यूरिया खाद की हो रही कालाबाजारी
अंकुश लगाने में असफल दिखाई दे रहे हैं कृषि अधिकारी
स्वतंत्र प्रभात
जलालपुर अंबेडकर नगर।
खाद के प्राइवेट दुकानदार तीन सौ रुपये प्रति बोरी युरिया के साथ 2 किलो जिंक जिसका मूल्य 180 रुपये भुगतान करने के बाद ही कृषक को एक बोरी यूरिया प्राप्त हो रही है। जबकि किसान गेहूं बोने के लिए मार्केट से गेहूं का बीज, खाद, खेत की जुताई, सिंचाई आदि में इतना धन खर्च कर चुका होता है कि उसके पास खाद लेने के लिए पर्याप्त धन नहीं होने के बावजूद भी वह मजबूर होकर खाद खरीद रहा है।
ऐसा ही मामला जलालपुर मालीपुर रोड पर स्थित शिव पूजन वर्मा मोहद्दीनपुर में स्थित दुकानदार का प्रकाश में आया है, जहां पर शिवपूजन वर्मा किसानों को स्पष्ट रूप से यह कहकर युरिया देने से मना कर दे रहा हैं कि एक बोरी यूरिया के साथ 2 किलो सल्फर लेना आवश्यक होगा। तभी हम आपको युरिया दे पाएंगे । जब इसकी शिकायत जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय जी से की गई तो उन्होंने जांच पड़ताल करने का झूठा वादा कर ठंडा बस्ता में डाल दिए।
दुकानदार का कहना है कि आपको जहां भी शिकायत करनी है कर लीजिए उड़िया हम तभी देंगे जब 2 किलो सल्फर एक बोरी यूरिया के साथ हमारे यहां से लोगे ।जबकि गेहूं की बुवाई के समय में मात्र डीएपी और यूरिया की बुवाई ही की जाती है, सल्फर की बुवाई सिंचाई होने के बाद की जाती है। अभी से किसान यूरिया और सल्फर खरीदेगा उसके बाद सिंचाई के बाद भी यूरिया और सल्फर खरीदेगा ऐसे में किसान के ऊपर खर्च का बहुत बड़ा भार आ रहा है, जिसको सहपाना किसानों के लिए संभव नहीं है ।
किसान मजबूर होकर खेती में आवश्यक उर्वरक के बजाय कम उर्वरक डालकर खेती करने को मजबूर है, जिससे इसकी पैदावार काफी कम हो जा रही है। ऐसी स्थिति में किसान की आय दोगुनी होना सरकार की मंशा की खुलेआम धज्जिया उड़ाई जा रहे हैं।

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