महिलाओं पर प्रतिबंध लगाने पर संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान को फटकारा
स्वतंत्र प्रभात ।
मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने अफगानिस्तान में महिलाओं को गैर-सरकारी संगठनों के लिए काम करने से रोकने के फैसले के "भयानक परिणामों" की ओर भी इशारा किया। दरअसल, तालिबान के अधिकारियों ने पिछले सप्ताह महिलाओं के लिए विश्वविद्यालय में जाकर शिक्षा प्राप्त करने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। तालिबान के इस फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी आक्रोश है और अफगानिस्तान के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन भी हो रहे हैं। मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त तुर्क ने जिनेवा से एक बयान जारी कर कहा, ‘‘कोई भी देश अपनी आधी आबादी को बाहर रखकर सामाजिक और आर्थिक रूप से विकास नहीं कर सकता।''
उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं और लड़कियों पर लगाए गए ये प्रतिबंध न केवल अफगानिस्तान में सभी लोगों की पीड़ा को बढ़ाएंगे, बल्कि मुझे डर है कि इससे अफगानिस्तान की सीमाओं से परे एक खतरा भी पैदा होगा।'' तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने वाले अधिक उदार शासन का वादा करने के बावजूद व्यापक रूप से इस्लामी कानून लागू किए हैं। उन्होंने माध्यमिक और उच्चत्तर माध्यमिक स्कूलों में लड़कियों के शिक्षा ग्रहण करने पर पाबंदी लगा दी है, महिलाओं को अधिकांश रोजगार से प्रतिबंधित कर दिया है और उन्हें सार्वजनिक रूप से सिर से पैर तक ढकने वाले कपड़े पहनने का आदेश दिया है। इसके अलावा, महिलाओं के पार्क और जिम में जाने पर भी पाबंदी है।

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