उत्तर भारत - कोहरे के कोहराम से फना होती जिन्दगी ! 

उत्तर भारत - कोहरे के कोहराम से फना होती जिन्दगी ! 

उत्तर भारत में सर्दियों के दौरान कोहरा इतना घना हो जाता है कि कुछ मीटर आगे देख पाना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे हालात में थोड़ी लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती है. ऐसे में अगर छोटी-छोटी सावधानी पर ध्यान दिया जाए तो हादसों को रोका जा सकता है.सबसे भयावह दुर्घटना मथुरा के निकट, बीते मंगलवार तड़के घने कोहरे के चलते कई वाहनों के आपस में टकराने से  उन्नीस लोग जिंदा जल गए।यह बेहद दर्दनाक हादसा है। थोड़ी सी सावधानी और संयम से ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है लेकिन सरकारी तंत्र और आम आदमी दोनों लापरवाह बने हैं। 
 
यमुना एक्सप्रेसवे पर 16 दिसंबर को मथुरा के पास कोहरे के कारण सुबह करीब साढ़े तीन बजे एक भीषण सड़क हादसा हुआ, जिसमें 8 बसें और 3 कारें आपस में टकरा गई. इस हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई जबकि 70 से अधिक लोग घायल हो गए. इस हादसे से ठीक दो दिन पहले भी ऐसा ही एक हादसा हुआ. विजिबिलिटी कम होने के कारण यूपी-हरियाणा में एक के बाद एक कई हादसे हुए, जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई. इन सभी हादसे की वजह कम विजिबिलिटी बताई जा रही है।
 
मरने वाले निर्दोष लोग अपने-अपने जरूरी कामों के लिए जल्दी पहुंचने की चाहत में रात के सफर पर निकले थे। लेकिन हालात उन्हें मौत के मुंह में ले गया। बीते मंगलवार को अमंगल का यह कोहरे के कहर का सिलसिला यूपी हरियाणा पंजाब हिमाचल  तक चला, और कितने ही जीवन लीला गया। पंजाब में जहां सुबह घने कोहरे के चलते पांच लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हुई। बरनाला व तपामंडी में हुए दो सड़क हादसों में एक ही परिवार के तीन लोगों समेत पांच लोगों की मौत हुई। वजह वही, घने कोहरे के चलते दृश्यता में कमी और स्थिति का आकलन न कर पाने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो जाना। वहीं तपामंडी के व्यापारी की पत्नी व बेटी की मौत रास्ते में खड़े ट्रक से उनकी कार के टकराने से हुई।
 
इससे पहले रविवार सुबह कोहरे के कोहराम से 66 वाहनों के टकराने से एक छात्रा समेत चार लोगों की मौत हरियाणा में भी हुई। चरखी दादरी में एक स्कूल बस व रोडवेज की बस की आमने-सामने की टक्कर में एक ग्यारहवीं की छात्रा की मौत हो गई और तीस से अधिक छात्राएं व शिक्षक, बस चालक समेत घायल हो गए। वहीं तेज रफ्तार वाले नेशनल हाईवे पर एक के बाद एक, अनेक वाहन दृश्यता की कमी के चलते दुर्घटनाग्रस्त हुए निश्चय ही निर्दोष लोगों का यूं असमय काल-कवलित होना बेहद दुखद ही है। 
 
सवाल फिर वही है आखिर कब तक कोहरा कहर बनकर जिंदगी लीलता रहेगा। साल दर साल सर्दी के मौसम में कोहरे की धुंध की वजह से होने वाले हादसों के लिए हम क्यों अभिशप्त हैं? आखिर इन दुर्घटनाओं को टालने की गंभीर कोशिश सरकार, समाज व वाहन चालकों की तरफ से क्यों नहीं की जाती ?
 
देश की सरकार रोजाना सौ किलोमीटर सड़क का निर्माण करती है , तो राष्ट्रीय राजमार्गों व एक्सप्रेस-वे पर यात्रियों के जानमाल की रक्षा के लिए धुंध से मुक्ति की तकनीक क्यों नहीं निकाल पा रहे हैं? निश्चय ही प्रकृति की लीला का मुकाबला कर पाना संभव नहीं, लेकिन कमोबेश दुर्घटनाओं की संख्या कम करके जान-माल का नुकसान कम करने का प्रयास तो करें। यह सजगता नागरिकों के स्तर पर भी जरूरी है। यात्रा के समय के चयन और धुंध के बीच वाहन चालन में अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत होती है। राष्ट्रीय राजमार्ग व एक्सप्रेस-वे पर पर्याप्त रोशनी और धुंध में दृश्यता बढ़ाने के तकनीकी प्रयास किए जाएं।
 
मौसमी बाधा के बीच दुर्घटना का एक बड़ा कारण राजमार्गों के किनारे अवैध रूप से जगह-जगह खोले गए ढाबे भी बनते हैं। दरअसल, होटल ढाबों के पास वाहनों को अपने परिसर में खड़ा करने की जगह नहीं होती, जिसके चलते ट्रक व अन्य वाहन सड़कों में खड़े रहते हैं। जिसके चलते अक्सर तेजी से आने वाले वाहन दृश्यता की कमी से इन खड़े वाहनों से टकराकर दुर्घटना ग्रस्त हो जाते हैं। पिछले माह राजस्थान के फलोदी के निकट एक टेम्पो ट्रेवलर के सड़क के किनारे खड़े ट्रेलर से टकराने से दस महिलाओं व चार बच्चों समेत पंद्रह लोगों की मौत हुई थी। इस पर स्वतः संज्ञान सुप्रीम कोर्ट ने लिया। सोमवार को सुनवाई के कोर्ट ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण व प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सख्त नाराजगी दिखाई। कोर्ट ने लगातार हादसों की वजह बन रहे इन अवैध होटलों-ढाबों पर नियंत्रण हेतु पूरे देश के लिये दिशा-निर्देश जारी करने की जरूरत बतायी। 
 
उत्तर भारत में सर्दियों के दौरान कोहरा इतना घना हो जाता है कि कुछ मीटर आगे देख पाना भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे हालात में थोड़ी लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती है. इसी बढ़ते खतरे को देखते हुए गौतम बुद्ध नगर जिला प्रशासन ने लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक विस्तृत ‘सेफ ट्रैवल इन फॉग’ एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी का मकसद लोगों को डराना नहीं, बल्कि उन्हें सचेत करना है ताकि वे सही सावधानियां अपनाकर खुद को और दूसरों को सुरक्षित रख सकें।
 
कई अध्ययनों में हादसों की वजह सड़कों के डिजाइन में कमी को भी बताया गया। सवाल है कि जब देश में अच्छी-तेज सड़कों का जाल तीव्र गति से बिछाया जा रहा है तो सुरक्षित सफर सुनिश्चित करना भी तो नीति-नियंताओं की जवाबदेही बनती है? हादसों के लिए सिर्फ चालकों को जिम्मेदार नहीं बताया जा सकता। हां, इतना जरूर है कि वाहन चालकों को गति के साथ गति भी तेज रखनी होगी। यातायात नियमों का पालन करने में एक जिम्मेदार नागरिक का भी दायित्व निभाना होगा।
 
अगर किसी कारणवश कोहरे में सफर करना बेहद जरूरी हो जाए तो वाहन बेहद धीमी गति से चलाना चाहिए. इसके साथ ही वाहन को पूरी सतर्कता के साथ चलाने की जरूरत है. विशेष रूप से वाहन के म्यूजिक सिस्टम और एफएम रेडियो बंद रखें क्योंकि कोहरे के वक्त सुनने की क्षमता देखने से भी ज्यादा अहम हो जाती है. सामने या पीछे से आने वाले वाहन की आवाज, हॉर्न या किसी आपात स्थिति की ध्वनि समय पर सुनना हदसा टालने में मदद कर सकता है। 
 
कोहरे के दौरान वाहन के शीशों पर नमी जमना एक आम समस्या है. इससे सामने का दृश्य और धुंधला हो जाता है. वाहन चलाते समय एयर कंडीशनर के इस्तेमाल से बचें, क्योंकि इससे कांच पर नमी जम सकती है. इसके बजाय हल्के हीटर का उपयोग करें और हवा का प्रवाह विंडशील्ड की ओर रखें. जिन वाहनों में डिफॉगर की सुविधा है, उन्हें हल्के गर्म मोड पर चालू रखना फायदेमंद होता है. इसके साथ ही वाहन की खिड़कियां थोड़ी खुली रखने की सलाह दी गई है। 
 
कोहरे में वाहन की लाइट्स आपकी पहचान बन जाती हैं. एडवाइजरी में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि हेडलाइट्स हमेशा लो बीम पर रखें, क्योंकि हाई बीम कोहरे में रिफ्लेक्ट होकर आंखों को और भ्रमित कर देती है. दिन के समय भी अगर कोहरा बना हुआ है, तो लाइट्स जलाकर चलना जरूरी है. कोहरे में सबसे खतरनाक गलती ओवरटेक करने की होती है. प्रशासन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ऐसे मौसम में ओवरटेक करने से बचना चाहिए. आगे चल रहे वाहन से सुरक्षित दूरी बनाए रखें और अचानक ब्रेक लगाने से बचें. ब्रेक हमेशा धीरे-धीरे लगाएं। 
 
 गाइड लाइन के अनुसार दो लेन वाली सड़कों पर वाहन धीमी गति से चलाना चाहिए और सड़क के बाएं किनारे के करीब रहना ज्यादा सुरक्षित होता है. बीच सड़क पर वाहन चलाना जोखिम भरा हो सकता है. अतिरिक्त सुरक्षा उपाय के तौर पर जिला प्रशासन ने निजी वाहन चालकों से अपने वाहनों के पीछे लाल रंग की रेट्रो-रिफ्लेक्टिव टेप लगाने की अपील की है. यह टेप कोहरे में दूर से ही चमक जाती है, जिससे पीछे से आने वाले वाहन को पहले ही संकेत मिल जाता है. मोटर वाहन अधिनियम के तहत व्यावसायिक वाहनों के लिए आगे सफेद और पीछे लाल रेट्रो-रिफ्लेक्टिव टेप लगाना पहले से अनिवार्य है।
 
नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे पर सर्दियों के मौसम के लिए विशेष गति सीमा भी तय की है. फरवरी तक हल्के वाहनों, जैसे कार आदि, के लिए अधिकतम गति सीमा 75 किलोमीटर प्रति घंटा और भारी वाहनों के लिए 60 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित की गई है.वाहन चलाते हुए पर्याप्त दूरी बनाए रखें। सही ड्राइविंग आदतें और नियमों का पालन न सिर्फ आपकी जान बचा सकता है, बल्कि दूसरों की ज़िंदगी भी सुरक्षित रख सकता है. कोहरा एक प्राकृतिक स्थिति है, जिसे बदला नहीं जा सकता, लेकिन समझदारी और सावधानी से इसके खतरों को जरूर कम किया जा सकता है।

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