
ओने पौने दाम धान बेचने को विवश किसान
क्रय केंद्र प्रभारियों की खाऊ कमाऊ नीति से किसान परेशान कहीं नमी के नाम पर तो कहीं बदरग व हल्का होने का कारण बता किसानों को चलता कर रहे जिम्मेदार
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स्वतंत्र प्रभात
लखीमपुर खीरी- जिले में चल रही धीमी गति से धान खरीद मामले की जांच शुरू हो जाने के बाद से खाद्यान्न माफियाओं में हड़कंप मचा दिखाई पड़ रहा है। शासन तक पहुंचे धान खरीद में भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद जांच के लिए नामित अधिकारी जांच करने आ सकती हैं। खाद्यान्न माफिया पूरे मामले पर पर्दा डालने के प्रयास में जी जान से लगे हैं।
उनका प्रयास किसी तरह से मामला मैनेज हो जाए खरीद में फैले भ्रष्टाचार पर गौर किया जाए तो धान खरीद के लिए लगाए गए क्रय केंद्रों के प्रभारी व अन्य जिम्मेदारों ने अपने से अटैच धान मिल से सांठगांठ कर रखी है जिससे क्रय केंद्रों पर आने वाले दान को सेंटर पर नमूना लिया जाता है। और नमी, डसट,बदरंगा बताकर क्रय करने से मना कर दिए जाने की जन चर्चा जोरों पर रही उक्त मामले की आवाज लखनऊ में बैठे बाबा जी के कानों तक पहुंचने पर मामले में जांच के लिए नामित कर दिया गया जांच अधिकारी जो कभी भी जांच करने आ सकते हैं
जिसको लेकर संबंधित अधिकारी पूरे प्रकरण पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं। बताते चलें प्रदेश की योगी सरकार जहां किसानों को उनकी उपज का वास्तविक मूल्य देने को वचनबद्ध है। वही किसानों की खून पसीने से पैदा की गई धान की फसल का वास्तविक मूल्य वह नहीं मिल पा रहा धान क्रय केंद्र तो खुल कर रह गए इन क्रय केंद्रों पर कहीं लेबर अथवा बारदाना का बहाना बताकर किसानों को चलता कर दिया जाता है।
जिससे किसानों समर्थन मूल्य जो किसानों को मिलना चाहिए नहीं मिल पा रहा सरकार द्वारा किसानों की फसल धान जो समर्थन मूल्य तय किया गया है वह पूरा उसकी जेबों में ना जाकर बिचौलिए ठेकेदारों और संबंधित विभागीय अफसरों मिलीभगत करके बंदरबांट कर लेते हैं इस कमाई के खेल में कुछ खादी वर्दी वाले सत्ता पक्ष के लोगों का संरक्षण होने की बात भी चर्चा का विषय बनी है। जिनकी छत्रछाया में या भ्रष्टाचार का खेल पुष्पित एवं पलवित हो रहा है।
नाम गुप्त रखने की शर्त पर कुछ किसानों ने दबी जुबान बताया जब वह क्रय केंद्र पर धान लेकर गए तो नमूना तो केंद्र पर लिया गया लेकिन धान सेंटर पर ना तुलवा सीधे राइस मिल में भिजवाया गया और मनमानी दर पर धान की खरीद की गई जब किसान से इस खेल की शिकायत करने संबंधी जानकारी ली तो किसानों ने बताया कि शिकायत से कोई फायदा नहीं है। ऊपर से नीचे तक पूरा सिस्टम ही इस भ्रष्टाचार के खेल में लगा दीमक की तरह कर रहा है। शिकायत करने पर न्याय मिलने की जगह प्रताड़ना सहनी पड़ती है। शिकायत करने पर किसान का धान नहीं खरीदा जाता है बल्कि केंद्र के चक्कर काटते थक जाता है।
किसान को अगली फसल की बुवाई व अन्य घरेलू जरूरतों के लिए पैसे की जरूरत होती है। इसलिए वह मजबूरन औने पौने रेट पर धान देकर चला जाता है। सस्ती दर पर धान खरीदी ठेकेदार बिचौलिए केंद्र प्रभारी अन्य किसानों के आधार कार्ड लगाकर उस धान को सरकारी खरीद दिखाकर उनके खातों में पेमेंट भिजवा देते हैं। और इसी तरह प्रतिवर्ष धान खरीद में करोड़ों का वारा न्यारा कर अपनी अपनी जेबें भरी जा रही हैं अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस भ्रष्टाचार की सघनता से जांच कराकर दोषियों पर क्या कार्रवाई करता है। या फिर पिछले वर्ष की बात इस मामले में औपचारिकता निभा फाइल बंद कर देंगे।
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