गंगा पण्डाल में पार्श्वगायिका उषा उतथुप के भजनों से अभिभूत हुए दर्शक।
प्रतिभा प्रह्लाद ने भरतनाट्यम व अन्य नृत्यों से मनोरंजित किया।
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पण्डित उमाकांत की जगलबन्दी ध्रुपद को श्रोताओं ने पसंद किया।
प्रयागराज। महाकुम्भ प्रयागराज में आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। नागाओं के पवित्र स्नान से प्रयागराज की भूमि की पवित्रता को और अनुभव करने के लिए देश के सभी राज्यों और विदेशों से भी लोग आ रहे हैं। राजनयिक हो या कोई प्रसिद्ध या कोई सिने सितारा हो, संगम की पवित्र डुबकी लेकर जीवन को तर कर रहें हैं।
गंगा पण्डाल फिर से गुंजायमान हुआ।
प्रमुख स्नानों के बाद फिर से गंगा पण्डाल में कार्यक्रम की शुरुआत हुई। कार्यक्रम की शुरुआत पद्मश्री एवं संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित तथा डॉक्यूमेंट्री सांग्स ऑफ रिवर नर्मदा के संगीत के लिए नेशनल फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित पण्डित उमाकांत गुंडेचा ने अपने भतीजे व शागिर्द अनंत रमाकांत गुंडेचा की जुगलबंदी ध्रुपद गायन की अदभुत प्रस्तुति से मन मोहा।
उस्ताद ज़िया मोउद्दीन डागर एवं उस्ताद ज़िया फरिउद्दीन के शिष्य पंडित उमाकांत गुंडेचा ने अपने भाई स्व० रमाकांत गुंडेचा के साथ मिलकर 30 देशों से अधिक जगहों पर अपनी प्रस्तुति दी है। इनके 25 से अधिक देशों में शिष्य हैं। पण्डित उमाकांत गुंडेचा ने राग अड़ाना, मालकोस, यमन और शंकरा से ध्रुपद की जुगलबंदी की। सबसे पहले शिव स्तुति "शिव शिव शिव शंकर आदिदेव, शम्भू भोलेनाथ योगी महादेव" से कार्यक्रम की शुरुआत की। उसके बाद राग मालकोस में शंकर गिरिजापति शम्भू भोलानाथ में शिव आराधना की। यमन राग में उन्होंने "शिव शिव ध्यावत, शिव पद पावत" का पद सुनाया।
कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति के रूप में 1970 और 80 की प्रमुख पार्श्वगायिका तथा बंगाली, हिंदी, पंजाबी, असमी, उड़िया, गुजराती, मराठी, तमिल, कन्नड़, तेलगु जैसी भारत की 16 से अधिक भाषाओं और अंग्रेजी, डच, फ्रेंच, जमीन, इतालवी, रूसी, नेपाली , स्पेनिश जैसी कई अन्य विदेशी भाषा मे अपनी बेहतरीन गायन क्षमता का परिचय दे चुकी पद्मभूषण से सम्मानित सुश्री उषा उत्थुप के भजनों से पण्डाल मंत्रमुग्ध हो गया। उषा उत्थुप ने अपने चिर परिचित अंदाज में भजनों को गाकर दर्शकों को मनोरंजित किया। उन्होंने शिव तांडव से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की।
"है मेरी प्रार्थना, और मांगे क्या", भजन करो जैसे गानों से श्रोताओं को भजनों के रस में घोल दिया। अपने अंदाज में उन्होंने गंगा पण्डाल के दर्शकों को "भजन करो भरी जवानी में, बुढापा किसने देखा है" पर झूमा दिया। यूं मत कहो खुदा से, रघुपति राघव राजा राम जैसे गीतों को दर्शक की साथ मे गुनगुनाते रहे। गंगा मेरी माँ और ॐ त्रियम्बकम यजामहे से उन्होंने अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। उन्होंने प्रयागराज आने और प्रस्तुति देने के लिए संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश को शुक्रिया कहा। उन्होंने कहा कि प्रयागराज आकर वो अभिभूत है। 144 वर्षों के बाद हुई ऐसी विलक्षण समय पर डुबकी लगाना जीवन को पूर्णता प्रदान करना है।
कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में कुचिपुड़ी और भड़तनाट्यम की नृत्य निर्देशिका तथा पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित सुश्री प्रतिभा प्रह्लाद ने भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, ओडिसी, मोहिनीअट्टम, कथककली, छउ के सम्मिश्रण से तैयार एक नृत्य सामर्थ्य : रामायण की महिलाओं पर नृत्य भंगिमाओं से दर्शकों को मोहित कर दिया। सामर्थ्य एक ऐसा नृत्य और नाट्य का मिश्रित स्वरूप है जिसमे रामायण के महिला पात्रों का विभिन्न नृत्य कर माध्यम से प्रस्तुति की जाती है। जिसमे महर्षि वाल्मीकि की कथाओं को मोनोलोग, कविताओं, संगीत व नाट्य के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। इसमें माता सीता, कैकई, सूपनखा, उर्मिला, रानी मंदोदरी जैसे पात्रों को दर्शाया गया है। कार्यक्रम के समापन पर संस्कृति विभाग के कार्यक्रम अधिषासी कमलेश कुमार पाठक द्वारा सभी कलाकारों को सम्मानित किया गया।
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