औद्योगिक क्षेत्र के लोगों को दस मिनट भी छत पर खड़े रहना मुश्किल

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। औद्योगिक क्षेत्र दहीचैकी अंतर्गत मोहल्ला शिवनगर पीताम्बर नगर भाग-2 में मोहल्लेवासियों का सांस भी लेना मुश्किल हो रहा है। दहीचैकी क्षेत्र में आएदिन फैक्ट्रियों के प्रदूषण से परेशान क्षेत्रवासी अपनी शिकायतों को आला अफसरों को अवगत कराते रहते हैं उसके बाद भी उनकी शिकायतों का कोई निजात नहीं निकलता। अगर इन

स्वतंत्र प्रभात ब्यूरो उन्नाव। औद्योगिक क्षेत्र दहीचैकी अंतर्गत मोहल्ला शिवनगर पीताम्बर नगर भाग-2 में मोहल्लेवासियों का सांस भी लेना मुश्किल हो रहा है। दहीचैकी क्षेत्र में आएदिन फैक्ट्रियों के प्रदूषण से परेशान क्षेत्रवासी अपनी शिकायतों को आला अफसरों को अवगत कराते रहते हैं उसके बाद भी उनकी शिकायतों का कोई निजात नहीं निकलता। अगर इन मोहल्लो में लाइट चली गई तो मोहल्लेवासियों का अपनी ही छत पर 10 मिनट खड़े होना मुश्किल हो जाता है। अगर छत पर खड़े हो तो जहरीली प्रदूषित बदबू आती रहती है।

जनपद के औद्योगिक क्षेत्रो में चमड़ा उद्योगो की पकड़ इतनी मजबूत है कि चाहे इनकी जितनी कलई खोलो, इनपर कोई फर्क नहीं पड़ता और ना ही जिला प्रशासन इस ओर ध्यान देता है। इसी का परिणाम है कि आज जिले की औ़द्योगिक नगरी नर्क नगरी बन चुकी है। जहां के लोगों की जिन्दगी कचड़ा, कीचड़ च सड़ांध से घुट-घुटकर दम तोड़ रही है। दहीचैकी औद्योगिक क्षेत्र में चमड़ा एवं केमिकल इकाईयो की मनमानी से भूगर्भ जल दिन-प्रतिदिन नष्ट होता जा रहा है। जहां संचालित इण्टरनेशनल सुपर हाउस द्वारा रसायनिक

केमिकलयुक्त पानी तथा बिना ट्रीट किया हुआ गंदा पानी खुलेआम बहाया जा रहा है जिससे जिले का भूगर्भ इतना प्रदूषित हो चुका है कि पीने योग्य नहीं बचा है। प्रदूषित जल से लोगों में घातक बीमारियां घर कर रही हैं। स्वतंत्र प्रभात औद्योगिक नगरी की मनमानी को लगातार उजागर कर रहा है लेकिन जिला प्रशासन के कान में जूं नहीं रेंग रहा है।
बताते चलें कि जिले के तीन छोरो दहीचैकी, बंथर तथा अकरमपुर में स्थित चमड़ा तथा केमिकल इकाईयां नगर के भूगर्भ जल को दिन.प्रतिदिन क्षति पहुंचा रही हैं। वैसे तो इन फैक्ट्रियों के लिए मानक निर्धारित किये गये हैं

तथा जल शोधन के लिए ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट भी स्थापित हैं परन्तु यह फैक्ट्रियां कभी भी इन मानको का पालन नहीं करती हैं और रात के अंधेरे में फैक्ट्रियों तथा केमिकल इकाईयो द्वारा निकलने वाला पानी सीधे बोरवेल के माध्यम से भूगर्भ जल में पहुंचा दिया जाता है अथवा टैंकरो के माध्यम से सीधे लोन नदी में उड़ेल दिया जाता है जो आसपास की भूमि को उसरीला करता हुआ सीधे गंगा में प्रवेश कर जाता है। सूत्रो की माने तो लखनऊ-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के औद्योगिक क्षेत्र दहीचैकी स्थित सुपर हाउस व बंथर स्थित ओमेगा इण्टरनेशनल,

केलको ट्रेनरी, पेप्सिको टेनरी तथा पिंजा टेनरी में मानको को दर-किनार कर मनमानी की जा रही है। चूंकि जल शोधन के लिए ट्रीटमेन्ट प्लान्ट में भारी-भरकम धनराशि करनी पड़ती है लिहाजा मात्र दिखावे के लिए सौ-दो सौ लीटर पानी ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट भेजा जाता है शेष पानी बिना फिल्टर किये ही यूपीएसआईडीसी के नाले से गंगा में बहा दिया जाता है। जिसके चलते केन्द्र सरकार की नमामि गंगे योजना पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। आलम यह है कि यह जहरीला पानी जिन-जिन रास्तो से होकर गुजरता है

वहां आसपास खेतो की कृषि योग्य भूमि उसरीली हो गयी है तथा यह पानी पीने वाले जानवर भयंकर बीमारियांे की चपेट में आकर असमय मौत के मुंह में समा रहे हैं लेकिन अत्याधिक धन कमाने के लालच में यह फैक्ट्री स्वामी इतने अंधे हो चुके हैं कि उन्हें आम जनमानस पर पड़ रहे इस दुष्प्रभाव से कोई मतलब नहीं है।

Tags:

About The Author

Post Comment

Comment List

आपका शहर

अंतर्राष्ट्रीय

Online Channel