यूपी में फर्जी एमबीबीएस डॉक्टर गिरफ्तार, सरकारी अस्पताल में करता था काम ।

यूपी में फर्जी एमबीबीएस डॉक्टर गिरफ्तार, सरकारी अस्पताल में करता था काम ।

गोरखपुर पुलिस ने सरकारी अस्पताल के डॉक्टर राजेश कुमार को गिरफ्तार किया है। संविदा पर तैनात डॉक्टर फर्जी तरीके से डॉक्टरों की डिग्रियां बनाकर बेचता था। वर्तमान में खोराबार सीएचसी में संविदा डॉक्टर की तैनाती है। फर्जी डिग्री बेचने के अलावा खुद भी फर्जी तरीके से तैयार की गई डिग्री पर सीएचसी में संविदा के डॉक्टर की सेवा दे रहा था। गिरफ्तारी और जांच के दौरान पुलिस को डॉक्टर के पास से 30 फर्जी डिग्रियां मिली हैं। पुलिस इन सभी की जांच कर रही है।
 
गोरखपुर पुलिस ने फर्जी मेडिकल डिग्री रैकेट की जांच के लिए देशभर के नौ विश्वविद्यालयों को शामिल करते हुए व्यापक सत्यापन प्रक्रिया शुरू की है। रविवार को खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक डॉक्टर और उसके सहयोगी से बरामद 21 फर्जी डिग्रियों की प्रामाणिकता की जांच के लिए पुलिस की टीमें इन विश्वविद्यालयों में भेजी गईं।
 
छापेमारी के दौरान पुलिस को लखनऊ, मेरठ, मुरादाबाद, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और शिकोहाबाद के विभिन्न संस्थानों के नाम पर जारी की गई फर्जी डिग्रियाँ मिलीं। इनमें खोराबार में गिरफ्तार किए गए डॉ. राजेश कुमार ने कथित तौर पर कर्नाटक के राजीव गांधी स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय से फर्जी एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी। उसके पास से ऐसी तीन डिग्रियाँ बरामद की गईं। बरामद की गई अन्य फर्जी डिग्रियाँ इस प्रकार हैं:
 
आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बी मेडिकल बोर्ड, लखनऊ – 2 डिग्री, ओपीजेएस विश्वविद्यालय, चूरू (राजस्थान) - 2 डिग्री, उत्तर प्रदेश फार्मेसी काउंसिल – 1 डिग्री, आईके गुजराल पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय - 2 डिग्री
जेएस यूनिवर्सिटी, शिकोहाबाद – 4 डिग्री, आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ – 1 डिग्री
आईएफटीएम यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद – 3 डिग्री, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) UG – 1 फर्जी प्रमाण पत्र, दरअसल 24 फरवरी को पुलिस ने खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में तैनात संविदा चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार को उसके सहयोगी सुशील कुमार चौधरी के साथ गिरफ्तार किया।
 
राजेश कुमार गोरखपुर के एम्स क्षेत्र के आवास विकास कॉलोनी में रहते हैं, जबकि उनका साथी संतकबीर नगर के खलीलाबाद कोतवाली के पठान टोला का रहने वाला है। उनके सहयोगी सुशील चौधरी के पास भी दो फर्जी डिग्रियां पाई गईं – एक आयुर्वेदिक एवं यूनानी तिब्बी मेडिकल बोर्ड, उत्तर प्रदेश से तथा दूसरी चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से।
 
जांच में पता चला है कि दोनों लोग लोगों को लालच देकर फर्जी मेडिकल डिग्री के बदले पैसे ऐंठते थे। ये डिग्री पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रहने वाले एक सरगना द्वारा छापी जाती थीं। पुलिस ने मास्टरमाइंड की पहचान कर ली है और उसे पकड़ने के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है। पकड़े जाने के बाद इस फर्जी डिग्री सिंडिकेट के पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश हो जाएगा।
 
सबूत जुटाने के लिए देशभर के नौ विश्वविद्यालयों में पुलिस की टीमें भेजी गई हैं। जांच के आधार पर इस रैकेट से जुड़े और लोगों के नाम भी मामले में सामने आएंगे। साथ ही, इस बहु-राज्यीय धोखाधड़ी के पीछे फरार मास्टरमाइंड का पता लगाने और उसे गिरफ्तार करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
 
इस खुलासे से पूरे चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में खलबली मच गई है, तथा एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें अयोग्य व्यक्तियों को चिकित्सा पद्धति अपनाने की अनुमति देकर सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरे में डाला गया है।

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