बसारा गौशाला में ग्राम पंचायत और पशुपालन विभाग के गठजोड़ से बड़ा भ्रष्टाचार
फर्जी टेग के सहारे 100 से अधिक गोवंशों का पैसा सालों से किया जा रहा है हज़म
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लगभग ₹200000 से अधिक की सरकारी धनराशि का गवन किए जाने का मामला बना चर्चा का विषय
खंड विकास अधिकारी बेहजम के मिल रहे अभय दान के चलते खेला जा रहा खेल सूत्र
बेहजम खीरी जनपद में आए दिन गड़बड़ झाला घोटाला और गवन के मामले अक्सर सुर्खियां बनते हैं जिससे सरकारी तंत्र की चांदी के साथ-साथ नेताओं की भी बल्ले बल्ले हो रही है ऐसा ही एक मामला पशुपालन विभाग में प्रकाश में आया है पशुपालन विभाग के द्वारा प्रत्येक गाय के लिए ₹50 प्रति दिन सरकार से तय कर रखे हैं इसमें सरकार के मानक के अनुसार प्रत्येक गाय पर टैग लगा होना चाहिए सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार विकासखंड बेहजम की ग्राम पंचायत बसारा में एक अस्थाई गौशाला संचालित है इसमें पशुपालन विभाग के दस्तावेजी रिकॉर्ड के अनुसार 350 से ऊपर गायों का डाटा पोर्टल पर दर्ज होने की बात सामने आई है इसी संख्या के अनुसार भुगतान भी किया जा रहा है।
लेकिन साहब जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयां करती है अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल संचालन से करीब दो सैकड़ा से अधिक लगभग 250 से 260 गोवंश गौ आश्रय स्थल में रह रहे हैं जिसमें क्षेत्रीय पशु चिकित्सा के द्वारा समय-समय पर गौशाला का निरीक्षण किया जाता है लेकिन लगभग 104 से 105 गायों के भुगतान की रकम हर महीने लगभग डेढ़ 150000 रुपए से ज्यादा की धनराशि बनती है जो विभागीय गठजोड़ से ग्राम प्रधान और पंचायत सचिव की जेब गर्म होने की चर्चा आम हो रही है नाम न छापने की शर्त पर ग्रामीणों ने बताया कि जब से गौशाला बनी है तब से इसमें 250 से 260 तक ही गाये रहती हैं पशुपालन विभाग और ग्राम प्रधान की साठ गांठ से गायों की संख्या में गड़बड़ी कर मोटी कमाई की जा रही है।
गौशाला मैं कार्य संलग्न कर्मी की बात मानी जाए तो यहां काफी गोवंश मृत प्राय हो चुके हैं जिनका कोई लेखा-जोखा मौजूद नहीं है एक जागरूक ग्रामीण द्वारा नाम गुप्त रखने की शर्त पर दी गई जुवानी जानकारी के अनुसार खंड विकास अधिकारी बेहजम का वरदहस्त के चलते जमकर भ्रष्टाचार और फर्जी वाडा का खेल खेला जाता है जिसका जीता जागता उदाहरण गत माह पूर्व प्रकाश में आया था अखबारों में खबरें चलने के बाद गौशाला में रह रहे गोवंशों की संख्या की जांच किए जाने की औपचारिकता निभाने आए खंड विकास अधिकारी द्वारा पास ही की गौशाला बाछे पारा से 80 गोवंश मंगा कर गिनती पूरी कराकर कोरम पूरा कर बसरा गौशाला संचालक को क्लीन चिट दे दी गई।
जबकि दोनों गोवंश आश्रय स्थलों में रजिस्टर पर दर्ज गोवंशों और मौके पर मौजूद गोबसों की संख्या में भारी अंतर देखा जा सकता है इस हिसाब से प्रतिमाह लाखों रुपए का चुना सरकारी खजाने को लगाया जा रहा है यदि जिला अधिकारी खीरी अथवा मुख्य विकास अधिकारी मामले का संज्ञान ग्रहण करते हुए एक ही दिन उक्त दोनों गौशालाओं बाछे पारा गौआश्रय स्थल व बसारा के गौशाला की काराये जांच तो एक बड़े घोटाले का होगा पर्दाफाश तथा कई जिम्मेदारों के चेहरों से उठ जाएगा ईमानदारी का मुखौटा और असली चेहरा आएगा सामने यह आरोप मेरे नहीं बल्कि ग्राम पंचायत निवासी ग्रामीणों के हैं।
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