सरकार को कमजोर शिक्षा व्यवस्था पर गहन विचार करने की आवश्यकता 

पुराने समय के शिक्षा कानून और नियम दोबारा लागू कर बच्चों के भविष्य की हो चिन्ता 

सरकार को कमजोर शिक्षा व्यवस्था पर गहन विचार करने की आवश्यकता 

कौशाम्बी। देश आजाद होने के बाद भारत देश में समूचे भारत में बनी सरकार बनी उस समय के कानून मंत्री ने बहुत ही ही सोंच समझ के साथ पुख्ता कानून बनाया थे और लागू किया था जिस पर छात्र-छात्राओं  के विषय विधिवत गहन विचार करके नियमानुसार विद्यालयों में 01 जुलाई से 30 जून तक का सत्र बनाया गया था जिसमें बच्चों को बड़ी सहूलियत मिला करती थी और साथ ही साथ अध्यापकों को भी सहूलियत मिलती थी जब 01 जुलाई से जब विद्यालय खुलता था बच्चों का प्रवेश होता था और 15 जुलाई तक में कक्षायें संचालित हो जाती थी। 
 
और नवम्बर-दिसम्बर माह तक अर्धवार्षिक परीक्षा कराकर अप्रैल के महीने में बोर्ड की परीक्षा कराते हुए अन्य परीक्षाओं को मई माह में परिपूर्णं कराकर विद्यालय बन्द कर दिया जाता था और गर्मी के छुट्टियों के दिन में यानी 21 मई से 30 जून के बीच के समय में कॉपियों का मूल्यांकन कराकर 30 जून के पहले-पहले परिणाम घोषित कर दिया जाता था और छात्र-छात्राएं अपने परिणामों को देखकर अगले सत्र की तैयारी करते थे और जून के महीने में ही अगले सत्र की पढ़ाई के लिए कॉपी किताबें खरीद लेता था।
 
लेकिन आज मौजूदा समय में जिस तरह से छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है ऐसे में बच्चों का भविष्य खराब होता जा रहा है 01 अप्रैल से 31 मार्च का नया सत्र लागू कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है 31मार्च तक परीक्षाफल घोषित कर दिया जा रहा है 01 अप्रैल से पूरा अप्रैल का महीना प्रवेश में ही चला जाता है और विद्यार्थी कापी किताब  भी नहीं खरीद पाता है साथ ही साथ ग्रामीण क्षेत्रों में शादी-ब्याह के उत्साह को देखते हुये बच्चे उपस्थित नहीं हो पाता है साथ ही साथ खेत कटाई-मडा़ई, महुआ बिनाई आदि कार्य किया जाता है। 
 
और मई का महीना भी इसी तरह से चला जाता है जून के महीना गर्मी की छुट्टी चली जाती है जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती है और अब के समय में 01 जुलाई से विद्यालय पुनः खुलता है तो बच्चे कापी किताब खरीदने में जुट जाते हैं जिससे पूरा महीना जुलाई का समाप्त हो जाता है इस कारण से पुराने शिक्षा कानून व नियम को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। मौजूदा समय के सत्र पर सरकार को गहन चिन्ता करनी होगी जिससे छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके।

About The Author

स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel