अपनी संस्कृति के मानकों को गौरव के साथ धारण करना ही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि : डॉ. चौहान

स्वतंत्र प्रभात     

करनाल -  भारतीय काल गणना सबसे प्राचीन है और पूर्णतः खगोल विज्ञान पर आधारित है। यह हमारी कमी है कि हम एक वैज्ञानिक प्रणाली के जनक होते हुए भी एक ऐसी प्रणाली को अपनाए हुए हैं जो अवैज्ञानिक है । हमारी दादी - परदादी पहले घरों में सामान्य व्यवहार में इस वैज्ञानिक प्रणाली को प्रयोग किया करती थीं किन्तु अब तो वह भी कम होता जा रहा है । प्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ.वीरेंद्र सिंह चौहान ने ये उद्गार करनाल जिले बालू तीर्थ पर उपस्थित श्रद्धालुओं के साथ संवाद में प्रकट किए । इस अवसर पर महंत श्री मोहिन्द्र पाल शांति गिरी का सानिध्य भी प्राप्त हुआ।

उन्होंने कहा कि बैंकों ,सरकारी काम काज में प्रचलित काल गणना को अपनाए रखना तकनीकी दृष्टि से सुविधाजनक हो सकता है । देश की अनेक कार्य प्रणालियाँ जिन्होंने अंग्रेजों के शासन काल के दौरान जन्म लिया उनमें एकाएक परिवर्तन समस्या मूलक हो सकता है किन्तु सामान्य व्यवहार में एक भारतवासी के लिए भारतीय अंक प्रणाली और भारतीय काल गणना प्रणाली को अपनाने में उसकी अपनी जानकारी और सोच के अतिरिक्त कुछ भी बाधा नहीं है  । डॉ.चौहान ने सभी उपस्थित गणमान्य लोगों का आह्वान किया की अपने अपने घरों में भारतीय तिथि और भारतीय अंकों को बोलें ।

प्रदेश भाजपा प्रवक्ता डॉ.वीरेंद्र सिंह चौहान ने भगत सिंह, राज गुरु और सुखदेव को याद करते हुए उनके जीवन से जुड़ी विभिन्न बातों को सभी के साथ साझा किया।  उन्होंने कहा कि भारत के लोग आन-बान-शान से शासन कर सकें, अपनी उन्नति के लिए अपनी इच्छानुसार - अपनी आवश्यकतानुसार नियम क़ानून बना सकें भगत सिंह, राज गुरु और सुखदेव ने अपना जीवन बलिदान कर दिया। हम सबका दायित्व बनता है कि उनके बलिदान को व्यर्थ न जानें दें ।  भारतीय अंक प्रणाली व भारतीय काल गणना प्रणाली और अपनी संस्कृति के अन्य मानकों को गौरव के साथ धारण करना ही  इन शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि  होगी।

इस अवसर पर अनेक श्रद्धालुओं के साथ जुंडला मंडल अध्यक्ष अजीत सिंह राणा, मण्डल उपाध्यक्ष सुभाष राणा,  मण्डल महामंत्री रमेश मंजूरा, पूर्व जिला सचिव अमनदीप शर्मा, मण्डल शक्ति केंद्र सहप्रभारी कृष्णा शर्मा आदि गणमान्य भी उपस्थित रहे। 
 
 
 

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