अखिलेश का विधानसभा से इस्तीफा कितना सही कितना गलत
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कानपुर। समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया और नेता प्रतिपक्ष का पद भी छोड़ दिया है। चूंकि करहल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहते हुए अखिलेश यादव ने कन्नौज से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और वह जीत गए थे इसलिए उनको एक जगह से त्यागपत्र देना ही था। अब चर्चा यह चल रही है कि अखिलेश यादव ने ऐसा करके क्या सही किया या ग़लत।
अखिलेश यादव लगभग ढाई वर्ष यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहे और उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को सदन में काफी लपेटा सरकार के निर्णयों और कमियों पर जम कर बोलते थे अखिलेश यादव। और यह वही मेहनत है जिसके दम पर लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 37 सीटें प्राप्त हुईं और वह लोकसभा चुनाव में प्रदेश की नंबर वन पार्टी बन गई। यह सफलता अखिलेश यादव के लिए बहुत मायने रखती है। पिछले विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव जब विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे तब कन्नौज में उनकी स्थिति ठीक ठाक नहीं लग रही थी। क्यों कि उससे पहले ही लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी डिंपल यादव को कन्नौज लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था और उसके बाद विधानसभा चुनाव में कानपुर पुलिस कमिश्नर का पद छोड़ कर राजनीति में शामिल हुए असीम अरुण से उनका मुकाबला था।
अखिलेश यादव का विधानसभा चुनाव जीतना बहुत जरूरी था उस लिहाज से करहल विधानसभा सीट उनके लिए काफी सुरक्षित मानी जा रही थी। करहल से सोबरन सिंह यादव जो कि लगातार चार बार से विधायक रहे थे अखिलेश के लिए उन्होंने वह सीट छोड़ दी। और अखिलेश यादव वहां केन्द्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को हराकर चुनाव जीत गए। इधर हाल ही में सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश में भारी सफलता मिली। इसके लिए उनको संसद में भी अपने सांसदों को साधना था। और यह निर्णय उनके लिए काफी कठिन था।
उम्मीद की जा रही है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का कार्यभार अब उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव सम्हालेंगे। और अखिलेश यादव संसद रहकर केन्द्र की राजनीति करेंगे। चूंकि लोकसभा चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं हुआ है और उसने सहयोगी दलों के सहारे एनडीए की सरकार बनाई है। जिस पर कभी भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं। इसलिए अखिलेश यादव ने अपने आप को केंद्र की राजनीति में रखना उचित समझा। ताकि वह विपक्ष में रहकर कांग्रेस के साथ सरकार को घेर सकें।
लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि अखिलेश यादव को विधानसभा से इस्तीफा नहीं देना चाहिए था क्योंकि कि इससे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी कमजोर होगी लेकिन अखिलेश यादव ने वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए यह कदम उठाया है। विधानसभा चुनाव में अभी काफी समय है तब तक केन्द्र की स्थिति क्या होगी कुछ कहा नहीं जा सकता। संसद में अखिलेश यादव के रहने के कारण कांग्रेस को भी बल मिलेगा। कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है और समाजवादी पार्टी का नंबर देश में तीसरा हो गया है।
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