विधायक के खिलाफ सोची समझी साजिश का जानिए पूरा खेल
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उन्नाव। जो सच होता है वह दिखाई ज़रूर पड़ता है। दो दिन से चर्चा में बने पूरे मामले की पूर्व जिला अधिकारी एम देवराज ने की थी खुद प्रकरण की जांच जिसके अनुसार बाबू नाम के, एक व्यक्ति की दो पत्नियां थीं, (जिसके साक्ष्य और गांव वालों के बयान, कोर्ट में पेश किए गए और साबित हुए) एक पत्नी से दो बेटियां हुईं आगे चलकर, उन दो बेटियों में एक बेटी निःसंतान थी और दूसरी से दो लड़के जिमसे एक मृतक कैलाश राजपूत था और दूसरा उसका भाई हुआ था।
वहीं दूसरी ओर, बाबू की दूसरी पत्नी, ललूइया उर्फ़ ककुईया से एक बेटी हुई जो, दोनों आखों से नेत्रहीन थी, जिसके हिस्से की जमीन को, छिपाकर, बेचने और वह नेत्रहीन औरत है ही नहीं या यूं कहें कि बाबू की दूसरी पत्नी थी ही नहीं, यह साबित करने के,प्रयास में विफल....मृतक कैलाश राजपूत, बार बार पैसों के लालच में, जिले के भूमाफियाओं के साथ मिलकर, अपनी दोनो मौसियों को,(नेत्रहीन मौसी जो वास्तविक मालिक है) उसके स्थान पर, खड़ा कर,अपनी सौतेली नानी की जमीनों का सौदा करता रहता था।
जिसमे, अलग अलग लोगों को, दिवंगत सपा नेत्री और दूसरी जमीन एक जन प्रतिनिधि की बहन को भी बेच दी गई थी तत्कालीन जिला अधिकारी एम देवराज ने खुद पूरी जांच के बाद,(उस नेत्रहीन बहन को, जिसके अस्तित्व को ही मिटाने का काम, मृतक कैलाश राजपूत ने किया था) षड्यंत्रकारियों के षड्यंत्र का पर्दाफाश करते हुए, उस बहन को उसका कब्जा दिलवाया गया था जिसका एग्रीमेंट, उस समय, पप्पू गुप्ता, संजय मिश्र और वर्तमान में एक जन प्रतिनिधि के नाम किया गया था।
षड्यंत्रकारी भाई, मृतक कैलाश राजपूत के लालच की इंतहा थी और उसके संरक्षकों ने, उसके हौसले इतने बुलंद किए कि उसने फिर बेईमानी से अन्य तरीके से लोगो को गुमराह करता रहा करोड़ों की बेशकीमती जमीन, एक अंधी औरत से किस प्रकार हथिया ली जाए, यह षड्यंत्र उसकी मां और उसके साथ कई वर्षों से किया जा रहा था।
कई बार कोर्ट के आदेश के बाद, उसे उसकी जमीन पर कब्जा दिलवाने की कोशिश की गई, पर मृतक कैलाश राजपूत ने, हर बार उसे प्रताड़ित किया और गांव तक छोड़ने पर मजबूर कर दिया था अंततः राजरानी उर्फ़ रजाना ने, अपनी मां के हिस्से की कुछ जमीन जो वारासत के तौर पर, रजाना की थी, दिवंगत सपा नेत्री और कुछ जमीन पप्पू गुप्ता, संजय मिश्रा के नाम एग्रीमेंट कर दी थी।
मृतक कैलाश ने 2020 में, बिकी हुई जमीन की बडी रकम कुछ सफ़ेद पोश नेताओ से ले रखा था और जमीन हाथ से हाथ से फिसलते हुए देखकर और परेशान होकर और पैसा ना वापस करना पड़े इसीलिए दूसरी जमीन का बैनामा पुनः जन प्रतिनिधि की बहन के नाम इसी वर्ष मई 2023 में,बैनामा कर दिया था।
लेकिन कब्जा नही दिलवा पा रहा था मृतक
और जब कुछ नही हुआ तो पैसा ना वापस करना पड़े और चारो तरफ से दबाव में आकर आत्म हत्या जैसा कदम उठा लिया घटना गलत हुई जब मामला न्यायालय में था तो इंतजार करना चाहिए था। बताया जाता है कि अब मृतक का परिवार लोगो के बरगलाने पर इस तरह के बयान दे रहा है की न्याय नही मिला तो सी एम आवास पर जाकर आत्म दाह कर लेंगे।
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