परमाणु विध्वंस के पचहत्तर साल डब्ल्यूएनडी कर रही है परमाणु विध्वंस में मारे गये इंसानों को स्मरण

इस अवसर पर डब्ल्यूएनडी ने संस्था इंटरनेशनल कैम्पेन टू अबोलिश नुक्लेअर विपंस: आईकैन (आईसीएएन) के साथ भारत में काम करने की इच्छा जताई है

स्वतंत्र प्रभात वाराणसी

प्लेनेटरी पीस और प्लेनेटरी पोलिटिकल सिस्टम आन्दोलन की संस्थापक संस्था वर्ल्ड नेचुरल डेमोक्रेसी (डब्ल्यूएनडी) डब्ल्यूएनडी परमाणु बम के विध्वंस से मारे गये इंसानों को याद कर रही है। इस अवसर पर डब्ल्यूएनडी ने संस्था इंटरनेशनल कैम्पेन टू अबोलिश नुक्लेअर विपंस: आईकैन (आईसीएएन) के साथ भारत में काम करने की इच्छा जताई है। आईकैन एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसे 2017 में निरस्त्रीकरण के अभियान के लिये नोबल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस अवसर पर डब्ल्यूएनडी के अध्यक्ष जावैद अब्दुल्लाह ने कहा कि वर्तमान सप्ताह का दिनांक छः अगस्त वह दिन है जिस दिन से से ठीक पचहत्तर साल पहले दुनिया ने पहली बार परमाणु बम के विध्वंस का साक्षात्कार किया था और विश्व मानव इतिहास में मानवता पर मानवता को शर्मसार कर देने वाला सबसे बड़ा धब्बा लगा था।

जिसमें लाखों लोग मारे गये, लाखों लोग घायल हो गये। लाखों लोग बेघर हो गये और लाखों लोगों की आजीविका नष्ट हो गयी। इसके अलावा जानवर पेड़-पौधों और इमारतों जो क्षति हुई वो अलग। यह राक्षसी कारनामा अमेरिका द्वारा किया गया था जब उसने जापान के समर्पण न करने पर हिरोशिमा और नागासाकी पर लिटिल बॉय और फैट मैन नामक परमाणु बम गिराया। लेकिन अब हालात उससे कहीं अधिक ख़तरे की स्थिति में पहुँच गये हैं। आज अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के 1800 परमाणु बम एकदम अलर्ट मोड में रखे गए हैं जो कभी भी इस्‍तेमाल किए जा सकते हैं। ये परमाणु बम हिरोशिमा और नागासाकी की तुलना में कई गुना ज्‍यादा घातक हैं। एक अनुमान के अनुसार वर्त्तमान में उपलब्ध परमाणु अस्त्रों से लगभग तीस बार पूरी पृथ्वी को नेस्तनाबूत किया जा सकता है। जावैद अब्दुल्लाह ने यह भी कहा कि परमाणु बम परिक्षण, निर्माण और संरक्षण का सबसे बड़ा कारण वर्त्तमान अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में शस्त्रीकरण की होड़ है। जिसने संपूर्ण विश्व को आतंकित कर रखा है। इस होड़ से बचने का एक मात्र हल है, देश की सरकार और देश की नागरिकता के साथ-साथ विश्व नागरिकता और विश्व सरकार की स्थापना. गौरतलब है कि कुल नौ आणविक हथियारयुक्त देशों में से केवल अमेरिका और रूस के पास कुल 91 फीसदी परमाणु बम हैं। जोकि विश्व मानवता ही नहीं बल्कि ग्रह के समस्त जीव-जंतु के लिये चिंता का विषय है। हम सबको इसके कुछ न कुछ करना चाहिये

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