राज्यपाल ने राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह कार्यक्रम का किया शुभारम्भ।
26 विद्यार्थिंयों को स्वर्ण पदक तथा कुल 31,940 छात्र-छात्राओं को दी गयी उपाधि।
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100 आंगनबाड़ी केन्द्रों को सुसज्जित करने के लिए प्री स्कूल किट का किया वितरण।
प्रयागराज।राज्यपाल उत्तर प्रदेश आनंदीबेन पटेल बुधवार को राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय में आयोजित 19वें दीक्षांत समारोह कार्यक्रम में सम्मिलित हुई। इस अवसर पर राज्यपाल के द्वारा प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को स्कूल बैग एवं अन्य उपहार सामाग्री का वितरण किया गया तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों की कार्यकत्रियों को खेल का सामान व आंगनबाड़ी किट प्रदान किया गया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विभिन्न विद्यालयों में करायी गयी प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले बच्चों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इसके साथ ही विभिन्न विद्यालयों में अच्छा कार्य करने वाले प्रधानाचार्यों को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर आयोजित दीक्षांत समारोह में 26 विद्यार्थिंयों को स्वर्ण पदक तथा स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों के कुल 31,940 छात्रों को उपाधियां दी गयी। राज्यपाल महोदया ने कहा कि पदक प्राप्त करने में छात्राओं की संख्या अधिक है, जो बेटियों द्वारा की जा रही मेहनत एवं दृढ़ इच्छाशक्ति को प्रदर्शित करता है।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कार्यक्रम में सभी पदक व उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मैं आपके माता-पिता, अध्यापकों और विश्वविद्यालय की टीम के सभी लोगों को भी बधाई देती हूँ। उन्होंने कहा कि बच्चों को संस्कार देने में माताओं का विशेष योगदान रहता है। माताएं अपने अनुभव से बच्चों का पालन पोषण करती है तथा बच्चों को संस्कारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि बच्चों का संस्कार, कल्चर, व्यवहार, भाषा अच्छे ढंग से होना चाहिए।
विश्वविद्यालय के लिए केन्द्र व राज्य सरकार से जो भी बजट प्राप्त हो रहे है, उसका उपयोग बच्चों के कल्याण के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रति वर्ष बजट बढ़ाया जा रहा है। इसका उपयोग नए-नए प्रोजेक्ट बनाने में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के साथ-साथ यूजीसी के द्वारा भी बजट उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रतिवर्ष 1 लाख विद्यार्थिंयों को 10 लाख रूपये ब्याज से मुक्त ऋण उपलब्ध करा रही है, जिससे युवा अपना स्वरोजगार शुरू कर सकते है। इसके अलावा अगले 5 वर्षों में 1 करोड़ विद्यार्थिंयों को प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना के तहत देश की शीर्ष कम्पनियों में काम करने का अवसर मिलेगा।
माडल कौशल ऋण योजना के तहत 25 हजार विद्यार्थिंयों को प्रतिवर्ष 7.5 लाख रूपये ऋण उपलब्ध कराये जाने की सुविधा प्रदान की गयी है। मा0 राज्यपाल महोदया ने कहा कि विद्यार्थिंयों की सुविधा के लिए डीजी लॉकर में अंक तालिकाओं, डिग्रियों को अपलोड़ किए जाने की व्यवस्था से विद्यार्थिंयों को अत्यधिक सुविधा मिल रही है। उन्होंने समर्थ पोर्टल व्यवस्था की महत्ता के बारे में भी बताया।
राज्यपाल महोदया ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की वास्तविक पहचान उसके उच्च स्तरीय शोध तथा गुणवत्तापूर्ण पठन-पाठन से होती है और वर्तमान समय में यह विश्वविद्यालय विश्व के श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों में अपना स्थान बनाने में तभी सफल हो पाएगा जब शिक्षण कार्यों तथा शोध के क्षेत्र में गुणवत्ता और उत्कृष्टता होगी। नए भारत के निर्माण के लिए विश्वविद्यालयों को नए ज्ञान का सृजन और विस्तार करना होगा।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे गुणवत्ता और सुशासन के सही समन्वय के द्वारा शिक्षण, अनुसंधान और नवाचार में श्रेष्ठता हासिल करने की संस्कृति को विकसित करें ताकि संस्थान और विद्यार्थिगण दोनों ही वैश्विक मानकों के अनुरूप अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें। मेरा मानना है कि गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा न केवल छात्र-छात्राओं को बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करती है, बल्कि वह समाज के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी प्रोत्साहित करती है।
उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को उत्कृष्ट स्तर पर ले जाने के लिये समय-समय पर गोष्ठियां एवं सेमिनार आयोजित किये जाने चाहिये। इससे विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने के अवसर प्राप्त होते हैं। आज का युग संचार और प्रौद्योगिकी में क्रांति का है, जिसका उपयोग न केवल प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाने में सहायक है, बल्कि ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म्स, ऑनलाइन संसाधन और डिजिटल लाइब्रेरी आदि शिक्षा की गुणवत्ता में अहम् भूमिका निभाने का कारक बन रहे हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि केन्द्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार बोधगया के कुलपित श्री कामेश्वर नाथ सिंह ने कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था भारतीय सांस्कृतिक मूल्य और भारतीय जीवन दृष्टि के अनुरूप होनी चाहिए, तभी हम एक समावेशी भारत को मूर्त रूप दे सकेंगे। उन्होंने पदक विजेताओं एवं उपाधि प्राप्त करने वाले शिक्षार्थियों से कहा कि वह अपने जीवन में नैतिकता एवं मानवीय मूल्य का समावेश करते हुए जीवन को व्यावहारिक रूप प्रदान करें। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि शोध के उन्नयन एवं विकास हेतु अधिक से अधिक शोध परियोजनाओं को चलाने के लिए शिक्षकों को आगे आना होगा।
इसके साथ ही स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप शोध हेतु प्राथमिकता वाले क्षेत्र तय करने होंगे। कुलपति प्रोफेसर सिंह ने कहा कि आज जरूरत है आध्यात्म को विज्ञान से, परमार्थ को व्यवहार से, परम्परा को आधुनिकता से जोड़ते हुए वैयक्तिक, सामाजिक एवं वैश्विक जीवन में समरसता स्थापित की जाए। उन्होंने भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन का स्मरण करते हुए कहा कि टंडन जी ने अपने तपोनिष्ठ जीवन में नैतिकता और संयम की मर्यादा का पालन किया। हमें उनके जीवन्त आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करना होगा।
उन्होंने गर्व से कहा कि टंडन जी के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यालय विगत 26 वर्षों से अपनी उपलब्धियों के साथ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक क्षितिज पर अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों को पूरा करने में मुक्त विश्वविद्यालय की भूमिका बढ़ गई है। 24 करोड़ से अधिक की इस विशाल जनसंख्या वाले राज्य में ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक भारतीय ज्ञान परंपरा की पहुंच बनाई जा सकती है। प्रोफेसर सिंह ने प्रदेशवासियों को रोजगार परक एवं कौशल युक्त शिक्षा को मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के माध्यम से सर्व सुलभ बनाने के लिए मुक्त विश्वविद्यालय की सराहना की।इस अवसर पर मंत्री, उच्च शिक्षा विभाग योगेन्द्र उपाध्याय ने मेडल एवं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थिंयों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
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