"विधायक से लेकर रेत कंपनी तक… वसूली की यूनिवर्सिटी चला रहा था "प्रोफेसर पुष्पेंदर

दिनेश चौधरी जिला संवाददाता, शहडोल 
 
शहडोल। जिले में एक नया नाम इन दिनों खूब चर्चा में है—पुष्पेंदर........ यह नाम सुनते ही लोगों के दिमाग में ‘वसूली मास्टर’ की तस्वीर बन जाती है। वजह भी साफ है—सालों से चल रही कथित वसूली की कहानियां अब सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर सबूतों के साथ तैर रही हैं। छी न्यूज तक दर्जनों अकाउंट डिटेल, ऑडियो रिकॉर्डिंग और यहां तक कि अवैध वसूली करते समय के वीडियो क्लिप भी पहुंचने लगे हैं।
 
बताया जाता है कि पुष्पेंदर का यह खेला कोई नया नहीं, बल्कि वर्षों पुराना धंधा है। समय-समय पर पदस्थ कलेक्टरों और पुलिस अधिकारियों से काम कराने के नाम पर उसने कई लोगों से रुपये वसूले। कभी खुद को विधायक का करीबी बताकर चंदे की थैली भर ली तो कभी मीडिया का रौब दिखाकर फायदा उठाया।
 
लेकिन कहते हैं—“झूठ के पांव नहीं होते।”
जब असली विधायक तक खबर पहुंची तो उसने न केवल नसीहत दी बल्कि कथित करीबी को ठोकर मारकर ब्यौहारी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पुष्पेंदर के पास न तो पद है और न ही जिम्मेदारी, लेकिन जुगाड़ की कला में यह माहिर निकला। सोशल मीडिया पर डिजिटल तरीके से की गई वसूली के सबूत अब आम लोगों तक वायरल होते-होते छी न्यूज तक भी पहुंच चुके हैं। जिनमें बैंक खातों के लेन-देन से लेकर दबाव बनाने वाली बातचीत की रिकॉर्डिंग शामिल है।
 
बीते साल पुष्पेंदर ने अपनी नई पहचान गढ़ी— रेत कंपनी का कर्मचारी। उसने खुद को रेत कंपनी का स्टाफ बताकर न केवल वहां के स्थाई कर्मचारियों पर धौंस जमाई बल्कि कंपनी को भी बड़ा चुना लगाया। पहले तो सब उसकी बातों में आ गए, लेकिन ज्यादा दिन तक काठ की हांडी चल नहीं पाई। धीरे-धीरे असली चेहरा सामने आ गया और कंपनी ने भी दूरी बना ली।
वसूली की यूनिवर्सिटी चला रहा था- प्रोफेसर पुष्पेंदर
अब यह मामला इतना गरमा गया है कि जिले के कई थानों में शपथ पत्र और सबूतों के साथ वसूली की शिकायत दर्ज कराने की तैयारी हो रही है। यह स्थिति पुष्पेंदर के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है। व्यंग्य यही है कि जो खुद आरोपों के घेरे में है, वह दूसरों पर उंगली उठा रहा है। इस नवोदित वसूलीबाज ने अब तो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों तक पर संगीन आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं। इससे साफ है कि अब मामला केवल वसूली तक सीमित नहीं रहा बल्कि प्रशासन की छवि पर भी कीचड़ उछालने का प्रयास किया जा रहा है।
 
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि पुष्पेंदर जैसे लोग अब छी न्यूज का नाम लेकर भी दबाव बनाने लगे हैं। इस कारण उसकी कथित करतूतों का असर मीडिया की साख पर भी पड़ रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर यह वसूलीबाज किसके दम पर लगातार नाटक करता रहा?
 
 
 
 
 
 

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