फिल्मी इतिहास की दुर्दशा

फिल्मी इतिहास जनता को बहुत दिनों तक याद नहीं रहता


स्वतंत्र प्रभात-
देश भर में कथित राष्ट्रप्रेम  का ज्वार पैदा करने वाली ' द कश्मीर फ़ाइल ' अब जन विस्मृति में जा चुकी है.कुल जमा एक महीने भी फिल्म  के जरिये हिन्दू-मुसलमान के बीच नफरत फ़ैलाने का अभियान औंधे  मुंह गिर पड़ा. देश की जनता कश्मीरी पंडितों के सामूहिक नरसंहार के वीभत्स दृश्य भूल कर अब आर आर आर और केएफजी चैप्टर -2  में व्यस्त हो गयी  हैं .प्रमाणित हो गया है कि फिल्मी इतिहास जनता को बहुत दिनों तक याद नहीं रहता ,क्योंकि उसमें वास्तविकता और कल्पना का मिश्रण होता है सिर्फ वास्तविकता नहीं .


फिल्म के जरिये निर्माता-विवेक अग्नहोत्री की तिजोरी भर गयी,फिल्म को टैक्सफ्री करने से राष्ट्रभक्त सरकारों को मनोरंजन कर से होने वाली आमदनी से हाथ धोना पड़े ,लेकिन न कश्मीरी पंडितों का भला हुआ और न भाजपा का .भीड़ अब सब कुछ भूलकर आर आर आर और केजीएफ पार्ट-2  में उलझ गयी है .मै पहले ही कहता था कि ' द कश्मीर फ़ाइल एक सुनियोजित अभियान का अंग है,उसे कालजयी फिल्म कहना और मानना ठीक नहीं है ,क्योंकि वो ' मदर इंडिया नहीं है,वो गंगा-जमुना नहीं है .

' द कश्मीर फ़ाइल' बेशक विवेक अग्नहोत्री की प्रतिभा   का प्रदर्शन करने में कामयाब फिल्म रही क्योंकि उसने सूने पड़े बॉक्स आफिस को आबाद किया और जितना सोचा  नहीं था उससे भी कहीं ज्यादा कमाई की .विवेक का मकसद  पूरा हो गया लेकिन भाजपा का मकसद अधूरा ही रहा 

.फिल्म जनता को राष्ट्रप्रेम और अंधभक्ति के काल्पनिक जाल में ज्यादा देर उलझकर नहीं रख पायी .फिल्म में न गीत -संगीत का पक्ष मजबूत था और न पटकथा का .मजबूत था तो तो सिर्फ नफरत फ़ैलाने का जज्बा ,लेकिन वो भी आखिर कितने दिन कायम रहता ?नफरत लगातार खून मांगती है ,जो दिया नहीं जा सकता .नफरत की उम्र बहुत लम्बी नहीं होती .


खबरें बता रहीं हैं कि आगामी 14 अप्रैल को  दर्शकों का इंतजार पूरा होगा और केजीएफ चैप्टर 2  सिनेमाघरों में रिलीज होगी। यश , संजय दत्त  और रवीना टंडन की केजीएफ 2  के लिए जनता  काफी उत्सुक  हैं। बाहुबली, केजीएफ, पुष्पा और आरआरआर की सक्सेस के बाद एक ओर जहां जनता  को इस नई फिल्म का इंतजार है तो दूसरी ओर ट्रेड एनालिस्ट्स को भी उम्मीद है कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार कमाई करेगी। उम्मीद के मुताबिक केजीएफ चैप्टर 2 पहले दिन ही 90 करोड़ रुपये की कमाई कर सकती है।


कोई 500  करोड़ की लागत से बनी फिल्म आर आर आर के लिए दर्शक पूरा पैसा [बिना टैक्स फ्री देकर सिनेमाघरों पर टूटे क्योंकि इस फिल्म में नफरत के बजाय मनोरंजन के लिए कुछ अलग ही परोसा गया था . 

ट्रेड विश्लेषक  तरण आदर्श की मानें तो  आरआरआर ने पहले ही दिन रिकॉर्ड कमाई की है. उन्होंने बताया कि फिल्म ने बाहुबली-2 को भी पछाड़ दिया और सिनेमा की नंबर 1 ओपनर फिल्म बन गई है. फिल्म RRR ने वर्ल्ड वाइड 223 करोड़ रुपये की कमाई की है. जबकि इस फिल्म को न किसी राजनीतिक दल का समर्थन हासिल था और न ही इस फिल्म की टीम ने प्रधानमंत्री जी के साथ कोई तस्वीर ही उतरवाई थी ,न ही इस फिल्म को किसी राज्य सरकार ने टैक्सफ्री ही किया था .


फ़िल्में हमेशा से ही एक ख़ास मकसद के लिए बनाई जाती रही हैं ,उनका मकसद लोकरंजन होता है लोक कल्याण नहीं. लोककल्याण करना सरकार का काम है और ये काम जब सरकारें नहीं कर रहीं तब फिल्म निर्माता क्यों कर करने लगे ? 'द कश्मीर फ़ाइल ' अब लगभग बंद होने को है लेकिन एक भी कश्मीरी पंडित वापस कश्मीर नहीं पहुंचाया जा सका,जबकि कायदे से ऐसा हो जाना चाहिए ,क्योंकि फिल्म ने तो कथित रूप   से अवाम को जगा दिया है .सरकारों की नींद तोड़ दी है ,लेकिन ' हाथ न मुठी,खुरखुरा उठी 'वाली बात है .सरकार कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने लायक तैयारी कर ही नहीं पायी है ,जबकि सरकारी विज्ञापन बता रहे हैं की राज्य में अमन है ,चैन है .

मुझे कभी-कभी लगता है कि अब केंद्र सरकार कश्मीरी पंडितों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है .सरकार के लिए कश्मीर अब समस्या नहीं बल्कि खिलौना है .सरकार की ही मानकर कहा जा सकता है की पूर्र्व जम्मू-कश्मीर राज्य से धारा 370  हटने के बाद से वहां स्वर्ग बन चुका है .राज्य के तीन टुकड़े करने के बाद अब वहां आतंकवाद समूल समाप्त हो चुका है .वहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया स्थगित क्या समाप्त किये जाने के बाद से कहीं,कोई गड़बड़ नहीं है ,तो फिर कश्मीरी पंडितों को बसाने के लिए देश के सबसे ज्यादा पावरफुल पांडव प्रयास क्यों नहीं कर रहे ?

मुझे पूरा यकीन है कि कश्मीरी पंडित एक न एक दिन कश्मीर अवश्य लौटेंगे ,और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख डॉ मोहन भागवत के रिटायर होने से पहले लौटेंगे ,लेकिन अभी उन्हें दो साल और इन्तजार करना होगा .अभी उनके जख्मों को दिखाकर ,कश्मीरी हिंसा की भागवत सुनकर एक और चुनाव लड़ा और जीता जाना है .राष्ट्रप्रेम का नशा फिलहाल काम कर रहा है.लोगों को चार सौ रूपये किलो का नीयब्बू और 120  रूपये लीटर का पेट्रोल खरीदने में भले ही नानी याद आ रही हो लेकिन कोई कुछ नहीं बोल रहा क्योंकि सबको यकीन है की अच्छे दिन आएंगे .हालाँकि वे न जाने कब के भटक चुके हैं .


राष्ट्र प्रेम के ज्वार के बीच कथित देशद्रोही कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर देश को आगाह किया है कि जो कुछ आजकल यूक्रेन में रूस कर रहा है वही सब कुछ आने वाले दिनों में चीन, भारत के अरुणाचल और असम में कर सकता है .मुमकिन है कि राहुल गांधीन ने पिनक में ये बात कही हो लेकिन वे विपक्ष के नेता हैं,देश के 50  वे नमबर के पावरफुल नेता हैं इसलिए उनके कहे को भी गंभीरता से लिया जाना चाहिए ,क्योंकि भेड़िया कभी-कभी सचमुच आ भी जाता है .और यदि ऐसा हुआ तो राम जी ही सहाय हो सकते हैं और कोई नहीं .
कोई फिल्म बनाकर समस्या से नहीं निबटा जा कसता .
@ राकेश  अचल 


 

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