रेल दुर्घटनाओं में मौत के बढते आंकडे उठते सवाल?
स्वतंत्र प्रभात।एसडी सेठी।
पश्चिम बंगाल की सीमा के नजदीक सोमवार सुबह बडे ट्रेन हादसे से देश स्तंभ रह गया। ये रेल हादसा सियालदाह जा रही कंचनचंगा एक्सप्रेस 13174 को उसी पटरी पर धड़धड़ाती आ रही मालगाड़ी ने पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। हादसे में कंचनचंगा एक्सप्रेस ट्रेन के तीन डिब्बे बेपटरी होकर माल गाडी के ऊपर चढ गए। आज सोमवार सुबह हुए इस रेल हादसे में मालगाड़ी के लोकोपायलट, सहायक लोकोपायलट और कंटनचंगा एक्सप्रेस में सवार सवारियों समेत सबसे पीछे गार्ड के डिब्बे में सवार गार्ड सहित 9 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा 30 से ज्यादा लोगो के घायल होने की संभावना है। इस बीच रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौके पर पहुंचकर राहत के काम पर निगरानी रखे हुए है।
इस दौरान केन्द्र सरकार ने मृतकों के परिवार को 2लाख रूपये बतौर मुआवजे की घोषणा कर दी है।बहरहाल शुरूआती जांच में मालगाड़ी के इंजन ड्राइवर द्वारा सिग्नल को नजरअंदाज बताया जा रहा है।जबकि कंचनचंगा एक्सप्रेस सिग्नल अप की वजह से खडी बताई गई थी।मालगाड़ी के ड्राइवर को भी सिग्नल दिया गया था। पर वह धडधडाते हुए खडी कंचनचंगा एक्सप्रेस को मालगाड़ी ने पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। फिलहाल दुर्घटनाग्रस्त पटरी पर खडी दोनों रेल गाडियों के मलवे को हटाने का काम जारी है। इस बीच कुल 19 ट्रेनों को डायवर्ट कर दिया गया है।
हादसे के बाद विधिवत रेलवे टीम जांच में जुट गई है।इस रेल हादसे के बाद एक बार फिर जख्म हरे हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल बालासोर जिले में 2 जून को भीषण ट्रेन हादसा हुआ था। इस ट्रेन हादसे में तीन ट्रेन चपेट में आ गई थी। 06 जून,1981 को बिहार में सबसे घातक ट्रेन दुर्घटना का सामना करना पडा था। बासमती नदी के पुल को पार करते हुए ट्रेन बासमती नदी में जा गिरी थी।इस ट्रेन हादसे में करीब 750 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 20 अगस्त, 1995:फिरोजाबाद के पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस खडी हुई कालिंदी एक्सप्रेस से जा टकरा गई थी।इस रेल दुर्घटना में 305 लोगों की मौत हो गयी थी।26 नवंबर, 1998: पंजाब के खन्ना में जम्मू तवी सियालदाह एक्सप्रेस पटरी से उतरे फ्रंटियर गोल्डन टेंपल मेल की तीन बोगियों से टकरा गई थी।इस हादसे में 212 लोग मारे गए थे।
02 अगस्त,1999 :ब्रह्मपुत्र मेल उत्तर सीमांत रेलवे के कटिहार मंडल के गैसल स्टेशन पर खडी अवध एक्सप्रेस से टकरा गई ।जिसमें 285 लोग मारे गए और 300 लोग घायल हुए थे। 20 नवंबर,2016 :पुखरायन में इंदौर राजेंद्र नगर एक्सप्रेस के 14 डिब्बे पटरी से उतर जाने की वजह से घातक हादसा हुआ। जिसमें 152 लोगों की मौत और 200 लोग घायल हुए थे। 9 नवंबर, 2002: रफीगज के धावे नदी के ऊपर बने ब्रिज में हावड़ा -राजधानी एक्सप्रेस पलट गई, जिसमें 140 लोग मारे गए।
23 दिसंबर,1964 : रामेश्वरम में चक्रवात में पंबन धनुषकोढी पैसेंजर ट्रेन के बह जाने की वजह से 126 यात्री मारे गए थे। 28 मई,2010 मुंबई जा रही ट्रेन झारग्राम के पास पटरी से उतर गई थी।और सामने से आ रही एक मालगाड़ी से टकरा गई।इस हादसे में 148 यात्री मारे गए थे। 2 जून,2023 : बंगलूरू-हावडा सुपरफास्ट एक्सप्रेस शालीमार -चैन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के बीच ट्रेन दुर्घटना हुई थी। इस हादसे में करीब 233 लोग मारे गए थे। आजादी के बाद से अब-तक की सबसे घातक दुर्घटनाओ में से एक यह हादसा बताया जाता है।
आंकडों के मुताबिक 1961-1971 के बीच रेल हादसों में 14769 लोगों की मौत हुई। वहीं 1971-1982 के बीच 9968 मौत,1982-93 के बीच 7063 मौत ,1993-2004 के बीच 4620 लोगों की मौत हो चुकी है। हर बार हादसे के बाद जांच कमेटी का गठन किया जाता है। पर हादसे- का - दर निरंतर बढता ही जा रहा है। आधुनिक भारत के तहत तेज गति की ट्रेनों को पटरी पर उतरा तो जा रहा है लेकिन टेक्निकल, और प्रैक्टिकल तौर पर अब तक इन सैंकडो रेल हादसों में मरे हजारों लोगों की सुरक्षातंत्र अब तक क्या तरक्की हुई है ,अजगरी सवाल खडा हुआ है।
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