खूलेआम बीफ मांस की अवैध दूकान की गंदगी से क्षेत्रवासियों का जीना दुश्वार
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स्वतंत्र प्रभात
फतेहपुर जनता को स्मार्ट सिटी के सपने दिखाए जा रहे हैं लेकिन हकीकत यह है कि यहां गली-मोहल्ले बूचड़खाने बनते जा रहे हैं और सड़कों किनारे अवैध रूप से मांस की दुकानें खुली हुई हैं। एक-दो को छोड़ दें तो कस्बे में अन्य के पास मीट की दुकान खोलने का लाइसेंस नहीं है। रिहायशी क्षेत्रों में पशुओं के कत्लगाह खुलने से लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है। लेकिन पीड़ा यह है, उनकी सुनवाई कहीं भी नहीं हो रही है। शहर के मोहल्ला छोटी बाज़ार में खुली अवैध मांस दुकान बंद कराने के लिए लोग नगर पंचायत, थाने व खाद्य विभाग से कई बार शिकायत भी कर चुके हैं लेकिन जांचकर्ता अधिकारियों को पैसा ले देकर मांस बेचने वाले बेखौफ़ डटे हुये है
शहर के छोटी बाज़ार मोहल्ले में मुख्य सड़क खुलेआम मांस बेचा जा रहा है। पशुवध से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ दुकानदार सड़क किनारे फेंक देते हैं। इससे आती दुर्गंध से स्थानीय लोगों का जीना दूभर हो रहा है।
क्षेत्रनिवासीगण ने बताया कि मुख्य मार्ग के किनारे बीफ़ मांस की बिक्री हो रही है। खुले में बेचे जा रहे मांस से लोग परेशान हैं। पुलिस-प्रशासन से मांग की दुकान को बंद कराए। लेकिन प्रशासन कोई कार्रवाई नही कर रहा है ब्लकि नगरपालिका पशु चिकित्सक खानापूर्ति करके वापस चले जाते है!
प्रशासनिक अधिकारियों की मिली भगत से एक्ट का हो रहा उल्लंघन
मोहल्ला छोटी बाज़ार सहित कई स्थानीय बाजारों में नियमों की अनदेखी कर खुलेआम सड़कों पर मांस बेचा जा रहा है। इन दुकानों पर बीफ़ मांस को बिना ढके टांगा जाता है, जिन पर मक्खियां भिनभिनाती हैं। जिससे संक्रमण का खतरा बना रहता है। नियमों के अनुसार, बिना अनुज्ञप्ति मांस की दुकान पर रोक है। साथ ही खुले में तो बिल्कुल भी इसकी बिक्री नहीं की जा सकती है। धड़ल्ले से चल रही ऐसी दुकानों के संचालकों पर कोई असर नहीं दिखता। बिना किसी खौफ के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मांस बिक्री का कारोबार चल रहा है। वहीं इन रास्तों से रोजाना गुजरने वाले तमाम वरीय प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी इससे मुंह फेर लेते हैं।
सफाई का नहीं रखा जाता है कोई ख्याल
छोटी बाज़ार में बीफ मांस की दुकानें सड़क के किनारे व स्थायी दुकानों से संचालित हो रही हैं। हैरत की बात यह है कि कुछ दुकानदार अस्वस्थ बीफ़ मांस भी काट कर लोगों में बीमारी परोस रहे हैं।

क्या है नियम
प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल एक्ट 1960 के तहत अवैध तरीके से मांस की दुकान लगाना और पशुओं की हिंसा करना प्रतिबंधित है। यहां तक कि इनका गलत तरीके से ढोना भी अपराध की श्रेणी में आता है। इस क्रूरता को रोकने के लिए पशु चिकित्सा विभाग स्थानीय प्रशासन और पुलिस प्रशासन सभी को शक्तियां दी गयी हैं, लेकिन कोई इसका प्रयोग नहीं कर रहा। बिना लाइसेंस के चल रहीं दुकानों को प्रशासन कभी भी बंद करा सकता है, या सड़क किनारे से हटा सकता है। नियम यह कहता है कि बिना अनुज्ञप्ति के नहीं चले मांस दुकान, खुले में नहीं बिके मांस, दुकानों पर मांस को काले कपड़ों में ढक के रखा जाये। काटे गये जानवरों के अवशेषों को यहां - वहां नहीं फेंका जाये साथ ही औजारों को विसंक्रमित करने और जानवरों की मेडिकल सत्यापन करने के बाद ही जानवरों को काटा जाना चाहिए ताकि किसी प्रकार का संक्रमण न हो।
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