35 लाख जनपद वासियों की ज़िन्दगी से खलवाड़ करती फैक्ट्रियाँ : प्रशासन मौन क्यों?

35 लाख जनपद वासियों की ज़िन्दगी से खलवाड़ करती फैक्ट्रियाँ : प्रशासन मौन क्यों?

स्वतंत्र प्रभात-ब्यूरो उन्नाव। देश प्रदेश व जनपद में कोविड-19 करो ना महा बीमारी चरम पर है जिसमें लोगों को सांस लेने की बड़ी तकलीफ होती है स्वास्थ्य में सुधार ना होने के कारण मौत भी हो जाती है ऐसे में जिला प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ऐसी कार्यशैली नजर आ रही है जिसके

स्वतंत्र प्रभात-ब्यूरो उन्नाव।

देश प्रदेश व जनपद में कोविड-19 करो ना महा बीमारी चरम पर है जिसमें लोगों को सांस लेने की बड़ी तकलीफ होती है स्वास्थ्य में सुधार ना होने के कारण मौत भी हो जाती है ऐसे में जिला प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी ऐसी कार्यशैली नजर आ रही है जिसके सामने सभी जनप्रतिनिधि से लेकर प्रदेश में बैठे अधिकारी व सरकार के जिम्मेदार मंत्री प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन जेपी एस राठौर मुख्यमंत्री तक बौने साबित हो रहे हैं
जहां बीते 1 माह से लगातार वायु प्रदूषण वह जल प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक चमड़ा इकाइयों केमिकल फैक्ट्री आ अपनी मनमानी जारी किए हुए हैं जिसका हिंदी दैनिक सरिता प्रवाह सहित अन्य कई समाचार पत्र प्रमुखता से खबरें फोटो सहित प्रकाशित कर रहे हैं फिर भी सभी गांधी जी के तीन बंदरों की भांति बने हुए हैं ऐसे में यह कहना अति शोभित नहीं है की प्रशासनिक अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
आपको बताते चलें की दही चौकी औद्योगिक क्षेत्र में आधा सैकड़ा के करीब चमडा इकाइयां दर्जनों केमिकल फैक्ट्री व अवैध रूप से जानवरों की खालवा हड्डी से चर्बी निकालने वाली फैक्ट्री व केमिकल से फिटकरी बनाने की फैक्ट्री संचालित है जो 24 घंटे वायु प्रदूषण वह भूगर्भ जल को प्रदूषित करने का कार्य तो कर ही रही है साथ में पतित पावनी अमृत देने वाली मां गंगा के पावन जल को भी जहर घोलकर जहरीला बना रही हैं इन सब का संरक्षक जनपद का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी वह जिला प्रशासन बना हुआ है जान कर भी पूरी तरह अनजान बने हुए हैं वैसे तो लोगों में चर्चा है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में तैनात अधिकारी व कर्मचारियों की कार्यशैली के सामने सभी पानी भरते नजर आते हैं और तो और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन जेपीएस राठौर तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बौने साबित हो रहे हैं l
35 लाख जनपद वासियों की ज़िन्दगी से खलवाड़ करती फैक्ट्रियाँ : प्रशासन मौन क्यों?
बताया जाता है चमड़ा इकाई मिर्ज़ा ट्रेनर्स,एवरेस्ट ट्रेनरी,मॉडल ट्रेनरी, दीपावली केमिकल फैक्ट्री तथा हाजी नसीम चर्बी निकालने वाली फैक्ट्री प्रमुख रूप से शामिल है आखिर प्रदूषण विभाग वा जिला प्रशासन क्यों गांधीजी के तीन बंदरों की भारत बना हुआ है जो जिन्हें ना तो दिखाई पड़ रहा है ना ही सुनाई पड़ रहा है ना ही कुछ बोल रहे हैं ना ही कुछ कर रहे हैं जबकि हिंदी दैनिक समाचार पत्र बीते 1 माह से लगातार समाचार प्रकाशित कर जिला प्रशासन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को तथा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन जेपीएस राठौर वह मुख्यमंत्री सहित सभी की जानकारियों में समाचार पत्र के माध्यम से तथा समाचार पत्रों की कटिंग ट्विटर के माध्यम से पहुंचा कर कुंभकरण की नींद से जगाने का कार्य कर रहे हैं परंतु फिर भी किसी की कुंभकररनी नींद है कि टूटने का नाम ही नहीं ले रही है l
ऐसे में जनपद के लोगों का क्या हाल होगा खुदा ही जाने वैसे तो देश व प्रदेश तथा जनपद में कोविड-19 कोरोना महामारी बीमारी का कहर बरपा रहा है करो ना बीमारी की चपेट में आने वाले व्यक्तियों के लिए प्रदूषित वातावरण वह दूषित जल बहुत ही घातक साबित हो रहा है यदि ऐसा ही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं कि जनपद अभी तक कलम और तलवार का धनी कहा जाता था l
बीते कई वर्षों से दुर्गंध और बदबू के कारण पहचाने जाने लगा अब आगे चलकर अपंग और विकलांग 1 रोगियों का जनपद कहा जाने लगेगा लोग तो यहां तक कहते हैं लोकसभा व विधानसभा के जब चुनाव आते हैं तो सभी राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि वह पार्टी के बड़े पदाधिकारी जनपद वासियों से बड़े-बड़े वादे और दावे करते हैं चुनाव में हार जीत का नतीजा आने के बाद सभी भूल जाते हैं और अवैध धन की उगाही में मदमस्त हो जाते हैं इसीलिए कोई भी इस गंभीर समस्या के प्रति ध्यान नहीं देता है।

 

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