स्वतंत्र प्रभात
यूक्रेन और रूस के मध्य छिड़े युद्ध की वजह से यूरोप को बहुत ज्यादा ऊर्जा संकट झेलना पड़ रहा है। रूस की तरफ से युद्ध की शुरुआत से अब तक कई बार गैस की सप्लाई को बाधित किया गया है। ऐसे में एक तरफ जहां यूरोप के देश एनर्जी क्राइसेस के बाद दूसरे विकल्पों को तलाश करने में जुट गए हैं वहीं दूसरी तरफ रूस भी गैस से होने वाली कमाई में कमी आने से अंदर ही अंदर चिंतित है। यही वजह है कि वो अब अपनी प्राकृतिक गैस के लिए नए खरीददार जुटाने में लगा हुआ है। चीन को उसने पहले की गैस की आपूर्ति बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। इसके अलावा वो अब भारत और पाकिस्तान समेत अन्य दूसरे देशों को भी इस तरफ लाने की तैयारी में जुटा है।
भारत के लिए एक सुनहरा अवसर
भारत भी इस अवसर का फायदा अपने हितों को साधने के लिए उठाना चाहता है। इससे भारत एक ही तीर से दो निशाने भी साध सकता है। भारत गैस की खरीद कर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर सकता है वहीं दूसरी तरफ भारत रूस के साथ अपने संबंधों को एक नए आयाम पर पहुंचा सकता है। रूस के लिए ये एक ऐसा समय है जब वो गैस को यूरोप से कम कीमत पर भारत को मुहैया करवाने में संकोच शायद न करे।