फिल्मों के अवार्ड्स की फेयरनेस

फिल्मों के अवार्ड्स की फेयरनेस

किन्तु उन्हें कामयाबी नहीं मिली आप चाहें तो पुरस्कृत फिल्मकारों को अपनीओर से बधाई दे सकते हैं  मेरी और से तो सभी को ढेरों बधाइयां और शुभकामनाएं हैं ही काश राजनीति में भी इसी तरह का कोई अवार्ड दिया जाता तो मुमकिन है कि कुछ लोग अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करते .  


स्वतंत्र प्रभात 
फ़िल्में
सियासत के बाद जनता को प्रभावित करने वाला दूसरा सबसे बड़ा माध्यम है |.सियासत में दुर्भाग्य से फिल्मों की तरह कोई अवार्ड नहीं दिया जाता , जैसा की फिल्मों को दिया जाता है  | देश में पिछले 68  साल से देश में बनने वाली श्रेष्ठ फिल्मों को ' फिल्म फेयर अवार्ड ' दिए जा रहे हैं | एक  साल को छोड़कर अभी तक ये सिलसिला जारी है | इस बार 67 वे फिल्म फेयर अवार्ड्स ने एक बार फिर अपनी फेयरनेस को बरकरार रखा |फिल्म फेयर अवार्ड की स्थापना इसी नाम से प्रकाशित होने वाली एक आंग्ल पत्रिका ने की थी | बात शायद  1954 की रही होगी | नया प्रयोग था,खूब सराहा गया  | फिल्मों के निर्माता,निर्देशक,अभिनेता,अभिनेत्रियां ,और गीतकार,संगीतकार भी इस अवार्ड केलिए चुने जाने लगे | वर्तमान में ये पुरस्कार हिन्दुस्तान का ' आस्कर अवार्ड ' कहा जा सकता है | फिल्मों के लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिए जाते हैं ,लेकिन सरकारी पुरस्कार कुल मिलाकर सरकारी ही होते हैं | इस लिहाज से ' फिल्म फेयर अवार्ड ' कहीं ज्यादा पप्रतिष्ठित हैं |किसी भी अवार्ड  की प्रतिष्ठा को कायम रखना सबसे बड़ी चुनौती है ,क्योंकि अब फ़िल्में  भी सियासी औजार बन चुकी हैं | उनका दायरा बढ़ चुका है  |इस लिहाज से पुरस्कार भी प्रभावित होते हैं भले ही वे सरकारी हों या असरकारी |

सौभाग्य ये है कि फिल्म फेयर  ने अपने अवार्ड को अभी तक बहुत ज्यादा विवादास्पद नहीं होने दिया है | सियासत की छाया इस पुरस्कार पर अभी दिखाई नहीं देती ,भले ही परोक्ष रूप से कहीं हो सकती है | कम से कम मैतो ऐसा मानता हूँ |67  वे फिल्म फेयर अवार्ड की घोषणा ने इस अवार्ड की प्रामाणिकता,और निष्पक्षता को एक बार फिर प्रमाणित करते हुए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार रणवीर सिंह को फिल्म 83 के लिए और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार  कृति सेनन को फिल्म मिमी के लिए दिया है । इस साल की सर्वश्रेष्ठ फिल्म  का अवॉर्ड सिद्धार्थ मल्होत्रा स्टरार शेरशाह को दिया गया । वहीं, सर्वश्रेष्ठ गीतकार  का अवॉर्ड कौसर मुनीर को दिया गया। यह पहली बार है जब फिल्मफेयर का यह अवॉर्ड किसी महिला को दिया गया है।रणबीर सिंह अभिनेता के तौर पर मुझे ही क्या देश की उस नौजवान पीढ़ी को भी पसंद हैं, जिसे फिल्मो में कुछ ज्यादा ही रूचि है | रणबीर  सिंह अपनी कुछ ख़ास हरकतों की वजह से बदनाम भी हुए लेकिन इससे उनके अभिनय और अभिनेता पर कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ा |

ये बदनामी फिल्म  फेयर अवार्ड के आड़े नहीं आयी |अन्यथा उनकी जगह किसी दुसरे अभिनेता को ये अवार्ड मिलता  | रणबीर का अभिनय ही नहीं उसका हेयर स्टाइल,दाढ़ी-मूछ का स्टाइल तक कॉपी करते हैं हमारे देश के नौजवान  | ये तभी होता है जब कोई अभिनेता अपने किरदारों के जरिए दर्शक के भीतर तक प्रवेश कर लेता है |फिल्म फेयर अवार्ड यदि फेयर न होता और इसमें भी सियासत की छाया होती तो तय मानिये की ये पुरस्कार ' दी कश्मीर फाइल ' फिल्म के अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती या अनुपम खैर को मिलता,लेकिन नहीं मिला | क्योंकि ऐसी फ़िल्में मनोरंजन के लिए देश को विभक्त करने के लिए बनाई जाती हैं | देश में आज भी बहुत कम संस्थाएं ऐसी हैं जो विभाजनकारी ताकतों को सम्मानित करने का हौसला रखती हैं | राष्ट्रभक्ति में सराबोर लोग खुश हो सकते हैं कि फिल्म  फेयर अवार्ड उस आमिर खान को भी नहीं मिला जो लाल सिंह चड्ढा लेकर दर्शकों के बीच आये थे | इस फिल्म के बहिष्कार की पुरजोर मुहीम चलाई गयी थी |फिल्म ' दो बीघा जमीन,विमल रॉय ,दिलीप कुमार,मीणा कुमारी और निषाद  को सम्मानित करने से शुरू हुआ फिल्म फेयर अवार्ड का ये सफर 68  साल में रणबीर सिंह ,कृति सेन और मुनीर कौसर तक आ पहुंचा है  |

ये अवार्ड आगे भी लगातार जारी रहे ताकि कला के सर्वश्रेष्ठ और लोकप्रिय माध्यम की ऊर्जा कायम रह सके | आपको अच्छा लग सकता है कि  इस पुरस्कार  की सरकार के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से कोई प्रतिस्पर्द्धा नहीं है .फिल्म फेयर पुरस्कार किसी को उपकृत करने के लिए नहीं दिए जाते | इनके लिए बाकायदा एक विश्वसनीय जूरी काम करती है .फिल्म फेयर अवार्ड्स ने अपनी सात दशक की यात्रा में अवार्ड्स की श्रेणियाँ भी बढ़ाएं हैं | आज ये अवार्ड फिल्म निर्माण से जुडी लगभग हर विधा केलिए दिया जाता है | शायद 31  पुरस्कार दिए जाते हैं  | फिल्म  फेयर अवार्ड्स लोक स्वीकृति का एक प्रतीक भर हैं, इनके जरिये फिल्म निर्माण से जुड़े लोगों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने की प्रेरणा मिलती है |आज के दौर में जब हर क्षेत्र के पुरस्कार उपकृत करने के माध्यम बन गए हैं ऐसे में फिल्म फेयर अवार्ड की सुचिता गर्व का विषय है |

इन अवार्ड्स को भी लांछित करने की कोशिशें तो हुईं

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