फूलपुर का एक लेखपाल वास्तविकता के विपरीत रिपोर्ट देकर अधिकारियों को करता है गुमराह।
भ्रष्टाचार का बोलबाला।
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स्वतंत्र प्रभात।
ब्यूरो प्रयागराज।
फूलपुर तहसील कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है हालत यह है कि लेखपाल से लेकर कार्यालय के बाबू तक बिना पैसे के लेनदेन कियै कोई भी कार्य नहीं करते हैं ।पैसे के बल पर किसी लेखपाल से अभिलेखीय साक्ष्य के विरुद्ध तथा स्थल निरीक्षण के बिना कोई भी रिपोर्ट जो चाहे अपने पक्ष में लिखा सकता है। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है।
बोर्ड आप रिवेन्यू जैसी महत्वपूर्ण अदालत के आदेश के विपरीत तथा पुलिस के द्वारा एक बिबादास्पद भूखंड पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए दफा 145 की आख्या देने के बावजूद दूसरे पक्ष से भारी लेनदेन करके खेत की जुताई और कब्जा करा रहा है जिससे वहां शांति भंग होने की आशंका पैदा हो गई है।
मामला मैलवन नईकोट गांव का है जहां पर एक भूखंड के असली वारिस को लेकर दो पक्षों में विवाद चल रहा है ।उसमें एक पक्ष का तहसील न्यायालय से उसके पक्ष में फैसला हो चुका है ।और खतौनी में उसका नाम भी दर्ज हो चुका है। मामला बोर्ड आफ रिवेन्यू में विचाराधीन है। बोर्ड ऑफ रेवेन्यू अदालत ने दोनों पक्षों को अंतिम फैसला आने तक यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश भी पारित किया है इसको देखते हुए फूलपुर पुलिस ने 2 वर्ष पूर्व शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए उस भूखंड पर दफा 145 की रिपोर्ट भेज कर दोनों पक्षों को फैसला आने तक रोक लगा रखी थी।
लेकिन तीन दिन पूर्व चकबंदी विभाग से स्थानांतरित होकरआए एक लेखपाल ने भारी लेनदेन करके दूसरे पक्ष के लोगों से मिली भगत करके ना तो अभिलेख की जांच की ना वास्तविकता को पता किया और ना ही स्थलीय निरीक्षण किया और आख्या दे दी की दूसरा पक्ष का भूखंड पर लगातार कब्जा दखल हैं और जुताई बुआई करता रहा है ।जबकि पिछले दो वर्षों से कोई जुताई बुआई नहीं हो रहा था। और यथा स्थिति बनी हुई थी। लेकिन उसके इस रिपोर्ट का लाभ उठाते हुए दूसरे पक्ष ने पुलिस को अपने प्रभाव में ले लिया और वहां भी लेनदेन करके उसने अचानक खेत पर जाकर ट्रैक्टर से जुताई करने लगा ।इसका विरोध जब प्रथम पक्ष ने करना चाहा तो उससे मारपीट और लड़ाई झगड़ा पर उतारू हो गया।
इसकी शिकायत जब फूलपुर थाने में प्रथम पक्ष में किया तो प्रभारी निरीक्षक ने लेखपाल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वह उप जिला अधिकारी और लेखपाल की मर्जी से खेत जोत जा रहा है उसका कोई लेना-देना नहीं है ।लेकिन प्रभारी निरीक्षक भूल गए की पुलिस ने अपनी 145 की रिपोर्ट देकर खुद उस भूखंड को जोतने बोने से दोनों पक्षों को मना कर चुकी है। यही नहीं एक माह पूर्व भी दूसरा पक्ष खेत पर कब्जा करना चाहता था तो प्रभारी निरीक्षक ने उसको मना किया था कि अगर खेत की जुताई की तो मुकदमा कायम कर दूंगा। लेकिन अपनी ही रिपोर्ट कोझुठलाते हुए लेखपाल की रिपोर्ट पर का आधार बनाकर वह भी पीछे हट गए। जिसके पक्ष में अभी तक बोर्ड ऑफ रेवेन्यू और तहसील से फैसला हो चुका था खतौनी में नाम दर्ज था उस पार्टी की मदद ना करके दूसरे पार्टी की मदद में सहायक बन गए।
इससे साबित होता है की पुलिस की भी इसमें मिलीभगत धी । प्रथम पक्ष ने उच्च अधिकारियों के यहां संपूर्ण कागजात के साथ शिकायत दर्ज कराई है जिस पर उपायुक्त गंगानगर ने एसीपी फूलपुरको अपने स्तर पर जांच करने और कानूनी तरीके से जो सही है उसको अमल करने का सख्त निर्देश दिया है। उपायुक्त ने कहा कि लेखपाल की रिपोर्ट को आधार बनाकर पुलिस को मूकदर्शक नहीं बनना चाहिए क्योंकि पुलिस स्वयं 145 दफा की रिपोर्ट देकर उस भूखंड पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर चुकी थी। इस तथ्य से उसे उप जिलाधिकारी को अवगत भी करना था ।
प्रदेश में राजस्व और पुलिस की मनमानी से ऐसे ही मामलों में शांति भंग और खूनी संघर्ष की घटनाएं कई हो चुकी हैं इसके बावजूद भी यह दोनों विभाग सबक नहीं सीखते हैं।
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