उक्रांद ने की यूसीसी कानून को वापस लिए जाने को लेकर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता

उक्रांद ने की यूसीसी कानून को वापस लिए जाने को लेकर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता

नितिन कुमार 

स्वतंत्र प्रभात उत्तराखण्ड 

देहरादून| उतराखंड क्रांति दल के निवर्तमान युवा प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बिष्ट द्वारा यूसीसी कानून को वापस लिए जाने को लेकर प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।

उन्होंने कहा कि  राज्य के मूल निवासियों  ने जिस प्रकार से राज्य निर्माण के लिए अपने संघर्षो से एवं 42 से अधिक  शहादतों के पश्चात उतराखंड राज्य का निर्माण किया, राज्य के सुख, समृद्धि, संपन्नता के सपनें देखे थे, वह लडाई सिर्फ राज्य निर्माण के लिए नहीं थी अपितु अपनी संस्कृति, अपने सामाजिक, भौगोलिक ताने बाने को जोड़े रखने के लिए एक संघर्ष था।

लेकिन आज जिस प्रकार से धामी सरकार यूसीसी जैसे काले कानून को थोपकर राज्य के मूल निवासियों के मूल निवास की लडाई को खत्म करना चाहती है, साथ ही लिव इन रिलेशनशिप जैसे पाश्चात्य संस्कृति को वैध ठहरा कर यहाँ के युवाओं को नैतिक पतन की ओर लेकर जा रही है, यह राज्य के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। 

प्रदेश में मूल निवास और भू कानून के लिये चल रहे जन-आंदोलन के मध्य मुख्यमन्त्री धामी ने 27 जनवरी 2025 को प्रदेश में समान नागरिक संहिता  कानून (UCC) लागू कर दिया, इससे पहले भी राज्य स्थापना दिवस 09 नवम्बर 2024 को सीएम धामी ने यह कानून प्रदेश में लागू करने की घोषणा की थी,

लेकिन उस समय  उक्रांद की मूल निवास 1950 एवं सशक्त भू कानून के लिए आयोजित  ताण्डव रैली और उक्रांद के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय त्रिवेन्द्र सिंह पँवार जी के द्वारा  इस कानून के ख़िलाफ़ 48 घण्टे के उपवास के बाद सीएम धामी ने इस काले  कानून को लागू करने से अपने हाथ पीछे खींच लिये थे,लेकिन कुछ माह पूर्व हुई  एक संदिग्ध दुर्घटना में  स्वर्गीय त्रिवेंद्र पँवार की मौत हुई , और सीएम धामी ने प्रदेश में चल रहे राष्ट्रीय खेलों के अवसर पर देहरादून पहुँचे पीएम मोदी के आगे उत्तराखण्ड को यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनाने वाला रिपोर्ट कार्ड पेश कर अपने नम्बर बढ़ाने के लिये राज्य को एक बड़े खतरे की ओर धकेल दिया है।

मुख्यामंत्री धामी ने उत्तराखंड में यूसीसी लागू कर,अब साल भर लिव इन रिलेशन में रहने वाले और प्रदेश में नौकरी या कारोबार करने वाले बाहरी प्रदेश के लोगों या देशी-विदेशी जोड़ों को सामाजिक रूप से अनैतिक संबंधों के माध्यम से स्वयं और अपनी संतानों को प्रदेश का स्थायी निवासी बनाकर ,उत्तराखण्ड के मूल निवासी/स्थायी निवासी के समकक्ष भूमि और संपत्ति के साथ-साथ,स्थायी निवासी की तरह रोजगार और अन्य सभी अधिकारों का हक़दार भी बना दिया है,जिससे भविष्य में राज्य के युवाओं के रोजगार पर भी बाहरी राज्यो से आने वालो को समान अधिकार प्राप्त होंगे।

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केंद्रीय महामंत्री बृज मोहन सजवाण ने कहा इस कानून के माध्यम से महिला वैश्यावृत्ति,कल्चर भी अब पड़ोस में किरायेदार बनकर आ बसेगा,क्योंकि लिव इन रिलेशन में रजिस्ट्रेशन के बाद ऐसे अनैतिक संबंधों को,मोरल व सोशल पुलिसिंग को ठेंगा दिखाते हुये,पुलिस और कानून का भी संरक्षण प्राप्त होगा और आप चाह कर भी इसका विरोध नहीं कर पाओगे,

इस कानून के माध्यम से एक साल उत्तराखण्ड में रहने पर ही बाहरी प्रदेश के निवासी को उत्तराखण्ड के स्थायी निवासी का दर्जा देकर और लिव इन रिलेशन को देवभूमि में प्रोत्साहित कर देवभूमि की संस्कृति को अपमानित करते हुये,इस तरह के सामाजिक रूप से अवैध संबंधों से जन्मे बच्चों को भी प्रदेश के स्थायी निवासी का दर्जा देकर,यंहा के मूल निवासी की भूमि खरीद-फ़रोख़्त के अधिकार पर अतिक्रमण करने का उक्रांद विरोध करता आया  है,

लेकिन धामी सरकार ने इस कानून में कोई भी संसोधन किये  बग़ैर ही प्रदेश की जनता को बरगलाकर कि ये धर्म विशेष के ख़िलाफ़ और प्रदेश की जनता के हित में है,इस मूल निवास और भू-कानून के विशेषाधिकार की खिलाफत करने वाले कानून को जबरन प्रदेश की जनता के ऊपर थोप दिया है।

आगे केंद्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश उपाध्याय ने कहा सीएम धामी इसे अपनी उपलब्धि बता रहे हैं,जबकि इस कानून की खामियों के चलते देश के किसी भी राज्य की सरकार ने इस कानून को लागू करने की अभी तक हामी नहीं भरी है और वाज़िब सवाल ये भी है कि अगर वाक़ई ये सभी धर्म के नागरिकों को समान अधिकार देने वाला कानून है,

तो इसे सिर्फ़ उत्तराखण्ड पर ही लागू क्यों किया गया? पूरे देश की जनता पर क्यों नहीं? सवाल ये भी कि अगर देश की सम्पूर्ण जनता को एक ही कानून के दायरे में लाना सम्भव होता,तो फ़िर भारत के संविधान में आरक्षण,पाँचवी अनुसूची,छटवीं अनुसूची जैसे नागरिकों को विशेषाधिकार देने वाले प्रावधान क्यों? प्रदेश में यूसीसी कानून लागू होने का मतलब ये भी है कि अब प्रदेश में मूल निवास व्यवस्था और शशक्त भू कानून लागू नहीं होगा।इस काले कानून के खिलाफ  राज्य निर्माता  दल उत्तराखण्ड क्रान्ति दल  उत्तराखण्ड को अनैतिक संबंधों और वेश्यावृत्ति की बाढ़ से स्थायी निवासी पैदा करने की फैक्ट्री रोकने के लिये आंदोलन और माननीय हाईकोर्ट की शरण लेने की रणनीति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है l

 यात्रा के संयोजक राजेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि हम राज्य की जनता से आह्वान करना चाहते हैं कि राज्य की संस्कृति को बचाने के लिए, मूल निवास के लिए, अपने क्षेत्रीय दल द्वारा आयोजित गुरुकुल नारसन से नीति मलारी गाँव तक की  इस यात्रा में शामिल होकर इस काले कानून के विरोध में अपना अमूल्य योगदान दें ताकि भविष्य में होने वाले इसके दुष्परिणाम को रोका जा सके। प्रेस में केंद्रीय महामंत्री बृज मोहन सजवाण, यात्रा के संयोजक राजेंद्र सिंह बिष्ट, दिनेश नेगी, आशुतोष नेगी,राजेंद्र सिंह बिष्ट, भोला प्रसाद चमोली, परवीन चंद रमोला, मनीष रावत,प्रकाश भट्ट, निषित मनराल,सुमित डंगवाल, के एल शाह, जितेंद्र सिंह  आदि रहे|

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