कोरोना काल में झेला कुष्ठ का दुख, अब लोगों को दे रहे ज्ञान
-पहले मानसिक रुप से हुए परेशान, कुष्ठ को मात दे लोगों को दे रहे ज्ञान
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महोबा । ब्यूरो रिपोर्ट-अनूप सिंह
कोरोना काल डरावने सपने से कम नहीं है। उस समय जब पता चला कि मुझे कुष्ठ रोग है तो लगा कि अब जिंदगी खत्म हो गई। मानसिक तनाव भी बढ़ गया। लेकिन पत्नी ने मनोबल बढ़ाया और पूरा साथ दिया। फिर सही समय पर नियमित इलाज और मार्गदर्शन के साथ जिंदगी ने फिर करवट ली। कुष्ठ रोग को मात देकर अब पूरी तरह स्वस्थ्य हैं। यह कहना है शहर के भटीपुरा के रहने वाले अखिलेश साहू का।
पेशे से निजी कार चालक अखिलेश (44 वर्ष) ने बताया कि नंवबर 2020 में उनके दाहिने हाथ में सूजन थी और त्वचा मोटी हो गई थी। शुरूआत में इसे मामूली समझ कर उसे नजरअंदाज किया। दिक्कत बढ़ने लगी तो झांसी में जांच कराई। वहां उन्होंने किसी दवा का रिएक्शन बताया। जबजिला अस्पताल आकर फिजियोथेरेपिस्ट डॉ.सुरेंद्र सिंह से मिले। उन्होंने इसे कुष्ठ रोग बताया। यह सुनते ही उनके होश उड़ गए। मन में नकारात्मक विचार आने लगे। लेकिन आत्मविश्वास के चलते उन्होंने डटकर सामना किया। स्वास्थ्य विभाग में विशेषज्ञों की राय और नियमित इलाज से डेढ़ साल में उन्होंने कुष्ठ को मात दे दी। अब वह स्वस्थ हैं।
अखिलेश ने बताया कि वह सभी को समझाते हैं कि कुष्ठ लाइलाज बीमारी नहीं हैं। समय पर सही उपचार से यह पूरी तरह ठीक हो सकता है। इसको छिपाएं नहीं बल्कि डट कर सामना करें। अखिलेश ने बताया कि जो भी ऐसे व्यक्ति उन्हें मिलते हैं जिनमें कुष्ठ जैसे लक्षण प्रतीत होते हैं तो उन्हें कुष्ठ विभाग लेकर जाता हूं ताकि सही पहचान हो सके और पूर्ण इलाज मिलसके।
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