ले गई जहां संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है विजिलेंस टीम के बरेली एसपी ने बताया की शाहजहांपुर सहायक आयुक्त खाद्य /अभिहित अधिकारी विजय वर्मा को कार्यालय से रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है इस संबंध में जो भी धाराएं बनेगी उस आधार पर मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी

जिले में रिश्वतखोरी में नंबर वन है फूड विभाग

जनपद का फूड विभाग रिश्वतखोरी में नंबर वन है और इसकी चर्चाएं भी लगातार होती रहती हैं और यही कारण है की फूड विभाग होली ,दीपावली ,रक्षाबंधन ,जैसे त्यौहार पर नाम मात्र छापामार कार्रवाई कर खानापूर्ति करता रहता है जनपद में तमाम खाद्य तेल की फैक्ट्रियां चल रही है जिनमें कई ब्रांड के तेल पैकिंग होते है लेकिन खाद विभाग वसूली में मस्त रहता है जनपद में पाउडर से कई जगह मिठाइयां तैयार की जाती हैं जिनका भारी मात्रा में कारोबार होता है और इसकी खाद्य विभाग को पूर्ण जानकारी है लेकिन खाद्य विभाग सब कुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ है और क्षेत्रीय स्पेक्टर यहां जमकर वसूली करते हैं नमूना तो लिया जाता है लेकिन मामला वही रफा-दफा हो जाता है इसकी कई बार शिकायतें भी हुई आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं की विभाग का मुखिया रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया है तो विभाग में रिश्वतखोरी का जाल कितना बड़ा होगा और इसी रिश्वतखोरी के चलते जनपद के लोगों को मिलावटी मिठाइयां और मिलावटी खाद्य तेल परोसे जा रहे हैं

22 हजार में तय हुआ था लाइसेंस बनाने का सौदा 10 हजार पहले ही दे चुका था कयूम

कयूम के मुताबिक उसका मीट शॉप का लाइसेंस बनाने का सौदा 22 हजार रुपए में तय हुआ था जिसमें उसने 10 हजार रूपए पहले ही विजय वर्मा को दे दिए थे और जब विजय वर्मा पूरे पैसे देने की जिद करने लगा तो मजबूरन कयूम को इसकी शिकायत विजिलेंस टीम से करनी पड़ी जिसका खामियाजा विजय वर्मा भुगत रहे हैं ऐसे ही भ्रष्ट अधिकारियों के चलते निचले स्तर के कर्मचारी आए दिन एंटी करप्शन टीम या विजिलेंस टीम के हत्थे चढ़ रहे हैं इससे पहले तहसील के एक लेखपाल को भी गिरफ्तार किया जा चुका है और निचले स्तर के कर्मचारी रिश्वत लेते समय अधिकतर यह कहते देखे जाते हैं कि हमें ऊपर पैसा देना पड़ता है रिश्वत लेना है मेरी मजबूरी है इस घटना से यह साबित भी होता है कि ऐसे अधिकारी रिश्वतखोरी के चलते अपने निचले स्तर के कर्मचारियों को भेंट चढ़ा देते हैं

 

 

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