अयोध्या सिद्ध पीठ बड़ी छावनी  की कहानी........सच्ची घटना

अयोध्या सिद्ध पीठ बड़ी छावनी  की कहानी........सच्ची घटना

श्री रघुनाथ दास

स्वतंत्र प्रभात

रिपोर्ट : आनंद  वेदांती त्रिपाठी अयोध्या 

अयोध्या 

एकादशी के दिन था मेरे बगल मे एक मिश्रा आंटी रहती है जिनको बचपन से मे जनता  हूँ और  उनकी मुँह से बड़ी छावनी की बड़ी महिमा है कहानी  अक्सर सुना करता था  कि वहाँ बड़े सिद्ध संत हुए है वहाँ के संतो मे बड़ी दिव्यता है और भी कई  रोमांचित करने वाले किस्से सुने एक दिन मिश्रा आंटी छावनी पैदल ही जा रही थी और मे  भी कही काम से जा रहा था  तभी  उन्हें देख के पूछा की आंटी किधर जा रही हो.. बोली आज एकादशी है गुरु भगवान के दर्शन करने बड़ी छावनी जा रही हूँ.... मेने कहा चलो मे छोड़ देता हूँ मुझे आशीर्वाद देते हुए गाड़ी पर बैठ गई... फिर हम छावनी के द्वारा पर पहुँचे.. मे बाहर से ही उन्हें छोड़ निकल रहा था तभी.... उन्होंने कहा बेटा आव यहां दर्शन कर लो.... पहले तो मे संकोच मे आ गया फिर मैं तैयार हो गया..... खूब बड़े स्टील का गेट और बड़ी बड़ी लाल किले के दिवार वाली बड़ी छावनी मे अंदर घुसा घुसते ही एक बड़ा सा पीपल का पेड़ निचे एक अजीब वो गरीब आकृति... मुझे समझ नहीं आयी आंटी को प्रणाम करते हुए आगे बढ़ते मे भी बढ़ गया.... फिर मुख्य मंदिर परिसर मे गया.... जहाँ एक बड़ी दिव्य चमक वाले महराज जी बैठे थे ऊँचे आसान पर  और  कुछ लोग उनके चरणों के पास बैठे थे l जिन्हे वो कुछ  उपदेश दे रहे थे..मै भी नजदीक गया और वही बैठ गया... महाराज जी कह रहे थे  कि... किसी जीव आत्मा को अगर तुम्हारी वजह से कस्ट हो रहा है तो वही पाप  है और तुम्हारी वजह से किसी को खुशी  मिल रही है तो बस यही पुण्य है.... सीधे शब्दो मे धर्म को समझा रहे थे.... उनके मुख से एक गजब आभा  दिख रही थी...जो अनायास ही उनके तरफ आकर्षित कर रही थी....फिर महराज जी के सामने गया और  आशीर्वाद लिया....उनसे पूछा महराज जी मैने सुना है यहां बड़े सिद्ध संत हुए है जिनके चमत्कार के चर्चा अभी तक चलती है कुछ बताए अपने मुखरबिंदो से तो कहने लगे सच्चे संत चमत्कार दिखाते नहीं सिद्धि और शक्तियां प्रचार और दिखवा का विषय नहीं है हां लेकिन आवश्यक पड़ने पर जब उनका प्रयोग किया गया तो वही  आम जनमानस के लिए चमत्कार या जो भी समझे वह होता है.......इसी के साथ वो चुप हो गये। फिर मेरा नाम पूछा ...? कहा से आये हो मेने कहा मेरा नाम आनंद त्रिपाठी है और मे यही का रहने वाला हूँ...... फिर उनके चरण छू कर वहाँ से आगे  मुख्य मंदिर परिसर मे गया जहाँ रघुनाथ दास जी ने सनातन राम कि स्थापना कि थी जो स्वयं रघुनाथ दास जी को सरयू से मिले थे  जिसकी  प्रेरणा से ही बड़ी छावनी की स्थापना हुई.. लगभग 300 वर्ष  पुराना यह स्थान जहाँ पर जो भी लोग आए हैं वह कभी भूखे नहीं सोए हैं अनवरत रूप से यहां भंडारा  चलता रहता है .....माँ अन्नपूर्णा सदैव इस मंदिर मे वास करती है और यहां का भंडार ग्रह कभी खाली नहीं होता तब से लेकर अभी तक यहां वही नियम चलता आ रहा है....बड़ी छावनी  पहले महंत श्री रघुनाथ दास जी महाराज बड़े सिद्ध संत हुए  जिन्होंने इसकी नीव रखी.... बड़े बड़े राजा महाराज उस दौर के उनके कृपा पात्र थे  स्वयं भगवान राम उनके कार्य करते थे  ऐसी  मन्यात थी...वहा के संत समाज के कहने अनुसार जो सबसे बड़ी विशेषता है कि बड़ी छावनी गद्दी नशीन बाबा संत जगदीश दास शास्त्री   जी महाराज छावनी परिषद से कहीं भी बाहर नहीं जाते हैं.. पूरा जीवन छावनी मे ही रहके गुजरना है ऐसी भीषण  नियम से महाराज जी स्वयं को संकल्पीत किये है और जो वहाँ कि  परम्परा भी है इस दर है l

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