भारत मां को आजाद कराने वाले रणबांकुरों की शरणस्थली व छोटा साबरमती थाखोपापारगांव
छोटे गांधी थे पंडित रामबली मिश्र
On
गोरखपुर गोला । जंगे आजादी की लड़ाई में जनपद के दक्षिणांचल में स्थित वर्तमान तहसील गोला का गांव खोपापार ब्रिटिश हुकूमत में छोटा साबरमती के नाम से विख्यात था और पंडित रामबली में छोटे गांधी के रूप में प्रसिद्ध थे यह छोटा सा गांव पूर्वांचल के राष्ट्रीय चेतना का केंद्र विंदु बन गया था इस गांव में क्षेत्र के सभी वीर सपूत दिग्गज कांग्रेसी भारत मां को स्वतंत्र कराने निकले आवाज रणबांकुरे आश्रय पाते थे परंतु आज आजादी मिलने के बाद को इसगांव में कुछ भी नहीं है जिससे इन बलिदानियों के विषय में सही जानकारी मिल सके ।
छोटे गांधी के रूप में विख्यात ब्रिटिश हुकूमत के चूल हिलाने वाले पंडित रामबली मिश्र का जन्म उरूवा ब्लाक के माल्हनपारके नजदीक भरवलिया गांव में हुआ था बाल्यावस्था में पिता के निधन के बाद उनकी माता जी अपने मायके खोपापारआ गयी।और पिता के यहां आकर रहने लगे अपने को पीस हारिन का पुत्र कहने वाले श्री मिश्र की प्रारंभिक शिक्षा बनवार पार स्कूल देईडीहास्कूल से प्राप्त हुई मिडल कीशिक्षा गोला से प्राप्त हुई सन् 1920 में जिला परिषदीय विद्यालय वारानगर में अध्यापक नियुक्त हुए ।
परन्तुउस समय राजनैतिक हालात के परिणाम स्वरुप उनके मन में भी राष्ट्रप्रेम की तरंगे तरंगित हो उठी ।साइमन कमीशन जलियांवाला बाग हत्याकांड तथा महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन के परिणाम स्वरुप अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति दिलाने के लिए सत्याग्रही बन गए अंग्रेजों ने उन्हें जेल में डाल दिया जेल में रहते हुए हैं उनकी माता का देहावसान हो गया इन दिनों में राजीव नाम से राष्ट्र प्रेम संबंधी कविताएं लिखते थे।
परंतु चौरी चौरा की घटना के बाद गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस लिए जाने से पूरा देश स्तब्ध हो गया सन 1921 में पंडित रामबली में गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार में बतौर अध्यापक नियुक्त हुए और विद्यालय का वार्डन बन गए उस समय उन्होंने छात्रावास प्रांगण में तिरंगा झंडा फहराया अंग्रेजी सरकार के आदेश पर विद्यालय के प्रधानाचार्य ने तिरंगा झंडा हटाने को कहा श्री मिश्रने त्याग पत्र दे दिया औरअपने गांव खोपापारआकर गांधी की हिंदी भाषा देवनागरी लिपि का प्रचार-प्रसार करने लगे स्वतंत्रता आंदोलन के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में अनेक विद्यालय खोला सन 1930 में हिंदी साहित्य विद्यालय खोपापार व1940 में अखिल भारतीय चरखा संघ की स्थापना किया।
यह सारे विद्यालय आवासीय थेक्षेत्र के लोगों के सहयोग से विद्यालय का खर्चा चलता था इस विद्यालय में महाराष्ट्र तमिलनाडु आंध्र गुजरात आदि प्रांत के छात्र आ कर शिक्षा ग्रहणकरते थे इस की सराहना महात्मा गांधी ने 1936 में अपनी हरिजन पत्रिका में इसका पूर्वांचल राष्ट्रीय चेतना केंद्र के रूप में उल्लेख किया था 1942 में अंग्रेजों द्वारा पंडित रामबली मिश्रके यहां खोपा पार में आक्रमण कर घर जला दिया गया। साथ ही उनके यहां चल रहे चरखा केंद्र को भी फुक दिया गया।
अंत मेंपंडित रामबली मिश्र व उनकी पत्नी कैलाशी देवी को गोरखपुर जेल में बंद कर दिया गया। जेल में ही इन लोगों की मुलाकात बलिया जिले के रामपुर कानूनगो गांव के निवासी चंद्रिका प्रसाद वकील व उनकी पत्नी से हुई जो दोनों लोग आज़ादी की में लड़ाई में जेल में बंद थे। जेल में ही चन्द्रिका प्रसाद के पत्नी का निधन हो गया उनके पास दो पुत्र थे बड़े पुत्र को पंडित रामबली मिश्र ने गोद ले लिया ।जेल से छूटने के बाद 1952 में कैलाश कैलाशी देवी धुरियापार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ कर विधायिका बनी दोनों स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आज नहीं है लेकिन उनका गांव आज भी उपेक्षा का शिकार बना हुआ है।
स्वतंत्र प्रभात मीडिया परिवार को आपके सहयोग की आवश्यकता है ।
About The Author
Related Posts
Post Comment
आपका शहर
19 May 2025 17:14:13
प्रयागराज। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि तीन सीनियर आईपीएस अधिकारियों वाली एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की...
अंतर्राष्ट्रीय
18 May 2025 18:37:09
पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर रजाउल्लाह निजामानी उर्फ अबू सैफुल्लाह की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी....
Online Channel
खबरें
राज्य

Comment List