पूर्व राज्यसभा सदस्य ने सरकार से किए सवाल

पूर्व राज्यसभा सदस्य ने सरकार से किए सवाल

प्रतापगढ़-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने सरकार के जेईई तथा एनईईटी परीक्षाओ को मौजूदा कोरोना संकट के समय कराए जाने के फैसले को पूरी तरह से गैरवाजिब तथा वर्तमान माहौल मे ग्रामीण क्षेत्र की गरीब बेटियों व मध्यम वर्गीय परिवार के छात्रो के जीवन को संकटपूर्ण बनाए जाने का अविवेकपूर्ण


प्रतापगढ़-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने सरकार के जेईई तथा एनईईटी परीक्षाओ को मौजूदा कोरोना संकट के समय कराए जाने के फैसले को पूरी तरह से गैरवाजिब तथा वर्तमान माहौल मे ग्रामीण क्षेत्र की गरीब बेटियों व मध्यम वर्गीय परिवार के छात्रो के जीवन को संकटपूर्ण बनाए जाने का अविवेकपूर्ण कदम ठहराया है। गुरूवार को नगर स्थित क्षेत्रीय विधायक आराधना मिश्रा मोना के कैम्प कार्यालय पर पत्रकार वार्ता के दौरान प्रमोद तिवारी ने कहा कि इस समय भारत मे दिनोदिन अधिक कोरोना संक्रमितो के मरीज सामने आ रहे है। ऐसे मे यह चिंताजनक है कि कोरोना के टेस्ट की जांच एक प्रतिशत से भी कम है।

प्रमोद तिवारी ने सरकार से सवाल उठाया कि ऐसे संकट के समय मे ही आखिर वह जेईई और एनईईटी की परीक्षाएं कराकर छात्रो के जीवन को क्यों कोरोना की धधकती आग मे झोंकना चाहती है। उन्होंने कहा कि एनईईटी की परीक्षा मे लगभग पचपन प्रतिशत छात्राएं शामिल हुआ करती है और ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के गरीब परिवारो की इन प्रतिभाशील बेटियो को परीक्षाओ मे सुरक्षित शामिल कराए जाने के लिए इनके अभिभावक भी निर्धारित परीक्षा केन्द्रो के स्थानो पर जाया करते है। 

प्रमोद तिवारी ने यह भी सवाल उठाया कि ऐसे मे जबकि कोरोना महामारी को देखते हुए होटल बंद है और लगभग चालीस प्रतिशत यात्रा के संसाधन ही उपलब्ध है तो हर व्यक्ति इतना अमीर नही है कि वह निजी कार से अपनी बेटियो अथवा बेटों को परीक्षा केन्द्रो पर ले जा सकेगा। बतौर प्रमोद तिवारी ऐसे मे सरकार की यह जिद गरीब परिवार के छात्र छात्राओ की जीवन सुरक्षा पर बेहद खतरनाक जिद साबित होगी।

उन्होने सरकार से कहा है कि जब विश्व स्वास्थ्य संगठन भी आगामी दो तीन माह के लिए कोरोना को ज्यादा खतरनाक मान रहा है और डब्ल्यू एचओ के मुताबिक दो तीन माह बाद कोरोना संकट का पीककाल ढलने लगेगा तो उसे जिद छोडकर इन दो तीन माह के लिए परीक्षाओ को स्थगित कर देना चाहिए। उन्होने कहा कि महानगरो के बडे लोगों के स्थान पर सरकार दूरस्थ अंचलो से बड़े शहरो मे बनाए जाने वाले परीक्षा केन्द्रो तक की यात्रा और वहां रूकने पर छात्रो के लिए संभावित जोखिम पर गंभीरता से विचार करे।
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