अनंत करुणामय भगवान श्रीराम की कृपा से जीव को सत्संग का लाभ प्राप्त

राज्य में कहीं अकाल नहीं पड़ा और कभी आंधी-तूफान नहीं आये

अनंत करुणामय भगवान श्रीराम की कृपा से जीव को सत्संग का लाभ प्राप्त

स्वतंत्र प्रभात 
 
 
 
 
मसौली (बाराबंकी)। अनंत करुणामय भगवान श्रीराम की कृपा से जीव को सत्संग का लाभ प्राप्त होता है। श्रीराम की कथा जीवन जीने की कला सिखाती है।
 
 
हमें निज धर्म पर चलना सिखाने वाली रामायण की कथा सुनने से प्रत्येक जीव को धर्मपथ का ज्ञान होता है। भगवान ने यहीं बात गीता एवं रामायण में बताई है कि निज धर्म, निरत, श्रुति, नीति, वेद, पुराण, शास्त्र सब ग्रंथ केवल जीवन को
 
 
अपने धर्म के पालन करने का आदेश देते हैं। भगवान 11 हजार वर्ष तक राज्य करते हैं। उनके 
 
 
कभी कोई भूखा नहीं रहा, जिसके कारण सभी लोग अपने अपने धर्म का पालन करने में लगे रहे। इसी तरह हम सभी को धर्म का पालन करना चाहिए।
 
 
उक्त बातें मोहल्ला कटरा में स्थित शिव मंदिर पर चल रही पांच दिवसीय श्रीराम कथा के चौथे दिन सोमवार को अयोध्या से पधारी कथावाचिका साध्वी सोनम शास्त्री ने भगवान श्रीराम की जन्म की कथा सुनाई।
 
 
 
उन्होंने कहा कि गुरु वशिष्ठ अपने आश्रम में ध्यान मुद्रा में बैठे हैं। इस बीच राजा दशरथ का प्रवेश होता है। राजा दशरथ कहते हैं गुरुदेव कोई संतान नहीं है। इस पर गुरुदेव उन्हें संतानोत्पत्ति यज्ञ कराने का निर्देश देते हैं।
 
 
यज्ञ सफल होने पर अग्निदेव प्रकट होते हैं और द्रव्य देकर राजा दशरथ से कहते हैं कि इसे अपनी रानियों को दे दीजिए, इसका सेवन करने से संतान अवश्य होगी।कथा व्यास कहती हैं कि भगवान विष्णु प्रकट होते हैं और कौशल्या उनके दर्शन करती हैं।
 
 
माता कौशल्या कहती हैं हे तात आप यह विराट रूप त्याग कर बाललीला कीजिए। विष्णु जी अंतर्ध्यान होते हैं। फिर बच्चों के रोने की आवाजें सुनाई देती हैं और खुशी का संगीत बजने लगता है। रामजन्म के समाचार से संपूर्ण अयोध्या में खुशी छा जाती है।
 
 
 
राम का बाल रूप पंडाल में आते ही महिलाओं और श्रोताओं ने भगवान राम और उनके तीनों भाइयों पर पुष्प वर्षा की। व्यास गद्दी से संगीतमयी धुन पर ...चलो रे सखी देख आए प्यारे रघुरइया और ...भए प्रगट कृपाला दीन दयाला भजन पर
 
 
पांडाल में बैठे लोग झूम उठे। राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के स्वरूप में  बाल गोपालों को पालने में झुलाया गया। यह दृश्य देख लोग भावविभोर हो उठे।राजा दशरथ की तीनों रानियों को चार पुत्र होते हैं।
 
 
इसके बाद चारों भाइयों का नामकरण किया जाता है। श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न नाम रखे जाते है। भगवतकथा सुनने के लिए बड़ी भक्तगण मौजूद रहे।
 
 
Tags:  

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

नेतन्याहू से मुलाकात के बाद जयशंकर का कड़ा संदेश, आतंकवाद पर भारत–इज़राइल एकजुट नेतन्याहू से मुलाकात के बाद जयशंकर का कड़ा संदेश, आतंकवाद पर भारत–इज़राइल एकजुट
International Desk  यरूशलम। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इज़राइल की आधिकारिक यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू...

Online Channel