literary truth
संपादकीय  स्वतंत्र विचार 

साहित्य सत्य की साधना और संस्कृति का पर्याय

साहित्य सत्य की साधना और संस्कृति का पर्याय भारतीय अर्वाचीन संस्कृति का दार्शनिक चिंतन सदैव इस बात पर केंद्रित रहा है कि मनुष्य केवल शरीर नहीं, बल्कि चेतना का संवाहक है। यह चेतना जब अभिव्यक्ति के किसी व्यक्त रूप में प्रवाहित होती है, तो वही अभिव्यक्ति का परिवर्जित...
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