
किम जोंग बनाम हंसना मना है
जोंग ने अपने पिता की दसवीं बरसी पर जनता से दस दिन तक न हंसने के लिए कहा है.
ऊपर वाले का शुक्रिया कि उसने हमें बख्श दिया .हमें उत्तर कोरिया की तरह किम जोंग नहीं दिया,हमें मोदी जी दिए .किम जोंग दिया होता तो हम भी उत्तर कोरिया की जनता की तरह दस दिन तक हंसने से महरूम हो जाते .जोंग ने अपने पिता की दसवीं बरसी पर जनता से दस दिन तक न हंसने के लिए कहा है. उत्तर कोरिया में दस दिन का राष्ट्रीय शोक है और इस दौरान हंसना ही नहीं बल्कि शांग करना अहुर शराब पीना भी मुमकिन नहीं होगा .
शोक के मामले में मै किम जोंग का प्रशंसक हूँ कि वो तानाशाह होते हुए भी कम से कम खुशी और गम में फर्क और उनकी जरूरत को समझता है .किम हालांकि बहुत ज्यादा समझदार नहीं है लेकिन पूरी तरह बेवकूफ भी नहीं है. किम एक देश का राष्ट्राध्यक्ष है इसलिए उसे नासमझ या बेवकूफ कहना ही बेवकूफी होगी .किम जो कर रहा है ,उसे करने से कोई नहीं रोक सकता .किम तो किम है हम अपने देश में मोदी जी को कब-कब उल्ट-बांसी करने से रोक पाते हैं ?
अब देखिये ने देश के किसानों को पूरे साल सड़कों पर बैठने के लिए मजबूर किया,हमने कुछ कहा ? राज्य सभा के सदस्य निंलंबन के बाद बहाली की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं,हमने कुछ कहा ? मोदी जी ने देश के पहले सीडीएस के निधन पर कोई शोक घोषित नहीं किया,हम बोले ? सीडीएस रावत की चिता की राख ठंडी होने से पहले ही मोदी जी यूपी में एक नहर के लोकार्पण के लिए पहुंचकर अखिलेश यादव को कोसते दिखाई दिये,किसी ने कुछ कहा ? नहीं कहा,क्योंकि हम किसी से कुछ नहीं कहते.हमसे ही सब कुछ कहा जाता है .
हर देश का राष्ट्र प्रमुख थोड़ा-बहुत किम जोंग होता है.कभी वो दिखता है और कभी उसे महसूस करना पड़ता है. भारत में धर्मभीरु लोग रहते हैं.सगुण और निर्गुण को मानते हैं .मूर्त-अमूर्त को मानते हैं.इसलिए मानते हैं कि वे सौभाग्यशाली हैं . उनके किम कोरोनाकाल में देश की जनता से ताली-थाली और शंख बजवाकर ही संतुष्ट हो गए ,अन्यथा वे भी किम जोंग की तरह कुछ भी कर सकते थे .करते हैं.वे सर्वशक्तिमान है .और शक्तिमान क्या कुछ कर सकता है ये आप जानते ही होंगे !
वे सर्वशक्तिमान आदमी है और सर्वशक्तिमान आदमी रेड कारपेड वेलकम का हकदार होता है वो चाहे मंदिर जाये या गुरुद्वार,उसे रेड कारपेड वेलकम चाहिए वो तो अभी ऐसी तकनीक नहीं आयी की पानी पर रेड कारपेड बिछ सके,अन्यथा सर्वशक्तिमान तो गंगा स्नान के लिए नदी में जाते समय भी रेड कारपेड बिछवा लेते .केदारनाथ में तो मंदिर तक बिछवा ही लिया था .ये काम किम जोंग भी नहीं कर सकता.बहुत से काम हैं जो किम जोंग के बोते के हैं.ये सब काम सिर्फ मोदी जी ही कर सकते हैं .
आप ध्यान रखिये की मै मोदी जी के सम्मान में कोई धृष्टता नहीं कर सकता इसलिए आपको बता रहा हूँ कि आप और हम खुशकिस्मत हैं क्योंकि हमारे पास मोदी जी हैं किम जोंग नहीं .किम की आत्मा जरूर यदा-कदा हमारे फकीरचंद की काया में प्रवेश कर गड़बड़ कर जाती है .इस गड़बड़ी के बारे में हमारे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से ज्यादा कोई और नहीं जानता .वे मोदी जी के कारकेट के आगे दौड़ लगा चुके हैं.उन्हें देश की जनता से काशी के रेलवे स्टेशन पर मोदी जी से दस हाथ दूर चलते हुए देखा है .
किम युग और मोदी युग में बुनियादी भेद है. किम युग में जो नशे में झूमता मिलता है उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है ,उसका बाद में कोई अता-पता नहीं चलता.मोदी युग में लोग बिना पिए भी गिरफ्तार किये जाते हैं और जेल में मर जाते हैं लेकिन सबको उनके बारे में पता चल जाता है .हाँ मोदी युग में आप किसी की डिग्री -सिगरी का पता नहीं लगा सकते .
किम युग में राष्ट्रीय शोक के दौरान रोने के साथ ही दूसरे सेलिब्रेशनों पर भी पाबन्दी रहती है.हमारे यहां राष्ट्र भले किसी के निधन पर शोक में डूबा हो आप न सिर्फ सेलिब्रेशन कर सकते हैं बल्कि उसका लाइव प्रसारण भी कर सकते हैं .आप नहाते,खाते,गाते पीते सबका लाइव प्रसारण करिये कोई आपको रोकेगा नहीं. हाँ आपको रोका जा सकता है सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने से,संसद में हंगामा मचाने से .लोकतंत्र की मजबूती के लिए इतनी रोक-टोक तो बनती है.आप इसे लाजमी भी कह सकते हैं .मै तो कहता हूँ .
किम युग की खासियत है कि वहां पुलिस हसने या सेलिब्रेशन करने वालों पर नजर रखने के लिए पूरे एक महीने झपकी तक नहीं ले पाती और हमारे यहां मोदी युग में पुलिस कभी नींद से जागती ही नहीं है. उसे लखीमपुर खीरी के आरोपियों को पकड़ने में हफ्तों बीत जाते हैं. संसद मांग करती रहती है कि लखीमपुर खीरी वाले टैनी को बर्खाश्त करो लेकिन सरकार नींद से जागती ही नहीं .लोकतंत्र में नींद सबसे बड़ा सुख है. जनता को मंहगाई,बेरोजगारी और सिस्टम में खोट के खिलाफ आंदोलन करने के बजाय सोना चाहिए .जागरण लोकतंत्र के लिए अनिवार्य शर्त नहीं है .
किम जोंग के दादा किम इल-सुंग ने 1948 में वर्तमान नॉर्थ कोरिया की स्थापना की थी। उनकी मौत के बाद 1994 में उनके सबसे बड़े बेटे किम जोंग इल को सत्ता मिली। किम जोंग-इल ने 1994 से 2011 तक देश पर शासन किया। 17 दिसंबर 2011 को 69 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। पिता की मौत के बाद किम जोंग उन गद्दी पर बैठे। अब उन्होंने भी बतौर तानाशाह 10 साल पूरे कर लिए हैं।हमारे यहां भी मोदी जी ने देश में पहले हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की है.वे खुद त्रिपुण्ड लगाते हैं और अपनी सत्ता के सात साल पूरे कर चुके हैं.
दस भी पूरे करेंगे .लेकिन वे किम की तरह पीढ़ी-दर -पीढ़ी राज नहीं कर सकते ,क्योंकि उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं है .किम को सत्ता उत्तराधिकार में मिली थी,मोदी को सत्ता जनता ने सौंपी है .उन्हें तो उत्तराधिकार में रेल स्टेशन पर चाय बेचने का काम मिला था .
बहरहाल हम खुशनसीब हैं कि हमारे पास मोदी जी हैं ,किम जोंग नहीं .हमें कभी भी किम जोंग की जरूरत नहीं है. हमारे यहां भी किम के परिवार की तरह सत्ता पर काबिज रहने वाले नेहरू-गांधी का परिवार रहा है किन्तु वो भी किम जोंग नहीं बन पाया. केवल एक बार आपातकाल लगाने के बाद ही इस परिवार की हवा निकल गयी थी और आजकल तो इस परिवार के किम जोंग की हवा बहुत खराब है .जनता कब,किसकी हवा खराब कर दे ,ये न राहुल बाबा जानते हैं और न मोदी जी .और खैर मनाइये की आप भारत में हैं उत्तर कोरिया में नहीं .
@ राकेश अचल
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